Thursday, 10 August 2023

(6.4.14) हनुमानजी का नाम हनुमान कैसे पड़ा Hanuman ji ka Hanuman Naam Kaise Hua

हनुमानजी का नाम हनुमान कैसे पड़ा Hanuman ji ka Hanuman Naam Kaise Hua

हनुमानजी का नाम हनुमान कैसे पड़ा

हनुमान अंक के पृष्ठ संख्या 250 – 251 के अनुसार - 

एक बार की बात है हनुमान जी की माता अंजना बालक हनुमान को पालने में लिटा कर वन में फल - फूल लेने चली गयीं. हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुए सूर्य को फल समझ कर उसे पकड़ने के लिए आकाश में उड़ने लगे. सूर्यदेव ने भगवान् शिव के अंशावतार हनुमान जी को अपनी तरफ आते देख कर अपनी गर्म किरणों को शीतल कर लिया.

हनुमान जी को सूर्य की तरफ जाता देख राहु इन्द्र के पास गया और इस घटना की सूचना इन्द्र को दी. इन्द्र राहु को साथ लेकर सूर्य की तरफ चल पड़े. राहु को देखकर हनुमान जी सूर्य को छोड़ कर राहु पर झपट पड़े. राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिए पुकारा तो इन्द्र ने बालक हनुमान पर वज्र से प्रहार कर दिया जिससे उनकी हनु यानि ठुड्डी टूट गयी और वे मूर्छित होकर पर्वत शिखर पर गिर पड़े. अपने पुत्र हनुमान की यह दशा देख कर वायु देव को क्रोध आ गया. उन्होंने उसी क्षण अपनी गति को रोक दी और अपने पुत्र हनुमान को लेकर एक गुफा में प्रविष्ट हो गये. पवनदेव की गति रुकने से कोई भी प्राणी साँस नहीं ले सका और सभी पीड़ा से तडपने लगे.

तब प्राण संकट के भय से सुर, असुर, गन्धर्व, नाग आदि सभी भगवान् ब्रह्मा जी की शरण में गये. ब्रह्मा जी उन सब को लेकर वायुदेव के पास उस गुफा में गये जहाँ वे मूर्छित हनुमान को अपनी गोद में लेकर उदास बैठे थे. ब्रह्माजी ने अत्यंत स्नेहपूर्वक वायुदेव को उठाया और उनके मूर्छित पुत्र हनुमान के शरीर पर अपना हाथ फेरा जिससे हनुमान जी की मूर्छा दूर हो गयी. अपने पुत्र को स्वस्थ देखते ही पवनदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की.

तब ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर हनुमानजी को वर प्रदान करते हुए कहा कि इस बालक को ब्रह्मशाप नहीं लगेगा.

फिर उन्होंने देवताओं से कहा कि यह असाधारण बालक भविष्य में आप लोगों का बड़ा हितसाधन करेगा, अतः आप लोग भी इसे वर प्रदान करें.

तब इन्द्रदेव ने कहा कि मेरे हाथ से छूटे हुए वज्र से इस बालक की हनु यानि ठुड्डी टूटी है इसलिए इस कपिश्रेष्ठ का नाम हनुमान होगा. इसके अतिरिक्त इस बालक पर मेरे वज्र से इसे कोई हानि नहीं होगी और इसका शरीर मेरे वज्र से भी कठोर होगा. तब से ही उस कपिश्रेष्ठ बालक का नाम हनुमान हो गया और वे इसी नाम से जग में प्रसिद्ध हुए.