नवरात्र / नवरात्रि में घट स्थापना कब, कहाँ और कैसे की जाती है Ghat Sthapana in Navratri
नवरात्र में घट स्थापना
घट स्थापना कब की जाये -
घट स्थापना या कलश स्थापना
नवरात्र के प्रथम दिन की जाती है। घट स्थापना का समय प्रातः काल ही श्रेठ रहता है। परन्तु उस दिन चित्रा नक्षत्र या वैधृति योग रात्रि तक रहे तो या तो
वैधृति योग के तीन अंश त्याग कर घट स्थापना करें या मध्यान्ह के समय अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करें।
घट स्थापना कहाँ करें -
अपने
घर के ईशान कोण ( उत्तर-पूर्व के बीच के कौने ) में करना सबसे श्रेष्ठ है। यदि ऐसा स्थान अपने घर या
आवास में नहीं हो तो घट स्थापना
ऐसे स्थान पर की जाये ताकि देवी का पूजन करते समय व्यक्ति का मुँह पूर्व की तरफ
रहे।
घट
स्थापना / कलश स्थापना कैसे करें -
जब
कलश स्थापना के स्थान का निश्चय हो जाए तब नवरात्रि के प्रथम दिन उस स्थान को साफ़
करें। नदी या झील की रेत या मिट्टी अथवा स्वच्छ स्थान की मिट्टी में जल मिलाकर
वेदी का निर्माण करें। वेदी के ऊपर मिटटी या ताम्बे के कलश को गंगा जल या साफ़ जल से भरकर
स्थापित कर दें। कलश के मुँह पर ढक्कन लगा दें और उस ढक्कन पर चाँवल रख दें फिर इसके ऊपर श्री
फल (नारियल) को लाल वस्त्र में लपेटकर अशोक के पत्तों सहित रख दें। कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं ,अक्षत व पुष्प अर्पित करें। वेदी पर कलश
के चारों तरफ की मिट्टी को थोड़ा पानी डालकर गीला कर दें और उस गीली मिट्टी में जौ
के दाने बो दें। नौ दिन में ये जौ के दाने चार या पांच इंच के पौधे का रूप ले लेते हैं। इन पौधों को जवारा कहा जाता है,
जिनको नवरात्रि समाप्ति के दिन परिवार
के लोगों तथा भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। कलश को यथा विधि स्थापित
करके गणेश आदि का पूजन किया जाता है।
मूर्ति
/ तस्वीर स्थापना -
माँ
भगवती तथा श्री राम एवं श्री हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर को घट के पास
चौकी पर लाल वस्त्र या आसन बिछाकर उसके ऊपर स्थापित करें। तस्वीर को चन्दन, रोली
का तिलक लगाकर अक्षत चढ़ाएं ,धूप
,दीप प्रज्वलित करे।