Saturday 29 February 2020

(3.1.37) Batuk Bairava Mantra

Batuk Bhairava Mantra  (For removing calamity) बटुक भैरव मन्त्र  - ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय  कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं



बटुक भैरव मन्त्र  - ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय  कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।
भैरव को भगवान् शिव का अंशावतार माना जाता है।  बटुक भैरव को भैरव का सौम्य और सात्विक रूप माना जाता है।  बटुक भैरव की पूजा - उपासना  आराधना से विपत्तियों का नाश होता है , आपदाएं दूर होती हैं  और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इनकी आराधना - उपासना भैरव जयन्ती, अष्टमी, रविवार या मंगलवार से शुरू करनी चाहिये।
बटुक भैरव मन्त्र  की जप विधि इस प्रकार है -
उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह  करके किसी शांत स्थान पर ऊन के आसान पर बैठें।  अपनी आँखें बंद करके बटुक भैरव का सात्विक ध्यान करें।  सात्विक ध्यान इस प्रकार है -
भगवान् श्री बटुक भैरव बालरूप में  हैं।  उनकी देहकान्ति  स्पटिक की तरह है।  घुंघराले केशों से उनका चेहरा प्रदीप्त है।  उनकी कमर और चरणों में नव मणियों के अलंकार ; जैसे किंकिणी, नुपुर आदि विभूषित हैं।  वे उज्जवल रूप वाले, भव्य मुख वाले, प्रसन्नचित्त और त्रिनैत्र युक्त हैं।  कमल के समान सुन्दर दोनों हाथों में वे शूल और दण्ड धारण किये हुए हैं। ऐसे भगवान् बटुक भैरव को मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ।  
ध्यान के बाद बटुक भैरव मन्त्र  का कम से काम 108 बार जाप करें। ऐसा इकतालीस दिन तक करें।  इस अवधि में शारीरिक व मानसिक रूप से शुद्धता तथा सात्विकता रखें।  बटुक भैरव मंत्र इस प्रकार है -
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय  कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।
मन्त्र जप के बाद भावना करें कि बटुक भैरव ने आपकी प्रार्थना को  सुन लिया है और उनकी कृपा से आपकी विपदा दूर हो जायेगी तथा आपके जीवन में प्रसन्नता व सम्पन्नता आयेगी।  



Sunday 23 February 2020

(6.5.1) Om Namo Bhagawate Vasudevaay

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय Om Namo Bhagawate Vasudevaay 


"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " एक महामन्त्र  है। इस मन्त्र को द्वादशाक्षर मन्त्र भी कहा जाता है।  यह भगवान् विष्णु और भगवान् कृष्ण का मन्त्र है। यह सर्व कल्याणकारी मन्त्र है।  इस मन्त्र का जप करने से -
- बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
- शारीरिक और मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- मानसिक शान्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक शक्ति मिलती है  जिससे इच्छा शक्ति प्रबल होती है।
- वासुदेव भगवान् के भक्तों का कभी भी अमंगल नहीं होता है।     

Thursday 20 February 2020

(6.2.3) Rin Harta Ganesh Stotra (Rin Mukti Hetu Stotra)

Rin Harta Ganesh Stotra (Debt removing Ganesh Stotra) ऋण हर्ता  गणेश स्तोत्र (कर्ज मुक्ति हेतु प्रभावी उपाय)

व्यक्ति के जीवन में कभी - कभी ऐसा समय आता है जब उस पर ऋण या कर्ज बहुत अधिक बढ़ जाता है और उस कर्ज को चुकाने  का कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है , तो इस स्थिति में ऋण या कर्ज मुक्ति से पाने के लिये ऋण हर्ता गणेश स्तोत्र का विश्वास  और निष्ठां पूर्वक पाठ करना उत्तम माना जाता है।  इस स्तोत्र का इकतालीस दिन तक  पाठ करने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने का कोई न कोई मार्ग दिखने लगता है।
ऋण हर्ता गणेश स्तोत्र की जप विधि इस प्रकार है -
प्रातःकाल दैनिक कार्य से निवृत्त होकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके ऊनी आसन पर बैठ जाएँ।  भगवान् गणेश जी के चित्र को अपने सामने रख लें।  दीपक या धूपबत्ती जला लें।  अपनी आँखें बन्द करके भगवान् गणेश जी का ध्यान करें।  ध्यान इस प्रकार है -
सच्चिदानन्दमय भगवान् गणेश की अंगकान्ति  सिन्दूर के समान है।  उनके दो भुजाएं हैं।  वे लम्बोदर हैं और कमलदल पर विराजमान हैं।  ब्रह्मा आदि देव उनकी सेवा में लगे हैं तथा वे सिद्ध समुदाय से युक्त हैं।  ऐसे श्री गणपति देव को मैं प्रणाम करता हूँ।
इस प्रकार ध्यान करने के पश्चात ऋण हर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें।  इस स्तोत्र का हिन्दी  रूपान्तरण इस प्रकार है -
"सृष्टि के आदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टि रूप फल की सिद्धि के लिये जिनका सम्यक पूजन किया था, वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
महिषासुर के वध के लिए देवी दुर्गा ने जिन गणनाथ की उत्कृष्ट पूजा की थी, वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर के वध से पूर्व जिनका भली भाँति पूजन किया था, वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
भगवान् सूर्यदेव ने अपनी तेजमयी प्रभा की रक्षा करने के लिये जिनकी आराधना की थी,  वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
चन्द्रमाँ ने अपनी कान्ति की सिद्धि के लिए जिन गणनायक का पूजन किया था,  वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
विश्वामित्र ने अपनी रक्षा के लिये तपस्या  द्वारा जिनकी पूजा की थी,  वे पार्वती  पुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।"
इस स्तोत्र के पठन के बाद ऋणहर्ता महामन्त्र का भी एक सौ आठ बार जप करें। मन्त्र इस प्रकार है -
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः QV~
स्तोत्र तथा मन्त्र जप के बाद मन ही मन भावना करें कि भगवान् गणेश जी की कृपा से आपको ऋण (कर्ज) से मुक्ति मिलेगी और आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी।





Wednesday 12 February 2020

(6.12.1) Batuk Bhairava Mantra

Batuk Bhairava Mantra - Om Hreem Batukaay Aapaduddhaaranaay Kuru kuru Batukaay Hreem
बटुक भैरव मन्त्र  - ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय  कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।
(आपदा तथा विपत्ति निवारण हेतु )

भैरव को भगवान् शिव का अंशावतार माना जाता है।  बटुक भैरव को भैरव का सौम्य और सात्विक रूप माना जाता है।  बटुक भैरव की पूजा - उपासना  आराधना से विपत्तियों का नाश होता है , आपदाएं दूर होती हैं  और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इनकी आराधना - उपासना भैरव जयन्ती, अष्टमी, रविवार या मंगलवार से शुरू करनी चाहिये।
बटुक भैरव मन्त्र  की जप विधि इस प्रकार है -
उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह  करके किसी शांत स्थान पर ऊन के आसान पर बैठें।  अपनी आँखें बंद करके बटुक भैरव का सात्विक ध्यान करें।  सात्विक ध्यान इस प्रकार है -
भगवान् श्री बटुक भैरव बालरूप में  हैं।  उनकी देहकान्ति  स्पटिक की तरह है।  घुंघराले केशों से उनका चेहरा प्रदीप्त है।  उनकी कमर और चरणों में नव मणियों के अलंकार ; जैसे किंकिणी, नुपुर आदि विभूषित हैं।  वे उज्जवल रूप वाले, भव्य मुख वाले, प्रसन्नचित्त और त्रिनैत्र युक्त हैं।  कमल के समान सुन्दर दोनों हाथों में वे शूल और दण्ड धारण किये हुए हैं। ऐसे भगवान् बटुक भैरव को मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ। 
ध्यान के बाद बटुक भैरव मन्त्र  का कम से काम 108 बार जाप करें। ऐसा इकतालीस दिन तक करें।  इस अवधि में शारीरिक व मानसिक रूप से शुद्धता तथा सात्विकता रखें।  बटुक भैरव मंत्र इस प्रकार है -
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय  कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।
मन्त्र जप के बाद भावना करें कि बटुक भैरव ने आपकी प्रार्थना को  सुन लिया है और उनकी कृपा से आपकी विपदा दूर हो जायेगी तथा आपके जीवन में प्रसन्नता व सम्पन्नता आयेगी।