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Thursday, 8 October 2015

(2.3.4) Tenzing Norgey (Life Story of TenZing Norgay in Hindi)

तेनजिंग नोर्गे - परिश्रमी, साहसी और हिम्मती व्यक्ति की जीवनी 

तेनजिंग का जन्म 1914में हुआ था। वह उसके माता  पिता के साथ नेपाल के एक छोटे से गाँव में रहता  था।गाँव में या उसके आस पास कोई विद्यालय नहीं था।गरीबी के कारण उसके माता पिता उसे कस्बे के विद्यालय  में नहीं भेज सके।तेनजिंग उसके बचपन से ही   पहाड़ियों के बीच दिन को बिताना और नए स्थानों का भ्रमण करना पसंद करता था।
1935में ब्रिटिश दल ने उसे भार  वाहक के रूप में चुन लिया। दल एवेरेस्ट पर जाने के लिए तैयार था। तेनजिंग इस दल के साथ गया। वह नोर्थ कोल पहुँचने वाले कुछ शेरपाओं में से एक था। यह एवेरेस्ट के रास्ते में एक महत्वपूर्ण स्थान है। 1935 के बाद तेनजिंग  पर्वतारोहियों के कई दलों में शामिल हुआ। वह हमेशा पर्वतारोहियों के मुख्य दल के साथ रहता था। वह अभी तक भी भार वाहक के रूप में काम करता था लेकिन उसने शीघ्र ही पहाड़ों  पर चढ़ना सीख लिया। उसने 1938 में पर्वतारोहण के लिए मेडल जीता।
कठोर परिश्रम के कारण तेनजिंग एक अच्छा पर्वतारोही बन गया। वह खराब मौसम में भी चढ़ सकता था। वह अपने लिए सबसे मुश्किल कार्य को चुनता था।वह कठिनाई के समय दूसरे भार वाहकों की भी सहायता करता था।
1952 में तेनजिंग एक स्विस पर्वतारोही दल में शामिल हो गया। इस दल ने दो प्रयास किये परन्तु एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने में असफल रहे।दो पर्वतारोही - तेनजिंग और लेम्बर्ट 27500फीट की ऊँचाई तक पहुँच गए।उन्होंने वहाँ बिना स्टोव और बिना स्लीपिंग बैग्स के रात्रि बिताई।उन्होंने अपने आप को गर्म रखने के लिए एक दूसरे  को थप्पड़ लगाई।सुबह  वे नीचे आये।एवरेस्ट  पर चढने का यह तेनजिंग के लिए छठा प्रयास था।
1953 का ब्रिटिश पर्वतारोहियों का प्रयास तेनजिंग के लिए सातवाँ  प्रयास था। इस बार वह शेरपाओं का नेता होने के साथ साथ पर्वतारोही भी था।इस दल ने 27900 फीट की ऊँचाई पर नवां कैंप लगाया। वहाँ से एवरेस्ट की चोटी  पर चढने के लिए प्रयास किया। इस दल ने दो व्यक्तियों को भेजा लेकिन वे चोटी  पर चढने में असफल रहे।फिर तेनजिंग और एडमंड हिलेरी ने  अगला प्रयास किया।उन्होंने सुबह  जल्दी ही कैंप को छोड़ दिया और तीन घंटे तक चढ़ते रहे।वे अब चोटी से केवल 300फीट दूर थे। वे धीरे धीरे चोटी  की  तरफ चढ़ते रहे और लगभग  दो घंटे में वहां  पहुंचे। दो आदमी, तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी 29 मई 1953 को सुबह 11.30 बजे चोटी  पर खड़े थे।वे  29028 फीट की ऊँचाई तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कठिन परिश्रम,दृढ़ निश्चय,साहस और इच्छा शक्ति के कारण सफलता प्राप्त की और संसार में प्रसिद्ध हो गए।
शिक्षा :- कठिन परिश्रम,दृढ़ निश्चय,साहस और इच्छा शक्ति ही सफलता की कुंजी है। 



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