Wednesday, 26 March 2025

(9.4.6) धन पाने तथा उसे बढ़ाने के चार सूत्र Dhan Paane Tatha Badhane Ke Chaar Sootra (Vidur Niti )

धन पाने तथा उसे बढ़ाने के चार सूत्र Dhan  Paane  Tatha  Badhane  Ke Chaar Sootra (Vidur  Niti )

महात्मा विदुर धर्मराज के अवतार थे। वे जो भी बात कहते थे, उसमें सभी का हित छुपा हुआ होता था। महात्मा विदुर ने एक श्लोक में बताया है कि लक्ष्मी अर्थात धन की प्राप्ति कैसे की जाए, उसे कैसे बढ़ाए जाएउसे कैसे बचाया जाये, और कैसे सुरक्षित रखा जाये। इसके लिए उन्होंने चार सूत्र बताए हैं।

इन चार सूत्रों में से पहला सूत्र है, शुभ कर्म करना 

शुभ कर्मों से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। शुभ कर्मों से तात्पर्य है परिश्रम, मेहनत व ईमानदारी से अपने कार्य या व्यवसाय को करना। ऐसा करने से निश्चित ही धन की प्राप्ति होती है।

दूसरा सूत्र है, प्रगल्भता

प्रगल्भता से तात्पर्य है, गहनता, पारंगतता, समझदारी व कुशलता अर्थात धन प्राप्ति के साथ इस धन के उपयोग में कुशलता व समझदारी दिखानी होगी। जैसे धन का निवेश कहाँ और कैसे किया जाए? इन बातों का ध्यान रखने से धन बढ़ता है।

तीसरा सूत्र है, चतुराई

अर्थात प्राप्त धन का उपयोग चतुराई व सावधानी के साथ करना चाहिये। धन के आय तथा व्यय का ब्यौरा प्रतिदिन तैयार किया जाए, जिससे खर्च और बचत की जानकारी हो सके। धन के निवेश, उपयोग तथा व्यय में सावधानी व चतुराई से लक्ष्मी जड़ जमा लेती है।

चौथा सूत्र है, संयम

संयम से तात्पर्य है, आत्म नियंत्रण अर्थात किसी व्यक्ति के पास धन का आगमन हो भी जाए, प्राप्त धन बढ़ता भी रहे, लेकिन संयम या आत्म नियंत्रण के अभाव में वह धन सुरक्षित नहीं रह सकता। संयम के बिना धन की बर्बादी हो सकती है। इसलिए धन का उपयोग उपभोग संयम से करने पर ही वह सुरक्षित रहता है।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि शुभ कर्मों से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, प्रगल्भता से वह बढ़ती है, चतुराई से वह जड़ जमा लेती है और संयम से वह सुरक्षित रहती है।