रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार और उनके लाभ Rudraksh Ke Prakaar Aur Laabh / Benefits of Rudraksh
गीताप्रेस द्वारा
प्रकाशित संक्षिप्त शिवपुराण के विश्वेश्वर संहिता के अध्याय 25 के अनुसार एक बार भगवान शिव
ने देवी पार्वती से कहा कि हे देवी, रुद्राक्ष अनेक प्रकार के होते हैं। उनके मुखों के
अनुसार उनका वर्गीकरण किया गया है और इसी आधार पर उनका महत्व और फल भी मिलता है।
तुम उत्तम भाव से उनका परिचय सुनो -
एक मुख वाला रुद्राक्ष
साक्षात शिव का स्वरूप है, वह भोग और मोक्ष रूपी फल
प्रदान करता है। जहाँ इस रुद्राक्ष की पूजा
होती है, वहाँ से लक्ष्मी दूर नहीं
जाती है। उस स्थान के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं तथा वहाँ रहने वाले लोगों की
संपूर्ण कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
दो मुख वाला रुद्राक्ष
देव देवेश्वर कहा गया है वह संपूर्ण मनोकामनाओं और फलों को देने वाला है। इस
रुद्राक्ष को “ॐ नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
तीन मुख वाला रुद्राक्ष
सदा साक्षात साधन का फल देने वाला है, उसके प्रभाव से सारी विद्यायें प्रतिष्ठित होती हैं।
इस रुद्राक्ष को “ॐ क्लीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
चार मुख वाला रुद्राक्ष
साक्षात ब्रह्मा का रूप है। वह दर्शन और स्पर्श से शीघ्र ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों को
देने वाला है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
पांच मुख वाला रुद्राक्ष
साक्षात् कालाग्नि रूद्र रूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देने
वाला और संपूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है। यह समस्त पापों को दूर करता
है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
छः मुखों वाला रुद्राक्ष
कार्तिकेय का स्वरूप है। यदि दाहिनी बाँह में उसे धारण
किया जाए, तो धारण करने वाला पापों
से मुक्त हो जाता है इसमें कोई संशय नहीं है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हुं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
सात मुख वाला रुद्राक्ष
अनंग स्वरूप और अनंग नाम से ही प्रसिद्ध है। हे देवी, उसको धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है।
इस रुद्राक्ष को “ॐ हुं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
आठ मुख वाला रुद्राक्ष
अष्टमूर्ति भैरव रूप है। उसको धारण करने से मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्यु के
बाद शूलधारी शंकर हो जाता है।
इस रुद्राक्ष को “ॐ हुं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
नौ मुख वाले रुद्राक्ष को
भैरव तथा कपिल मुनि का प्रतीक माना गया है तथा नौ रूप धारण करने वाली महेश्वरी
दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गई है। जो मनुष्य भक्ति भाव से अपने बाएं हाथ
में नौ मुख वाले रुद्राक्ष को धारण करता है, वह निश्चित ही मेरे समान सर्वेश्वर हो जाता है, इसमें संशय नहीं है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हुं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
दस मुख वाला रुद्राक्ष
साक्षात भगवान विष्णु का रूप है। उसको धारण करने से मनुष्य की संपूर्ण कामनाएं
पूर्ण हो जाती हैं। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
ग्यारह मुख वाला जो
रुद्राक्ष है, वह रूद्र रूप है। उसको
धारण करने से मनुष्य सर्वत्र विजय होता है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हुं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
बारह मुख वाले रुद्राक्ष को केश प्रदेश में धारण करे। उसके
धारण करने से मानो मस्तक पर बारह आदित्य विराजमान हो जाते हैं। यह अपार शक्ति और आरोग्य प्रदान करता है। इस रुद्राक्ष को “ॐ क्रौं क्षौ रौं
नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वे देवों
का स्वरूप है। उसको धारण करके मनुष्य संपूर्ण
अभीष्टों को पाता है तथा सौभाग्य और मंगल का लाभ करता है। इस रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।
चौदह मुख वाला जो
रुद्राक्ष है, वह परम शिव रूप है। उसे
भक्ति पूर्वक मस्तक पर धारण करे। यह समस्त प्रकार की सफलता प्रदान करता है। इससे समस्त पापों का नाश हो जाता है। इस रुद्राक्ष को “ॐ नमः” बोल कर धारण करना चाहिये।