Wednesday 3 July 2024

(7.3.4) राहु काल क्या होता है? राहुकाल किसे कहते हैं? What is Rahukaal

 राहु काल क्या होता है? राहुकाल किसे कहते हैं? What is Rahukaal

राहुकाल क्या होता है - 

राहुकालदो शब्दों से मिलकर बना है, एक शब्द हैराहुजो एक अशुभ और पाप ग्रह है और दूसरा शब्द है, ‘कालजिसका अर्थ होता है, ‘समयअर्थात वह समायावधि जिसका स्वामी राहु होउस कालखंड को या समयावधि को राहुकाल कहा जाता है।

दक्षिण भारत में इसकी  यानि राहुकाल की बहुत अधिक मान्यता है . अब धीरे-धीरे उत्तर भारत में भी इसको माना जाने लगा है। 

हिंदू मान्यता के अनुसार सभी शुभ कार्य शुभ समय में ही करने की प्रथा है। लेकिन कुछ कालखंड या समयावधि ऐसी आती है जो अशुभ होती है। राहुकाल भी अशुभ काल कहलाता है। इसलिए इस समय अवधि में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है।

राहुकाल की गणना कैसे की जाती है?

सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य, दिन के आठ बराबर भागों में से प्रतिदिन कोई न कोई एक भाग राहुकाल होता है। यानि किसी भी स्थान के  सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य की कुल समय अवधि को निकाल कर उस अवधि को 8 बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन आठ भागों में से  एक भाग की समय अवधि राहुकाल की अवधि होती है। यह अवधि प्रतिदिन के वार के अनुसार अलग अलग होती है।

जैसे किसी शहर या स्थान पर सूर्योदय सुबह 6:00 बजे और सूर्यास्त शाम को 6:00 बजे हो तो यह सूर्योदय से सूर्यास्त की अवधि 12 घंटे की हुई। इस 12 घंटे की अवधि को आठ भागों में बराबर विभाजित करें  तो प्रत्येक भाग 1 घंटा और 30 मिनट का होगा। इन आठ भागों में से पहला भाग राहुकाल से मुक्त रहता है और अन्य सात भागों में से एक भाग राहु काल का होता है। यह भाग या खंड वार के अनुसार प्रतिदिन बदलता रहता है, जैसे सोमवार को दूसरा भाग राहुकाल होगा, मंगलवार को सातवां भाग, बुधवार को पांचवा भाग, गुरुवार को छठा भाग, शुक्रवार को चौथा भाग, शनिवार को तीसरा भाग और रविवार को आठवां भाग राहुकाल होगा।

सप्ताह में राहु काल का समय इस प्रकार रहता है - 

सोमवार को प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक 

मंगलवार को सायं 3:00 बजे से 4:30 तक

बुधवार को दिन में 12:00 बजे से 1:30 तक

गुरुवार को दिन में 1:30 से 3:00 बजे तक

शुक्रवार को सुबह 10:30 से 12:00 तक 

शनिवार को सुबह 9:00 बजे से 10:30 तक

रविवार को सायंकाल 4:30 से 6:00 बजे तक।

लेकिन दिन छोटा या बड़ा होगा तो राहुकाल की अवधि भी छोटी या बड़ी होती रहती है। जैसे, किसी दिन सोमवार को सूर्य 7:19 पर उदय हो और 6:03 पर अस्त हो तो इस दिन का दिनमान यानी पूरे दिन की अवधि 10 घंटे और 44 मिनट की होगी अब इसे 8 बराबर भागों में बांटने पर प्रत्येक भाग 1 घंटा और 20 मिनट का होगा अतः उस दिन सोमवार को राहुकाल 8:39 बजे से 9:59 तकरहेगा .

राहुकाल में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए यानि कौन से कार्य वर्जित हैं

राहुकाल में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नया व्यापार शुरू करना, वाहन खरीदना, किसी वस्तु का क्रय विक्रय करना, गृह आरंभ करना, किसी नवीन कार्य की  शुरुआत आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. 

लेकिन जो कार्य पहले से ही चल रहें हो तो उन कार्यों को जारी रखा जा सकता है या ऐसा कार्य जिसे राहुकाल के पहले शुरू कर दिया गया हो तो उसे भी जारी रखा जा सकता है. इस राहुकाल में दैनिक पूजा पाठ किये जा सकते हैं. विशेष रूप से राहु से पूजा, मंत्र जप आदि विशेष फलदायी होते हैं. कोर्ट केस, वाद विवाद और बहस भी इस राहुकाल के समय में की जा सकती है.

सामान्यतया  राहुकाल की  दिन के समय ज्यादा मान्यता की गई है लेकिन कुछ लोग राहुकाल को रात्रि की अवधि के लिए भी मानते हैं. हालाँकि रात को राहुकाल  मानने की परम्परा कम लोकप्रिय है क्योंकि अधिकांश महत्वपूर्ण और शुभ कार्य दिन के समय आरंभ किए जाते हैं. फिर भी यदि  रात्रि के समय भी राहुकाल की गणना करना हो तो सूर्यास्त तथा अगले दिन सूर्योदय के बीच की अवधि को आठ भागों में विभाजित करके की जा सकती है.