गुरु पुष्यामृत योग या गुरु पुष्य अमृतयोग क्या होता है तथा इसका महत्त्व Importance Guru Pushyaamrit Yog
योग
किसे कहते हैं
मुहूर्त शास्त्र में नक्षत्र तथा
वार या तिथि तथा वार के एक साथ आने से कुछ विशेष योग बनते हैं. ये योग मुहूर्त
शास्त्र के दृष्टिकोण से बहुत महत्त्व रखते हैं. ऐसे योग शुभ भी होते हैं और अशुभ
भी होते हैं. शुभ योग अच्छे तथा अशुभ योग बुरे परिणाम देते हैं. शुभ योग की अवधि
में किया गया कार्य शुभ फल दायक होता है. गुरु पुष्यामृत भी शुभ योगों में एक शुभ
योग है.
गुरु पुष्यामृत योग कैसे बनता है
गुरु पुष्यामृत योग भी एक शुभ योग
है. यह गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के एक साथ आने से गुरु पुष्यामृत योग बनता है.
गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के योग से बनने के कारण ही इसे गुरु पुष्यामृत योग कहा
जाता है.
गुरु पुष्यामृत योग का महत्व
गुरु पुष्यामृत योग अत्यंत ही शुभ
योग है. यह योग सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला योग है. इस योग में
भूमि या मकान खरीदना हो, किसी प्रतिष्ठान का उद्घाटन करना हो, वाहन खरीदना हो, व्यापार या
दूकान शुरू करना हो या अन्य कोई भी शुभ कार्य शुरू करना हो और अन्य कोई उपयुक्त
मुहूर्त नहीं मिल रहा हो तो यह योग यानि गुरु पुष्यामृत योग एक अच्छा विकल्प है.
लेकिन विवाह में गुरु पुष्य वर्जित है.