कार्तिक स्नान, कार्तिक मास में स्नान का महत्व Kartik Maas Me Snaan Ka Mahatva aur uska phal
धर्म कर्म आदि की साधना के लिए स्नान करने की सदैव आवश्यकता
रहती है। इसके सिवा आरोग्य की अभिवृद्धि और उसकी रक्षा के लिए भी नित्य स्नान से
कल्याण होता है। विशेषरूप से माघ, बैशाख और कार्तिक मास में नित्य स्नान बहुत अधिक महत्व रखता
है। मदन पारिजात में लिखा है कि कार्तिक मास में जितेन्द्रिय रहकर नित्य स्नान
करें और हविष्य अर्थात जौ, गेहूं तथा
दूध, दही और घी
आदि का दिन में एक बार भोजन करें तो उसे व्यक्ति के सब पाप दूर हो जाते हैं।
कार्तिक मास को पुण्य मास कहा गया है। इस माह में जितने भी पुण्य कार्य किए जाते हैं उनका
विशेष महत्व बताया गया है। इस माह में प्रातः तारों की छांव में स्नान का बहुत
अधिक महत्व है पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक स्नान करने से अत्यधिक फल
प्राप्त होता है सामान्य दिनों में 1000 बार तथा प्रयाग में कुंभ के दौरान
गंगा स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से
पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह के स्नान की शुरुआत शरद
पूर्णिमा से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। इस मास भगवान
विष्णु जल के अंदर निवास करते हैं इसलिए इस महीने में किसी भी नदी एवं तालाब में
स्नान करने से भगवान विष्णु की पूजा और साक्षात्कार का पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
यदि नदी या तालाब में स्नान नहीं किया जा सके तो घर पर शुद्ध पानी में थोड़ा गंगाजल
मिलाकर उस पानी से स्नान करना चाहिये।