Thursday 26 February 2015

(3.1.6) Ganga sagar Mela

 Ganga Sagar Fair
When is Ganga Sagar Fair held /गंगा सागर मेला कब आयोजित किया जाता है ? 
जिस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है।  इस मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर मेला आयोजित किया जाता है।
Where is Ganga Sagar Fair held /गंगा सागर मेला कहाँ आयोजित किया जाता है ? 
पश्चिमी बंगाल में कोलकता के निकट हुगली नदी के तट पर, उस स्थान पर आयोजित किया जाता है जहा गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। 
Importance of Ganga Sagar Fair / गंगा सागर का महत्व - 
पुराणों के अनुसार राजा सगर ने अश्व मेघ यज्ञ लिया था। जिसमें छोड़े गए घोड़े की रक्षा का भार  उसके साठ हजार पुत्रों को दिया था।  इंद्र ने कुटिलता वश उस घोड़े को चुरा लिया और कपिल मुनि के आश्रम पर बांध दिया। राजकुमार उस घोड़े को ढूँढते हुए कपिल मुनि के अाश्रम में पँहुचे और घोड़े को वहाँ  पाकर कपिल मुनि पर घोडा चुराने का आरोप लगाते हुए अपनी नाराजगी प्रकट की। उन की इस उदण्डता  से क्रोधित होकर कपिल मुनि सभी साठ  हजार राजकुमारों  को अपनी क्रोधाग्नि से जल कर भस्म कर दिया। इस पर सगर पुत्र अंशुमन  ने कपिल मुनि से क्षमायाचना  करते हुए राजकुमारों की मुक्ति का उपाय पूछा।  मुनि ने उपाय बताया कि यदि गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया जाये तो उसकी जल धारा के स्पर्श से ये मुक्त हो सकते हैं।  अंशुमन ने गंगा को लाने  के लिए तप  किया परतुं वे सफल नहीं हो सके।
भगीरथ ने गहन तपस्या की जिसके परिणाम स्वरूप गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई।  फिर कपिल मुनि के आश्रम पर आई और उसकी धारा ने राजकुमारों  की राख  का स्पर्श किया जिससे वे मोक्ष को प्राप्त हुए वह दिन मकर संक्रांति का दिन था।  अतः उसी दिन से वहाँ प्रतिवर्ष मेला आयोजित किया जाता है।  ऐसा  माना  जाता है कि इस दिन वहाँ किया गए स्नान और दिए गए दान का बहुत अधिक प्रतिफल प्राप्त होता हैं।  गंगा सागर की यात्रा सैंकड़ों तीर्थ यात्राओं  के समान मानी जाती है। इस लिए प्रतिवर्ष इस दिन बड़ी संख्यां में लोग यहाँ आते हैं और स्नान, पूजा-अर्चना करते हैं।

(3.1.5) Dwadash Jyotirling

द्वादश ज्योतिर्लिंग  Dwadash jyotirling
हिन्दू धर्मानुसार भगवान् शिव को प्रमुख देवताओं में गिना जाता है। भगवान् शिव अनादिकालीन वैदिक देवता हैं और इनकी लिंग पूजा भी सनातन है। लिंग का अर्थ है "चिह्न"।  शिवलिंग की आकृति ब्रह्माण्ड की ही आकृति है व ब्रह्माण्ड का एक मानचित्र है। चर चरात्मक सम्पूर्ण जगत ब्रह्मांड रूप शिवलिंग में है। एक शिवलिंग के पूजन से ही सूर्य, चन्द्रमा, विष्णु तथा लक्ष्मी इन सबकी पूजा हो जाती है। जैसे भगवान् विष्णु के अव्यक्त ईश्वर रूप की प्रतीक शालग्राम पिण्डी है वैसे ही भगवान् शिव के अव्यक्त ईश्वर रूप की प्रतिमा लिंग रूप पिण्डी है। मुख्य रूप से बारह ज्योतिर्लिंग है जिनके नाम निम्नानुसार है:- सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल्पर में  मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकारतीर्थ में परमेश्वर, हिमालय के शिखर पर केदार, डाकिनी में भीमशंकर, वाराणशी में विश्वनाथ,गोदावरी के तट पर त्रयम्बक, चिताभूमि में वैद्यनाथ, दारुकावन में नागेश, सेतुबंध में रामेश्वर तथा शिवालय में घुश्मेश्वर।
इनका विवरण निम्नानुसार है:-
1. सोमनाथ :- गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है।
2. मल्लिकार्जुन:- आंध्र प्रदेश प्रान्त के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर             श्री  मल्लिकार्जुन स्थित हैं।
3. महाकालेश्वर:- मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के तट पर उज्जैन में स्थित है।
4. ॐकारेश्वर:- मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के बीच द्वीप पर स्थित है।
5. केदारनाथ:- हिमालय के केदार नामक शिखर के पश्चिम की और मन्दाकिनी तट पर स्थित है।
6. भीमशंकर:- पूना से उत्तर की और भीमा नदी के तट पर सह्याद्री पर्वत स्थित है जिसके एक शिखर का नाम डाकिनी है जहाँ पर भीमशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है,  शिव पुराण की एक कथा के अनुसार भीमशंकर ज्योतिर्लिंग आसाम के कामरूप जिले में गोहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित बताया जाता है, कुछ लोग  कहते है की नैनीताल जिले के उज्जनक नमक स्थान में एक विशाल शिव मंदिर है वही भीमशंकर का स्थान है।
7. काशी विश्वनाथ:- उत्तरप्रदेश के वाराणासी(काशी) में स्थित है।
8.  त्रयम्बकेश्वर:- महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरी के निकट गोदावरी के तट पर स्थित है।
9. वैद्यनाथ:- झारखण्ड के संथाल परगाना क्षेत्र में देवघर(वैद्यनाथ धाम) पर स्थित है।
10. नागेश्वर:- गुजरात में बडौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका से 12-13 मील की दूरी पर है तथा दारुकावन इसी का नाम है।
11. रामेश्वर:- तमिलनाडु के रमनद जिले में स्थित है।
12. घुश्मेश्वर:- महाराष्ट्र के दौलताबाद क्षेत्र में बेरुल गाँव के पास है जिसको शिवालय के नाम से भी जाना जाता है .