Friday 10 May 2024

( 7.1.24 )अस्त ग्रह क्या होता है ? ग्रह अस्त कब होता है? अस्त ग्रह का परिणाम क्या होता है?Ast Graha Kya Hote Hain

अस्त ग्रह क्या होता है ?  ग्रह अस्त कब होता है? अस्त ग्रह का परिणाम क्या होता है?Ast Graha Kya Hote Hain

अस्त ग्रह क्या होता है ?What is Ast Graha


सभी ग्रह सौरमंडल में अपने-अपने परिक्रमा पथ पर परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करते समय कोई भी ग्रह सूर्य के इतना निकट आ जाए कि वह सूर्य के तेज और उसके ओज से प्रभावहीन हो जाए तो ऐसे ग्रह को अस्त ग्रह कहा जाता है। कोई भी ग्रह सूर्य के जितना नजदीक आता है उतना ही अधिक अस्त होता है और उतना ही अधिक बलहीन और ओजहीन हो जाता है।

ग्रहों के अस्त होने से उनके नैसर्गिक कारकत्व में कमी आ जाती है और वह अपना प्रभाव दिखाने में सक्षम नहीं रहता है। वह यानि अस्त ग्रह जिस भाव का स्वामी होता है और जिस भाव में स्थित होता है उनसे संबंधित फलों में भी विलंब और कमी करता है चाहे वह ग्रह कुंडली में उच्च राशि में हो या स्वराशि में हो अथवा मूल त्रिकोण राशि में ही क्यों न हो।

ग्रह कब अस्त होते हैं ?

सूर्य कभी भी अस्त नहीं होता है। 

राहु और केतु छाया ग्रह हैं ये भी कभी अस्त नहीं होते हैं।

जब चंद्रमा परिक्रमा पथ पर परिक्रमा करता हुआ सूर्य के अंशों से 12 अंश अथवा इससे भी अधिक निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

मंगल ग्रह सूर्य के अंशों से 17 अंश या इससे अधिक निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

बुध सूर्य के अंशों से 13 अंश या इससे अधिक निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

गुरु सूर्य के अंशों से 11 अंश या इससे अधिक निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

शुक्र सूर्य के अंशों  से 9 अंश  या अधिक नजदीक आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

शनि सूर्य के अंशों से 15 अंश या अधिक निकट आ जाता है तो वह अस्त हो जाता है।

अस्त ग्रह का संबंधित अन्य बातें -

पहला - 

कोई भी ग्रह सूर्य के अधिक निकट होने से वह ग्रह अधिक बलहीन हो जाता है और कम निकट होने से अपेक्षाकृत थोड़ा सा कम बलहीन होता है। जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र सूर्य से 9 अंश पर अस्त है और किसी अन्य व्यक्ति के कुंडली में शुक्र 2 अंश पर अस्त है तो दोनों प्रकार के अस्त शुक्र के फलों में काफी अंतर होता है।

दूसरा - 

कोई भी ग्रह अस्त अवस्था में है परंतु वह किसी शुभ भाव में स्थित है अथवा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो उसके अस्त होने पर भी खराब परिणाम में कमी आ जाती है।

तीसरा - 

कोई भी अस्त ग्रह किसी पाप ग्रह से संबंध बनाए तो वह काफी खराब परिणाम दिखाता है।