Gangaur - a popular festival of women गणगौर - लोक प्रिय त्यौहार / गणगौर मेला
गणगौर पर्व/ Gangaur festival
गणगौर राजस्थान का एक लोकप्रिय त्यौंहार है, इसे गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में भी मनाया जाता है। 'गण' भगवान शिव का पर्याय है और 'गौर' देवी पार्वती का पर्याय है जो प्रसन्न वैवाहिक जीवन के प्रतीक हैं (कभी कभी 'गण' के स्थान पर 'ईसर जी ' का भी प्रयोग किया जाता है)।यह त्यौंहार महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है।वे अपने घरों में गण(ईसर जी )और गौरी (पार्वती )की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाती हैं।
Why is Gangaur festival celebrated ? गणगौर का पर्व क्यों मनाया जाता है ?
विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु होने के लिए इन प्रतिमाओं की पूजा करती हैं और अविवाहित लडकियाँ अच्छा पति पाने के लिए इन प्रतिमाओं की पूजा करती हैं।
When is Gangaur festival celebrated / How is Gangaur festival celebrated ?गणगौर पर्व कब मनाया जाता है तथा कैसे मनाया जाता है ?
Why is Gangaur festival celebrated ? गणगौर का पर्व क्यों मनाया जाता है ?
विवाहित महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु होने के लिए इन प्रतिमाओं की पूजा करती हैं और अविवाहित लडकियाँ अच्छा पति पाने के लिए इन प्रतिमाओं की पूजा करती हैं।
When is Gangaur festival celebrated / How is Gangaur festival celebrated ?गणगौर पर्व कब मनाया जाता है तथा कैसे मनाया जाता है ?
गणगौर का त्यौंहार होली के अगले दिन अर्थात चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया तक,कुल अठारह दिन तक चलता है। इस अवधि के दौरान विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां प्रतिदिन गण और गौरी की प्रतिमाओं की पूजा करती हैं और कुछ महिलाएं व्रत भी रखती हैं।अठारवें दिन महिलाएं अपने हाथो में मेहन्दी लगाती हैं।गण और गौरी की प्रतिमाओं की पूजा करके अपने सिर पर रखती हैं और गीत गाती हुई पास के तालाब या झील तक जाती हैं और इन प्रतिमाओं को वहाँ विसर्जित कर देती हैं। इस विसर्जन का सम्बन्ध देवी पार्वती को अपने पति के घर के लिए विदाई देने से है।ऐसी मान्यता है कि इन अठारह दिनों में देवी पार्वती अपने पिता के घर आती है और इस अवधि में वहीं ठहरती है। और अठारहवें दिन चैत्र शुक्ल तृतीया को महिलाएं उसे अपने पति के घर के लिए विदा करती हैं।इस विदाई के साथ ही यह त्यौंहार समाप्त हो जाता है।