संख्या बल के बजाय गुणवत्ता को चुनो, जीत निश्चित है Quality vs Quantity/ Mahabharat Ki Shiksha
संख्या बल के बजाय गुणवत्ता को चुनो, जीत निश्चित है Quality vs Quantity/ Mahabharat Ki Shiksha
महाभारत में जब यह तय हो गया कि कौरव और
पांडवों के बीच युद्ध होगा, तब अर्जुन और दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण
से मदद मांगने के लिए द्वारिका गए। पहले दुर्योधन पहुँचा और उसके बाद अर्जुन। जब
वे वहां पहुंचे तो उस समय कृष्ण सो रहे थे। इसलिए दोनों उनके जागने की
प्रतीक्षा करने लगे। कुछ देर बाद श्री कृष्ण की आंखें खुली तो उन्होंने सबसे पहले
अर्जुन को देखा क्योंकि वह कृष्ण के पैरों के पास बैठा हुआ था। दुर्योधन पर श्री
कृष्ण की नजर नहीं पड़ी क्योंकि वह उनके सिर के पास खड़ा था। अर्जुन ने श्री कृष्ण
से कहा कि वासुदेव मैं आपसे युद्ध के लिए मदद मांगने के लिए आया हूं। तभी दुर्योधन
ने भी कहा कि कृष्ण, मैं भी आपसे मदद मांगने के लिए आया हूं और मैं अर्जुन से पहले यहां
आया हूं इसलिए पहले आपको मेरी मदद करनी चाहिये। श्री कृष्ण ने कहा कि मैंने अर्जुन
को पहले देखा है इसलिए इसकी सहायता करनी होगी। परंतु तुम अर्जुन से पहले आए हो इसलिए अब
मुझे तुम दोनों की मदद करनी होगी। अब मेरे पास तुम दोनों के लिए दो विकल्प हैं। एक
तरफ मैं रहूंगा और दूसरी तरफ मेरी पूरी नारायणी सेना रहेगी। तुम दोनों तय कर लो कि
किसे क्या चाहिए. लेकिन ध्यान रहे मैं युद्ध में शस्त्र नहीं उठाऊंगा। जिसे जो चाहिए
चुन ले।
एक तरफ संख्या बल था और दूसरी तरफ अकेले
और निहत्ते श्री कृष्णा लेकिन गुणवत्ता से भरपूर थे। अर्जुन ने कहा मुझे तो आपका
साथ चाहिए। यह सुनते ही दुर्योधन प्रसन्न हो गया क्योंकि उसे नारायणी सेना ही चाहिए
थी। उस समय नारायणी सेना बहुत ताकतवर और घातक मानी जाती थी। श्री
कृष्ण ने दोनों की इच्छा अनुसार मदद करने के लिए सहमति दे दी। अर्जुन ने गुणवत्ता
यानि क्वालिटी को चुना और दुर्योधन ने संख्या बल यानि क्वांटिटी को चुना। लेकिन
युद्ध का परिणाम क्या हुआ यह सभी जानते हैं। इसलिए जीवन में संख्या बल के बजाय गुणवत्ता
को चुनो। जीत निश्चित है, सफलता निश्चित है