Ramayan / Raamaayan / रामायण - एक अनुपम महाकाव्य / रामायण के बारे में प्रमुख बातें
> रामायण आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा संस्कृत में रचित एक अनुपम महाकाव्य है।यह भूतल का आर्ष ग्रन्थ है। इसमें भगवान् राम की मर्यादाओं के आदर्श का निरूपण हुआ है।> वाल्मीकीय रामायण की वेदतुल्य प्रतिष्ठा है। ब्रह्मा जी के वरदान से ही इस दिव्य महाकाव्य का प्राकट्य हुआ है। यह भूतल का प्रथम महा काव्य है।
> रामायण के रचियेता महर्षि वाल्मीकि प्रचेता के पुत्र हैं। स्कन्द पुराण में इन्हें जन्मान्तर में व्याध बतलाया गया है। व्याध जन्म के पहले भी ये स्तम्भ नाम के श्रीवत्स गोत्रीय ब्राह्मण थे। व्याध जन्म में शङ्ख ऋषि के सत्संग से तथा राम नाम के जप से दूसरे जन्म में ये अग्नि शर्मा हुए। लेकिन व्याघ्यों की संगति से व्याध कर्म में लग गए। फिर सप्त ऋषियों के सत्संग से ये 'मरा - मरा' जप कर - बांबी पड़ने से ये वाल्मीकि नाम से विख्यात हुए और उन्होंने आर्ष ग्रन्थ वाल्मीकीय रामायण की रचना की।
> भक्ति, ज्ञान , सदाचार , सत - नीति, जप, तप, उपासना ,तथा नाम -महिमा के गौरव से यह ग्रन्थ भरा पड़ा है।
> रामायण में 24 00 हजार श्लोक हैं।
> रामायण में सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। इन कांडों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड , लंकाकाण्ड (युद्ध काण्ड), उत्तर काण्ड।
> रामायण के सारे चरित्र (पात्र ) अपने धर्म का पालन करते हैं।