गणेशाष्टक Ganeshashtak in Hindi गणेशाष्टक – कार्य सिद्धि और समृद्धि हेतु
गणेशाष्टक – कार्य सिद्धि और समृद्धि हेतु
जिन
अनन्त शक्ति वाले परमेश्वर से अनन्त जीव प्रकट हुए हैं, जिन निर्गुण परमात्मा से
अप्रमेय (असंख्य) गुणों की उत्पत्ति हुई है, सात्विक, राजस और तामस – इन तीनों
भेदों वाला यह सम्पूर्ण जगत जिससे प्रकट एवं भासित हो रहा है, उन गणेश का हम सदा
नमन एवं भजन करते हैं.
जिनसे
इस समस्त जगत का प्रादुर्भाव हुआ है, जिनसे कमलासन ब्रह्मा, विश्व व्यापी विश्व
रक्षक विष्णु, इन्द्र आदि देव समुदाय एवं मनुष्य प्रकट हुए हैं, उन गणेश का हम सदा
ही नमन एवं भजन करते हैं.
जिनसे
अग्नि और सूर्य का प्राकट्य हुआ है, पृथ्वी, जल, समुद्र, चन्द्रमा, आकाश और वायु
का प्रादुर्भाव हुआ है तथा जिनसे स्थावर – जंगम और वृक्ष समूह उत्पन्न हुए हैं, उन
गणेश का हम सदा नमन एवं भजन करते हैं.
जिनसे
दानव, किन्नर और यक्ष समूह प्रकट हुए हैं, जिनसे हाथी और हिंसक जीव उत्पन्न हुए
हैं तथा जिनसे पक्षियों, कीटों और लता – बेलों का प्रादुर्भाव हुआ है, उन गणेश का
हम सदा ही नमन और भजन करते हैं.
जिनसे
मुमुक्ष को बुद्धि प्राप्त होती है और अज्ञान का नाश होता है. जिनसे भक्तों को
संतोष देने वाली सम्पदा प्राप्त होती है तथा जिनसे विघ्नों का नाश और समस्त
कार्यों की सिद्धि होती है, उन गणेश का हम सदा नमन और भजन करते हैं.
जिनसे
पुत्र - सम्पत्ति सुलभ होती है, जिनसे मनोवांछित अर्थ सिद्ध होता है, जिनसे
अभक्तों को अनेक प्रकार के विघ्न प्राप्त होते हैं तथा जिनसे शोक, मोह और काम
प्राप्त होते हैं, उन गणेश का हम सदा नमन और भजन करते हैं.
जिनसे
अनन्त शक्ति सम्पन्न सुप्रसिद्ध शेषनाग प्रकट हुए, जो इस पृथ्वी को धारण करने एवं
अनेक रूप ग्रहण करने में समर्थ हैं, जिनसे अनेक प्रकार के अनेक स्वर्गलोक प्रकट
हुए, उन गणेश का हम सदा नमन और भजन करते हैं.
जिनके
विषय में वेदवाणी कुण्ठित है, जहाँ मन की भी पहुँच नहीं है तथा श्रुति सदा सावधान
रहकर “नेति – नेति” इन शब्दों द्वारा जिनका वर्णन करती है, जो सच्चिदानन्द स्वरुप
परब्रह्म हैं, उन गणेश का हम सदा नमन और भजन करते हैं.
फलश्रुति
–
जो
मनुष्य तीन दिन तक तीनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र का पाठ करेगा, उसके सारे
कार्य सिद्ध हो जायेंगे. जो आठ दिन तक इन आठ श्लोकों का एक एक बार पाठ करेगा और
चतुर्थी तिथि को इस स्तोत्र को आठ बार पढ़ेगा, वह आठों सिद्धियों को प्राप्त कर
लेगा. जो एक माह तक प्रतिदिन दस – दस बार इस स्तोत्र का पाठ करेगा, वह कारागार में
बंधे हुए तथा राजा के द्वारा वध – दण्ड पाने वाले कैदी को भी छुड़ा लेगा, इसमें कोई
संदेह नहीं है. इस स्तोत्र का इक्कीस बार पाठ करने से विद्यार्थी विद्या,
पुत्रार्थी पुत्र तथा कामार्थी समस्त मनोवांछित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है. जो
मनुष्य पराभक्ति से इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह गजानन का परम भक्त हो जाता
है.