लक्ष्मी कहाँ रहती है? लक्ष्मी का निवास कहाँ है Where does live? Laxmi Kahan Rahati Hai
लक्ष्मी कहाँ
रहती है?
लक्ष्मी कहाँ
रहती है ? अर्थात धन की देवी
लक्ष्मी कहाँ निवास करती है ? इस संबंध में
धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है.
महाभारत के
उद्योग पर्व के अनुसार धैर्य, मनोनिग्रह, इन्द्रियों को वश
में करना, दया, मधुर वाक्य और
मित्रों से शत्रुता नहीं करना ये सात बातें लक्ष्मी को अर्थात ऐश्वर्य को बढ़ाने
वाली हैं। अर्थात जिस व्यक्ति में ये
गुण हैं, लक्ष्मी वहां रहती है.
इसी प्रकार
महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार जो पुरुष बोलने में चतुर, कर्तव्य कर्म में लगे हुए, क्रोध रहित, श्रेष्ठों के
उपासक, उपकार को मानने
वाले, जितेंद्रिय और पराक्रमी
हैं, उनके यहां भी लक्ष्मी का
निवास होता है।
चाणक्य नीति के
अनुसार जिस घर में मूर्ख व्यक्तियों की पूजा नहीं होती है, जहां अनाज का संचित भंडार रहता है तथा जिस घर में स्त्री और
पुरुष में कलह अर्थात लड़ाई झगड़ा नहीं होता है, उस घर में लक्ष्मी अपने आप सर्वदा विद्यमान रहती है।
हितोपदेश के
अनुसार उत्साही, आलस्य हीन,
काम करने का ढंग जानने वाले, बुराइयों से दूर रहने वाले, बहादुर, उपकार मानने वाले तथा दृढ मित्रता वाले पुरुष के पास
लक्ष्मी यानि धन की देवी निवास करने के लिए स्वयं ही चली आती है ।
एक बार रुकमणी जी
ने लक्ष्मी को चंचला देखकर
पूछा कि हे देवी आप कहाँ
विराजमान रहती हैं ? तो देवी लक्ष्मी
ने उत्तर दिया कि मैं मधुर भाषी, चतुर, अपने कर्तव्य में लीन ,क्रोधहीन, भगवत्परायण, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय और बलशाली पुरुष के पास बराबर बनी रहती
हूँ।
मैं स्वधर्म का
आचरण करने वाले, धर्म की मर्यादा को जानने वाले, वृद्धजनों अथवा गुरुजनों की सेवा
करने में तत्पर रहने वाले, जितेंद्रिय आत्मविश्वासी, क्षमा शील और समर्थ पुरुषों के साथ रहती हूँ. साथ ही जो स्त्रियां सदा सत्यवादिनी, सत्य आचरण
करने वाली, सदा निष्कपट तथा सरल स्वभाव से सम्पन्न हैं, वे भी मुझे बहुत पसंद है.
इसी प्रकार देवता
और गुरुजनों की पूजा करने में लगी हुई और हँसमुख रहने वाली, सौभाग्य युक्त, गुणवती
,पतिव्रता, कल्याण कामिनी और अलंकृत स्त्रियों के पास रहने
में मुझे बड़ा आनंद आता है। और इसके अतिरिक्त नीति मार्ग पर चलने वाले, परिश्रमी तथा
पुण्य कर्म करने वाले गृहस्थ के यहाँ भी मैं टिकी रहती हूँ और ऐसे लोगों का मैं प्रिय पुत्र के समान पालन करती
हूँ ।