Saturday 21 December 2019

(6.8.3) Shiva Pooja Me Belpatra Ka Mahtva

Shiva Pooja Men Belpatra Ka Mahatva शिव पूजा में बेलपत्र का महत्व  


बेलपत्र जिसे बिल्वपत्र भी कहा जाता है, भगवान शिव को बहुत प्रिय है .इसलिए शिवपूजा में बेलपत्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. बेलपत्र में त्रिदल अर्थात तीन पत्ते एक साथ जुड़े होते हैं. हालांकि बेलपत्र में तीन दल से अधिक दल भी होते हैं. परन्तु सामान्यतया तीन दल वाला बेलपत्र सरलता पूर्वक उपलब्ध हो जाता है. बेलपत्र चढाने के लाभ इस प्रकार हैं –
भगवान् शिव को बेलपत्र चढाने से सम्पन्नता आती है, आयु में वृद्धि होती है, शारीरिक व मानसिक कष्ट दूर होते हैं, सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और परिवार में सुख शान्ति बनी रहती है.
बेलपत्र तोड़ने के नियम इस प्रकार हैं –
बेलपत्र तोड़ने से पहले और तोड़ने के बाद बेलवृक्ष को प्रणाम करना चाहिए. बेलपत्र तोड़ते समय ध्यान रखा जाये कि बेलवृक्ष को कोई नुकसान नहीं हो. बेलवृक्ष की टहनी से चुन-चुन कर केवल बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए न कि पूरी टहनी. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तथा सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसलिए इन तिथियों व वार को बेलपत्र चढाने के लिए एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ कर रख लेना चाहिए.
बेलपत्र चढाने की विधि
बेलपत्र कटा-फटा नहीं हो और न ही उसमें कोई छेद हो. बेलपत्र चढाने से पहले उसके डंठल को तोड़ देना चाहिए. शिवलिंग पर बेलपत्र को उल्टा चढ़ाना चाहिए यानि पत्ते का चिकना भाग नीचे रहना चाहिए. पाँच, सात, ग्यारह या अधिक संख्या में बेलपत्र चढ़ाए जा सकते हैं . बेलपत्र चढाते समय कोई और मंत्र नहीं बोल सकें तो ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण करना चाहिए. स्कन्द पुराण के अनुसार यदि नया बेलपत्र उपलब्ध नहीं हो, तो किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा चढ़ाए गए बेलपत्र को भी धोकर कई बार अर्पित किया जा सकता है.