National Anthem (राष्ट्र गान) Rashtra gaan-
रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित राष्ट्र गान को सर्व प्रथम 27 दिसम्बर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता(कोलकाता) अधिवेशन में गाया गया था।
इस गीत का प्रकाशन सर्व प्रथम 1912 में तत्व - बोधिनी पत्रिका में भारत विधाता शीर्षक से हुआ था, जिसे सन 1919 में अंग्रेजी अनुवाद 'मोर्निंग सोँग ऑफ़ इंडिया ' नाम से प्रकाशित किया गया। पूरे गीत में पाँच पद हैं। राष्ट्र गान में प्रथम पद को ही अपनाया गया है। संविधान सभा ने इस गीत को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्र गान के रूप में अपनाया। राष्ट्रगान गाने का समय लगभग 52 सैकंड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्र गान को संक्षिप्त रूप में गाया जाता है, जिस में इस पद की प्रथम व अंतिम पंक्तियाँ लगभग 20 सैकंड में गायी जाती है। इसका संक्षिप्त रूप इस प्रकार है -
जन - गण - मन अधिनायक, जय हे
भारत भाग्य विधाता ,
जय हे, जय हे , जय हे ,
जय - जय - जय - जय हे।
यदि किसी समारोह में राष्ट्र गान गाया जाये तब उपस्थित जन समुदाय से अपेक्षा है कि वे एक स्वर एवं लय में गाएं। प्रत्येक अवसर पर राष्ट्र गान आदर पूर्वक गाया जाना चाहिए तथा उपस्थित जन समुदाय को राष्ट्र गान के दौरान 'सावधान' की मुद्रा में खड़े होना चाहिए। विदेशी संभ्रांत व्यक्ति के भारत आगमन पर यदि उन्हें राष्ट्रीय सलामी दी जा रही है तो पहले उनका अर्थात उनके देश का राष्ट्र गान और बाद में भारत का राष्ट्र गान, सम्पूर्ण रूप में गाया जाता है। राष्ट्रीय सम्मान की अवमानना पर रोक अधिनियम 1971 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति राष्ट्र गान के दौरान इरादतन किसी को भी राष्ट्र गान गाने से रोकता है , या किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करता है अथवा इस प्रयोजनार्थ एकत्रित हुए समुदाय को किसी भी प्रकार से बाधा पहुंचाता है, तो वह तीन वर्ष तक कारावास , आर्थिक दंड अथवा दोनों का पात्र हो सकता है।