नव संवत्सर / हिन्दू नव वर्ष Nav Samwatsar/Hindu New Year
नव संवत्सर / हिन्दू नव वर्ष
स्मृतिसार तथा श्रुति के अनुसार संवत्सर उसे कहते
हैं जिसमें मासादि भलीभाँति निवास करते हैं। इसका दूसरा अर्थ है बारह
माह का काल विशेष अर्थात एक वर्ष का समय संवत्सर कहलाता है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल
प्रतिपदा से शुरू होने वाला वर्ष नव संवत्सर या हिन्दू नव वर्ष के नाम से जाना
जाता है। नव संवत्सर के बारे में
मुख्य - मुख्य बातें इस प्रकार हैं -
(1)हिन्दू नव वर्ष (नव संवत्सर
)चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है।
(2)प्रत्येक संवत्सर का अपना
नाम होता है साथ ही उस संवत्सर का राजा,मंत्री, सस्येश (खरीफ की फसल का स्वामी), मेघेश (वर्षा का स्वामी), फलेश (फलों का स्वामी) आदि दस अधिकारी होते हैं।
उस वर्ष का फल अर्थात वर्षा, अन्न उत्पादन, फल उत्पादन आदि इन दस अधिकारियों की नैसर्गिक प्रकृति के अनुसार ही
रहता है।
(3 )श्री ब्रह्म पुराण के
अनुसार ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को
प्रवरा अर्थात सर्वोत्तम तिथि मानकर इसी दिन से सृष्टि की रचना का कार्य प्रारम्भ
किया था। इसलिए इस दिन को सृजन और
उत्साह का दिवस भी माना जाता है।
(4) इसी दिन राजा विक्रमादित्य
ने विक्रम संवत प्रारम्भ किया था।
(5)शक्ति संचय का पर्व बसंत
नवरात्र भी इसी दिन प्रारम्भ होता है।
(6 ) महाराष्ट्र में इसी दिन
गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाया जाता है।
(7 ) आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों में इस दिन को उगादि पर्व के रूप में मनाया जाता है।
(8 )चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
प्रवरा तिथि होने इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी माना जाता है। अर्थात किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए इस दिन को शुभ माना
जाता है। इस दिन पंचांग शुद्धि देखने
की आवश्यकता नहीं है।
(9)महर्षि गौतम की
जयन्ती भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनायी जाती है .
इस प्रकार
नवसंवत्सर – हिन्दू नव वर्ष कई महत्वपूर्ण विषयों और घटनाओं का दिवस है .
इस मांगलिक अवसर
पर परिचितों, मित्रों, रिश्तेदारों आदि को शुभ कामनाएं दें .