Wednesday 18 March 2020

(8.9.3) Navsamvatsar - Hindu Nav Varsh (Hindu new year)

Nav Samvtsar / Hindu Nav Varsh / Hindu New Year नव संवत्सर / हिन्दू नव वर्ष

स्मृतिसार तथा श्रुति के अनुसार संवत्सर उसे कहते हैं जिसमें मासादि भलीभाँति  निवास  करते हैं।  इसका दूसरा अर्थ है बारह माह का काल विशेष अर्थात एक वर्ष।
हिन्दू मान्यता के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाला वर्ष नव संवत्सर या हिन्दू नव वर्ष के नाम से जाना जाता है।  नव संवत्सर के बारे में मुख्य - मुख्य बातें इस प्रकार हैं -
(1)हिन्दू नव वर्ष (नव संवत्सर )चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है।
(2)प्रत्येक संवत्सर का अपना नाम होता है साथ ही उस संवत्सर का राजा,मंत्री, सस्येश (खरीफ की फसल का स्वामी), मेघेश (वर्षा का स्वामी), फलेश (फलों का स्वामी)  आदि दस अधिकारी होते हैं। उस वर्ष का फल अर्थात वर्षा, अन्न उत्पादन, फल उत्पादन आदि इन दस अधिकारियों की नैसर्गिक प्रकृति के अनुसार ही रहता है।
(3 )श्री ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने   चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रवरा अर्थात सर्वोत्तम तिथि मानकर इसी दिन से सृष्टि की रचना का कार्य प्रारम्भ किया था।  इसलिए इस दिन को सृजन और उत्साह का दिवस भी माना  जाता है।
(4) इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत प्रारम्भ किया था।
(5)शक्ति संचय का पर्व बसंत नवरात्र भी इसी दिन प्रारम्भ होता है।
(6 ) महाराष्ट्र में इसी दिन गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाया जाता  है।
(7 ) आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों में  इस दिन को उगादि  पर्व  के रूप में मनाया जाता है।
(8 )चैत्र शुक्ल प्रतिपदा प्रवरा तिथि होने इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी माना जाता है।  अर्थात किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए इस दिन को शुभ माना जाता है।  इस दिन पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है। 
(9 ) महर्षि गौतम की जयन्ती भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही मनायी जाती है।
इस प्रकार नवसंवत्सर अर्थात हिन्दू नव वर्ष कई महत्वपूर्ण विषयों और घटनाओं का दिवस है। 
इस मांगलिक अवसर पर परिचितों, मित्रों, सम्बन्धियों आदि को शुभ कामनाएं प्रेषित करें।  

Friday 6 March 2020

(6.10.1) Gayatri Mantra Par Shodh ( Research )


गायत्री मंत्र पर शोध (चमत्कारी परिणाम)  Research on Gayatri Mantra (Miraculous results)

गायत्री मंत्र एक महामंत्र है | सदियों से मान्यता है कि चारों वेदों में वर्णित गायत्री मंत्र न केवल लक्ष्य की खोज में सहायक है, बल्कि अपने सार रूप में स्वयं ही जीवन का परम लक्ष्य है | वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्यों में भी गायत्री मंत्र की महत्ता को स्वीकार किया है | वेदों पर शोध करने वाले भारत और संसार के अनेक विद्वानों ने माना है कि गायत्री मंत्र एक प्रभावशाली मंत्र है |
गायत्री मंत्र को सद् बुद्धि का मंत्र माना  गया है। इस मंत्र के अक्षरों में ज्ञान-विज्ञान तो भरा हुआ है ही इसके अतिरिक्त इस महामंत्र की रचना भी ऐसे विलक्षण ढंग से हुई है कि इसका उच्चारण एवं साधना करने से शरीर और मन के सूक्ष्म केन्द्रों में छिपी हुई अत्यंत महत्वपूर्ण शक्तियां जागृत होती हैं, जिनके कारण देवी वरदानों की तरह सद् बुद्धि प्राप्त होती है । भारत में सदियों से मान्यता है कि जो गायत्री मंत्र का जप करते हैं वे अनुभव करते हैं कि  कोई अज्ञात शक्ति उनके मन क्षेत्र में प्रकाश, नवीन ज्ञान, और नवीन उत्साह रहस्यमय और आश्चर्यजनक तरीके  से बढ़ा रही है।
(1) गायत्री,  देवी तत्वों से परिपूर्ण बुद्धि का नाम है जिसकी प्रेरणा से मनुष्य कल्याणकारी मार्ग का अनुशरण करता है। वह सात्विक विचार और कार्यों को अपनाता है जिससे उसकी प्रत्येक शक्ति की रक्षा और वृद्धि होती है। उसकी प्रत्येक क्रिया उसे अधिक पुष्ट, शशक्त एवं सुदृढ़ बनाती है और वह प्रतिदिन अधिक शक्ति संपन्न बनता चला  जाता  है। मन में अपरिग्रह, परमार्थ, मैत्री, करुणा, नम्रता , धर्म, श्रद्धा, ईश्वर परायणता आदि की भावना विकसित होती  है। यह भावना जहाँ  रहती है वहाँ  के परमाणु सदैव प्रफुल्ल  और चैतन्य रहतें हैं  । इस प्रकार गायत्री सद् बुद्धि देकर हमारी प्राण रक्षा का सेतु बनती हुई अपने नाम को सार्थक करती है। 
(2) गायत्री एक प्रकाश है, एक आशापूर्ण सन्देश है, एक दिव्य मार्ग है जो हमें समस्त भौतिक, आध्यात्मिक, सांसारिक और मानसिक आनन्दों की खान तक ले जाता है । यह हमारे मुंदे हुए विवेक के तृतीय नैत्र को खोलती है । यह हमें सद् विवेकी बऩाती है जिससे हम इस संसार के वास्तविक स्वरुप को देख सकने में समर्थ होते हैं | 
(3) आत्मा में अनेक ज्ञान-विज्ञान, साधारण, असाधारण, अदभुत, आश्चर्यजनक शक्ति के भण्डार छिपे पड़े हैं, गायत्री मंत्र के जप से वे खुल जाते हैं और जपकर्ता अपने आप को असाधारण शक्ति से भरा हुआ अनुभव करता है। 
(4) सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिये बाहर से कुछ नहीं लाना पड़ता है केवल अंतःकरण पर पड़े हुए आवरण को हटाना पड़ता है। गायत्री की सतोगुणी साधना मानसिक अन्धकार के पर्दे को हटा देती है और आत्मा का सहज ईश्वरीय रूप प्रकट हो जाता है। आत्मा का यह  निर्मल रूप सभी रिद्धि सिद्धियों से परिपूर्ण होता है। 
(5) गायत्री साधना द्वारा हुई सतोगुणों की वृद्धि अनेक प्रकार की आध्यात्मिक और सांसारिक समृद्धियों को जन्म देती है। शरीर और मन  को  शुद्ध बनाती  है जिससे सांसारिक जीवन अनेक प्रकार से सुखी व शांतिमय बन जाता है। 
(6) गायत्री मंत्र का जप व्यक्ति के  विवेक और आत्मबल को बढाता  है जिससे अनेक ऐसी कठिनाइयां  जो दूसरों को पर्वत के समान भारी मालूम पड़ती हैं, उस आत्मवान व्यक्ति के लिए तिनके के समान हल्की बन जाती हैं। उसका कोई कार्य रुका नहीं रहता | या तो उसकी इच्छानुसार परिस्थितियाँ बदल जाती हैं या फिर परिस्थितिनुसार उसकी इच्छा बदल जाती है। क्लेश का कारण इच्छा और परिस्थिति के बीच प्रतिकूलता का होना ही तो है। विवेकवान इन दोनों में से किसी एक को अपनाकर उस संघर्ष को टाल देता है और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है। 
(7) गायत्री सद् बुद्धि की देवी है और साधक उससे सद् बुद्धि की प्रार्थना करता है। इस सद् बुद्धि द्वारा सभी प्रकार के दुखों को मिटाया जा सकता है। सद् बुद्धि के प्रकाश में वे सभी उपाय दिखाई देने लगते हैं जिनको काम में लाने पर दुःख के कारण दूर हो जाते हैं।
(8) गायत्री साधना द्वारा मानसिक परिष्कार, व्यक्तित्व के विकास, दुखों के निवारण और आत्मिक विकास के दिव्य लाभों के अतिरिक्त कई सिद्धियाँ और शक्तियाँ भी प्राप्त होती हैं। इन शक्तियों को क्रमशः अर्जित करते हुए व्यक्ति अनुपम, अद्वितीय व असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी बन जाता है।
(9)गायत्री मंत्र के जप से मानसिक और शारीरिक व्याधियों को दूर करने में भी सहायता मिलती है|
इसी बात की पुष्टि AIIMS (एम्स) के डॉक्टरों ने भी अपने शोध कार्य में की है | उन्होंने अपने शोध में पाया कि जिन लोगों ने तीन महीनों तक प्रतिदिन 108 बार निष्ठा व विश्वाश के साथ गायत्री मंत्र का जप किया , उनके शरीर में खुशी व प्रसन्नता के समय उत्पन्न होने वाले रसायनिक पदार्थ तेजी से बढ़ने लगे | इसी तरह का गाबा नामक रासायनिक पदार्थ भी है जिसकी कमी होने से नींद नहीं आती है और depression अर्थात अवसाद जैसी बीमारयाँ हो जाती हैं | लेकिन गायत्री मंत्र का जप करने वाले लोगों के शरीर में दूसरे सप्ताह में ही  गाबा नामक रासायनिक पदार्थ तेजी से बढ़ने लगा | इसके अतिरिक्त दिमाग में सक्रियता बढाने वाले रसायनिक पदार्थों की मात्रा भी ज्यादा हो गई |
जबलपुर चिकित्सा महाविद्यालय के कार्डियोलॉजी विभाग के रीडर डॉ. रविशंकर शर्मा ने कुछ उच्च रक्त चाप के रोगियों और ह्रदय गति की अनियमतता के रोगियों पर गायत्री मंत्र के जप के प्रभाव का अध्ययन किया और पाया कि जिन लोगों ने गायत्री मंत्र का जप किया उनको इस मंत्र के जप से लाभ हुआ |

Monday 2 March 2020

(6.5.2) Om Namo Naaraanaay

Om Namo Naaraayanaay ॐ नमो नारायणाय 

"ॐ नमो नारायणाय " भगवान् विष्णु का मन्त्र  है।  इस मन्त्र को अष्टाक्षर मंत्र भी कहा जाता है।  विभिन्न धर्म ग्रंथों  के अनुसार इस अष्टाक्षर मन्त्र की महिमा या  महत्व इस प्रकार है -
- यह मन्त्र  समस्त पापों का नाश करने वाला है , समस्त प्रकार के यज्ञों का फल देने वाला है, समस्त दुःख और दोषों की शान्ति  करने वाला है। 
- इस मंत्र के जप करने से  मन शान्त  और निर्मल हो जाता है,  जिससे रचनात्मक विचारों का सृजन होता है।
- कोई भी मरणशील मनुष्य जिसका मरण एक दिन सुनिश्चित , वह इस मन्त्र को जप करके जन्म और संसार बंधन से मुक्त हो जाता है। 
- यह मंत्र जपकर्ता को समस्त सिद्धियाँ  प्रदान करता  है।
- इस मंत्र के जप करने से भौतिक सुख सुविधा, वैभव और ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।
- आर्थिक सम्पन्नता आती है और परिवार में स्नेह का वातावरण निर्मित होता है।