Trinetra Ganesh Ranthambore / मनोकामना पूरी करने वाले त्रिनेत्र गणेश / त्रिनेत्र गणेश रणथम्भौर
त्रिनेत्र गणेश , रणथम्भौरराजस्थान राज्य के सवाईमाधोपुर नगर के समीप अरावली और विंध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित ऐतिहासिक रणथम्भौर दुर्ग विश्व धरोवर में सम्मिलित है। यह दुर्ग अपनी भव्यता के लिए तो प्रसिद्ध है ही इसके साथ ही दुर्ग के मध्य दक्षिणी परकोटे के कंगूरों पर निर्मित आस्था के प्रतीक प्राचीन गणेश मंदिर के लिए भी विख्यात है। रणथम्भौर दुर्ग में स्थित गणेशजी कई कारणों से विख्यात हैं-
(1) यहाँ गणेशजी त्रिनेत्र रूप में है
इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में स्थित है। यह तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
(2) यह स्वयंभू प्रतिमा है
गणेशजी की यह प्रतिमा स्वयंभू है अर्थात यह स्वनिर्मित है और पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुई है। इस गणेश प्रतिमा का केवल मुख भाग ही प्रकट है , शेष प्रतिमा शिला खण्ड में अदृश्य है।
(3) गणेशजी का पूरा परिवार साथ है
इस मंदिर में गणेशजी अपने पूरे परिवार के साथ हैं अर्थात उनकी पत्नी रिद्धि - सिद्धि और उनके पुत्र लाभ - शुभ के साथ विराजमान हैं। इनका वाहन चूहा भी साथ में है।
(4) गणेश चतुर्थी को मेला लगता है
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी अर्थात गणेश चतुर्थी को प्रतिवर्ष मेला लगता है। दूर - दूर के लोग मनौतियाँ करने और सुख समृद्धि की कामना लेकर यहाँ आते हैं और मनोवांछित फल पाते हैं।
(5) मकान बनाने की मनोकामना पूर्ण करते हैं
गणेश मंदिर के पूर्व की तरफ पठार पर भक्तगण पत्थर का प्रतीक के रूप में मकान बनाते हैं . इस प्रतीकात्मक मकान बनाने के बारे में उनकी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन ऐसा करने से गणेशजी का आशीर्वाद मिलता है और परिणाम स्वरुप उनका स्वयं का मकान बनने का योग बनता है।
(6) खेती की अच्छी पैदावार का आशीर्वाद देते हैं
किसान वर्ग के लोग खेत की बुवाई के पूर्व बुधवार के दिन इस मंदिर में गणेशजी के दर्शन करने आते हैं तथा अपने साथ अनाज - मक्का, बाजरा, जौ, गेहूँ आदि लाते हैं और उन्हें मंदिर के बरामदे पर बने टीन के छत पर फेंकते हैं। जो अन्न टकरा कर बिखरता हुआ नीचे गिर जाता है उसे ही चुनकर अपने साथ ले आते हैं और बुवाई करने के लिए रखे बीज के साथ डाल देते है। वे ऐसा इस विश्वास के साथ करते हैं कि ऐसा करने से उनकी फसल का उत्पादन अच्छा होगा।
(7) शुभ कार्य सम्पन्न होने का आशीर्वाद देते हैं
विवाह , व्यापर या अन्य कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व रणथम्भौर के गणेशजी को निमन्त्रण देने की अति प्राचीन परम्परा है। इसके लिए लोग यहाँ स्वयं उपस्थित होकर अपने शुभ कार्य के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने की प्रार्थना करते हैं और जो व्यक्ति स्वयं वहाँ उपस्थित होकर निमन्त्रण नहीं दे सकते , वे डाक द्वारा गणेशजी के नाम निमन्त्रण पत्र भेजते है। निमन्त्रण पत्र पर पता इस प्रकार लिखा जाता है -
श्री गणेशजी, रणथम्भौर का किला, जिला - सवाईमाधोपुर (राजस्थान) डाकिया भी इन पत्रों को मंदिर के पुजारी तक सम्मान पूर्वक पहुँचा देता है। पुजारी इन पत्रों को भेजने वालों की तरफ से गणेशजी के चरणों में रख देता है। गणेशजी की कृपा से लोगों के सभी शुभ कार्य शांति व सफलता पूर्वक सम्पन्न होते हैं।
जय श्री त्रिनेत्र गणेश।