गुरु ग्रह कब अस्त होता है Guru Kab Ast Hota Hai गुरु कब उदय होता है/ गुरु का अस्त व उदय होना गुरु तारा कब डूबता है
कोई भी ग्रह कब अस्त होता है
आकाश मण्डल में कोई भी ग्रह अपनी गति
से भ्रमण करता हुआ जब सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है, तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपनी आभा
या चमक या शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह ग्रह आकाश में दिखाई देना बंद हो जाता
है। ग्रह की
इस स्थिति को उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने की
स्थिति में उस ग्रह के बल में कमी आ जाती है।
गुरु कब अस्त होता है
जब गुरु, जिसे बृहस्पति भी कहा जाता
है, अपनी गति से भ्रमण करता हुआ सूर्य के निकट आ जाता है और सूर्य से गुरु की दूरी
11 डिग्री या इससे कम हो जाये तो गुरु
ग्रह अस्त हो जाता है। इस स्थिति में गुरु के निमग्न होने के कारण दिखाई नहीं देता
है। इसी घटना
को या स्थिति को गुरु का अस्त होना कहा जाता है। इसी प्रकार जब गुरु ग्रह सूर्य से दूर
हट जाता है अर्थात गुरु की सूर्य से दूरी 11 डिग्री से अधिक हो जाये तो गुरु दिखाई
देने लगता है। इसे ही गुरु का उदय होना कहा जाता है।
गुरु के अस्त होने से तीन दिन पूर्व तक का समय गुरु
का वृद्धत्व काल कहलाता है और गुरु के उदय होने के तीन दिन बाद तक के समय को गुरु
का बाल्यत्व काल कहा जाता है। गुरु के अस्त कालांश तथा वृद्धत्व काल और बाल्यत्व काल में कोई भी
शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं।