Shvaling Ki Parikrama Kaise Ki Jati Hai ? Shivling Ki Kitani Parikrama Ki Jati Hai ?Shiv Ling Ki Adhi Parikrama Kyon Ki Jati Hai शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्योंऔर कैसे की जाती है
शिवलिंग की आधी परिक्रमा क्यों और कैसे की जाती हैभगवान शिव की पूजा - अर्चना करने से सम्पूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ती होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिवलिंग की परिक्रमा करना भी शिव पूजा का ही अंग है।
शिवलिंग की परिक्रमा का विधान -
शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का ही विधान है। परिक्रमा करते समय सोम सूत्र लांघा नहीं जाता है। सोमसूत्र से तात्पर्य उस स्थान से है जिस स्थान की ओर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल गिरता है। अतः जो व्यक्ति परिक्रमा करना चाहता है, उसे सोमसूत्र के पास इस तरह खड़ा होना चाहिए जिससे उसका दाहिना हाथ सोमसूत्र और शिवलिंग की तरफ रहे। परिक्रमा करते हुए सोमसूत्र तक जाकर बिना उसे लांघे पीछे मुड़कर वापस उस स्थान तक पहुँच जाये जहाँ से परिक्रमा शुरू की गई थी। इस प्रकार सोमसूत्र के पास से चल कर वापस सोमसूत्र तक आना शिवलिंग की आधी परिक्रमा पूर्ण होती है।
किस स्थिति में सोमसूत्र का लंघन किया जा सकता है -
नित्य कर्म पूजा प्रकाश के पृष्ठ संख्या 297 के अनुसार यदि सोमसूत्र तृण, काष्ठ, पत्थर, ईंट आदि से ढका हुआ हो तो, उस सोमसूत्र का लंघन किया जा सकता है अर्थात लांघा जा सकता है।