बुद्धिमान व्यक्ति के लक्षण (विदुर नीति) Buddhimaan Vyakti Kaun Hota Hai (Vidur Niti )
बुद्धिमान व्यक्ति कौन होता है ?
भागवत धर्म को
जानने वालों में विदुर जी का स्थान सर्वोपरि है। उनके द्वारा बताई गई नीति की
बातें सार्वभौमिक व सर्वकालिक हैं। उनके द्वारा बताए गए बुद्धिमान व्यक्ति के
लक्षण इस प्रकार हैं -
(पहला) जिस
व्यक्ति के कर्तव्य, सलाह और पहले से
लिए गए निर्णय को, कार्य संपन्न होने
पर ही दूसरे लोग जान पाते हैं वही, बुद्धिमान कहलाता है अर्थात बुद्धिमान व्यक्ति जो भी कार्य
करता है या किसी विषय पर किसी दूसरे को सलाह देता है या किसी भी प्रकार की योजना
बनाता है या किसी प्रकार का निर्णय लेता है, तो इन सब के बारे में तथा इनके परिणाम के बारे में वह पहले से ही कुछ
नहीं कहता है। जब इनका अच्छा व अपेक्षित परिणाम आता है, तो अन्य लोग स्वतः ही अच्छे व अपेक्षित
परिणाम को जान लेते हैं।
तात्पर्य यह है कि
बुद्धिमान व्यक्ति किए गए कार्य, दी गई सलाह या लिए गए निर्णय के बारे में स्वयं कुछ नहीं
कहता है बल्कि कार्य का परिणाम आने पर लोग स्वतः ही जान जाते हैं।
(दूसरा) सर्दी, गर्मी, भय,अनुराग, संपत्ति अथवा दरिद्रता, जिसके कर्तव्य पथ में विघ्न नहीं डाल पाते, वह बुद्धिमान कहलाता है। अर्थात
बुद्धिमान व्यक्ति सर्दी, गर्मी, भय, अनुराग,अमीरी, गरीबी या किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति में बिना
घबराए, बिना हताश हुए अपना कार्य करता रहता है
और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है।
(तीसरा) जिस
व्यक्ति की बुद्धि धर्म का अनुसरण करती है अर्थात करने योग्य सब कर्मों को करने का
निर्देश देती है और जो भोग तथा विलास का त्याग करके पुरुषार्थ को ही चुनता है, वही बुद्धिमान कहलाता है।
(चौथा )बुद्धिमान
व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुसार कार्य करने की इच्छा रखता है और उस कार्य को पूरा भी करता है। लेकिन
साथ ही किसी वस्तु को तुच्छ समझ कर उसकी
अवहेलना भी नहीं करता है।
(पाचवाँ ) बुद्धिमान
व्यक्ति किसी बात या किसी विषय को धैर्य पूर्वक सुनता है तथा उसे शीघ्र ही समझ
लेता है और कर्तव्य बुद्धि से पुरुषार्थ में प्रवृत्त हो जाता है अर्थात किसी
कार्य को कामना से नहीं बल्कि बुद्धिमानी से पूरा करता है साथ ही बिना पूछे किसी दूसरे के विषय
में व्यर्थ ही कोई बात नहीं करता है।
(छठा ) बुद्धिमान
व्यक्ति दुर्लभ वस्तु को प्राप्त करने की कामना नहीं करता है। न ही किसी वस्तु के खो जाने पर दुखी होता है तथा बड़ी से बड़ी विपत्ति में पड़ जाने
पर भी घबराता नहीं है।
(सातवाँ) जो
व्यक्ति पहले निश्चय करके फिर कार्य को शुरू करता है और शुरू किए गए कार्य को बीच में रोकता नहीं है, समय को व्यर्थ नहीं जाने देता है, मन को वश में रखता है, वही बुद्धिमान कहलाता है।
(आठवाँ) बुद्धिमान
व्यक्ति श्रेष्ठ कर्मों में रुचि रखता है, उन्नति के कार्य करता है तथा भलाई करने
वाले लोगों में दोष नहीं निकालता है।
(नवाँ) जो व्यक्ति
अपना आदर होने पर बहुत अधिक हर्षित नहीं
होता है तथा न ही अनादर होने पर दुखी या
संतृप्त होता है। जिसके चित्त
में कोई क्षोभ नहीं होता है, वही बुद्धिमान कहलाता है।
(दसवां) जो
व्यक्ति प्रकृति के सभी पदार्थों का वास्तविक ज्ञान रखता है, करने योग्य कार्य को करने का उचित तरीका
जानता है तथा सर्वश्रेष्ठ उपाय का जानकार होता है, उसे ही बुद्धिमान कहा जाता है।
(ग्यारहवाँ) जो
व्यक्ति बिना झिझक के बोल सकता है, कई विषयों पर अच्छे ढंग से बात कर सकता है, प्रभावी तरीके से तर्क वितर्क कर सकता है, प्रतिभाशाली है तथा शास्त्रों में लिखी हुई बातों के
तात्पर्य को शीघ्र समझ लेता है वही व्यक्ति बुद्धिमान कहलाता है।