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Sunday, 9 March 2025

(6.2.15) Ganesh Chaturthi / Ganesh Chaturthi Par Bhashan

 गणेश चतुर्थी  Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी पर भाषण Speech on Ganesh Chaturthi गणेश जन्मोत्सव

गणेश चतुर्थी - भगवान्  गणेश का जन्म दिवस

बुद्धि और विवेक के प्रतीक तथा प्रथम पूज्य भगवान् गणेश का अवतरण भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।  इसलिए इस दिन को भगवान् शिव और देवी  पार्वती  के पुत्र  गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।  यह भारत के सभी भागों में मनाया जाने वाला लोकप्रिय त्योंहार है।  इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।  इस उत्सव में लोग गणेश जी की प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं और अगले दस दिन तक पूरी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ गणेश प्रतिमा की पूजा करते हैं। इस पूजा में लड्डू, फल, फूल, नारियल, सिन्दूर तथा दूब आदि काम में लेते हैं। ग्यारहवें दिन अनन्त चतुर्दशी को इस प्रतिमा का विसर्जन करते हैं और बुद्धि तथा समृद्धि के देवता गणेश जी को अगले वर्ष दुबारा आने की प्रार्थना करते हैं।  

 

गणेश जी समृद्धि, बुद्धि और सफलता के देवता हैं। उन्हें विघ्न विनाशक के रूप में जाना जाता है।  वे प्रथम पूजनीय हैं। उनकी पूजा करके कार्य शुरू करने से कार्य की समाप्ति तक कोई बाधा नहीं आती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, उन्हें बुद्धि विधाता भी कहा जाता है। माता पिता का स्नेह जीतने की बात हो या देवताओं में श्रेष्ठ पद पाने की बात हो या वेद व्यास जी के साथ महाभारत लेखन की बात हो, गणेश जी अपनी तीव्र बुद्धि से विजय प्राप्त करते हैं।

वेद व्यास जी ने गणेश जी से  महाभारत को लिपिबद्ध करने का आग्रह किया।  गणेश जी ने उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया।  वेद व्यास जी श्लोक बोलते थे और गणेश जी लिखते थे।  इस प्रकार  तीन वर्ष के अनवरत लेखन के बाद उन्होंने एक लाख श्लोकों वाले महाभारत जैसे  विराट महाकाव्य को लिपिबद्ध कर दिया। महाभारत को लिपिबद्ध करने जैसा दुष्कर कार्य उनकी यानि गणेश जी की कार्य के प्रति प्रतिबद्धता और अपने वचन के प्रति ढृढ़ता का प्रतीक है। 

देवी सरस्वती के साथ उनका पूजन किये जाने का विधान यह सिद्ध करता है कि गणेश जी की बुद्धि और सरस्वती की वाणी दोनों मिलकर कार्य सिद्धि करते हैं।  गणेश जी समृद्धि के देवता भी हैं।  सुख, सम्पदा और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी के साथ इनका पूजन भी किया जाता है। 

भगवान् गणेश का स्वरूप अत्यंत मनोहर और मंगलकारी है।  उनके  चार भुजाएं हैं, जो चारों  दिशाओं में उनकी व्यापकता का प्रतीक हैं।  वे लम्बोदर हैं क्योंकि पूरा ब्रह्माण्ड उनके उदर में समाया हुआ है।  उनका  हाथी जैसा बड़ा  सिर  उत्तरदायित्वों के बोझ को सहन करने का प्रतीक है।  यह हमें चिंतनशील, विचारवान और विवेकी व्यक्ति बनाने के लिए भी प्रेरित करता है। उनकी छोटी और पैनी आँखें सूक्ष्म और तीक्ष्ण दृष्टि की प्रतीक हैं।  उनकी लम्बी सूण्ड  हमेशा हिलती  रहती है जो गतिशीलता की परिचायक है। . 

गणेश जी के स्वरुप की ये विशेषताएं एक कुशल एवं सफल नायक की विशेषताएं हैं।  ऐसी विशेषताएं ही उन्हें गणनेता  व गणनायक बनाती  हैं।  उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि भी इसमें सहायक होती हैं।  रिद्धि का अर्थ है, हर प्रकार के साधन और समृद्धि तथा  सिद्धि का अर्थ है सफलता।  उनके पुत्र हैं शुभ और लाभ।  शुभ, श्रेष्ठता और कल्याण का प्रतीक है जबकि लाभ - सौभाग्य और  सफलता का प्रतीक है। 

ऐसे गण नायक का आशीर्वाद और  कृपा सभी को प्राप्त हो।