विवाह के अबूझ मुहूर्त Vivah Ke Aboojh Mhurat
विवाह के अबूझ मुहूर्त Vivah Ke Aboojh Mhurat (विवाह के मुहूर्तो का श्रेष्ठ विकल्प)
हमारे जीवन में मुहूर्तों का बहुत
अधिक महत्व है. हमारे ऋषि मनीषियों ने गहन चिंतन के बाद किसी भी कार्य को शुरू
करने के लिए जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है, उनके संकलित स्वरुप का नाम
मुहूर्त शास्त्र है.
विवाह मुहूर्त के लिए त्रिबल
शुद्धि यानि सूर्य, गुरु तथा चन्द्रमा के बल और शुद्धि को महत्त्व दिया जाता है.
इसके अतिरिक्त विवाह के मुहूर्त में लता, पात, युति आदि दस दोषों को भी त्यागा जाता है. मुहूर्त
शास्त्र की दृष्टि से इन सभी बातों पर विचार करके यदि विवाह के लिए शुद्ध मुहूर्त
निकला जाये, तो वर्ष में बहुत कम ही मुहूर्त बनते हैं. इन्हीं सब बातों को ध्यान
में रख कर विद्वानों ने विवाह मुहूर्तो के लिए अबूझ विवाह मुहुरतों का विकल्प दिया है.
विवाह के अबूझ मुहूर्त इस प्रकार
हैं –
राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी), अक्षय तृतीया (वैसाख शुक्ल तृतीया) , जानकी नवमी (वैसाख शुक्ल नवमी), पीपल पूर्णिमा (वैसाख शुक्ल पूर्णिमा), गंगा दसमी (जेष्ठ शुक्ल दसमी), भड़ली नवमी (आषाढ़ शुक्ल नवमी), देव प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादसी), बसंत पंचमी ( माघ शुक्ल पंचमी), और फुलेरा दूज (फाल्गुन शुक्ल द्वितीया)
इन अबूझ मुहूर्तों में पंचांग
शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है.