अधिक मास में क्या करें, कौन से कार्य करें /पुरुषोत्तम मास में क्या करें/ Adhik Maas Me Kya Kare
अधिक मास में कौन से कार्य करें
सनातन पंचांग के अनुसार जब किसी वर्ष में अधिक मास
होता है तो उस वर्ष में बारह माह के स्थान
पर तेरह महीनें हो जाते हैं. यह तेरहवाँ महीना ही अधिक मास कहलाता है. इस अधिक मास
को मल मास, अधि मास, पुरुषोत्तम मास आदि के नाम से भी जाना जाता है. अधिक मास
प्रति तीसरे वर्ष आता है.
हिन्दू मान्यता के अनुसार अधिक मास विशेष महत्त्व
का महिना है. भगवान् विष्णु ने स्वयं ने इसको पुरुषोत्तम मास का नाम दिया है. इस
मास में जो भी धार्मिक कार्य किये जायें, वे निष्काम और निस्वार्थ भाव से किये
जाने चाहिए. अधिक मास में किये जाने वाले मुख्य – मुख्य कार्य इस प्रकार हैं –
देवी भागवत, श्री विष्णु पुराण, श्रीमदभागवत,
हरिवंश पुराण, रामायण आदि धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना या उनका श्रवण करना चाहिए.
अधिक मास में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, विष्णु
स्तोत्र, गायत्री मन्त्र या गुरु मन्त्र का जप करना चाहिए.
अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान् विष्णु हैं, इसलिए
इस मास में भगवान् विष्णु के मन्त्रो, स्तोत्रों आदि का जप करना चाहिए.
अधिक मास में व्रत – उपवास किये जाने का विशेष
महत्त्व है. इस महिने में किये गए व्रत, उपवास, स्नान, पूजन आदि का का अक्षय फल
होता है. इसलिए व्रत- उपवास करने चाहिए.
देवी भागवत के अनुसार अधिक मास में किये गए दान –
पुण्य विशेष फलदायी होते हैं.
अधिक मास में सात्विक जीवन और सदाचरण का विशेष महत्व
है.