Monday, 24 March 2025

(9.4.5) उन्नति में बाधक 6 दुर्गुण (Unnati Me Baadhak 6 Durgun) Vidur Niti

 उन्नति में बाधक 6 दुर्गुण (Unnati  Me Baadhak  6 Durgun)   

महात्मा विदुर को एक नीतिज्ञ के रूप में जाना  पहचाना जाता है। विदुर ने धृतराष्ट्र को नीति की बातें बताई थी, लेकिन वे बातें केवल राजा या राज परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि सामान्य व्यक्ति के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। उन्होंने ऐसे कई सूत्र दिए हैं जो जीवन को सुखी व उपयोगी बनाने के लिए अति आवश्यक हैं। इसी क्रम में उन्होंने बताया है कि ऐश्वर्य और उन्नति चाहने वाले व्यक्ति को इन 6 दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए। ये 6 दुर्गण इस प्रकार हैं -  

(पहला - ज्यादा नींद)  नींद स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है तथा ठीक तरह से नींद आने पर ही व्यक्ति अपने आप को तरोताजा अनुभव करता है लेकिन यदि कोई व्यक्ति अधिकतर समय नींद लेने में बिता देता है, तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं होता है। जितने भी सफल या कामयाब व्यक्ति हैं, उन्होंने नींद की बजाय कार्य को महत्व दिया है। महात्मा विदुर के अनुसार उन्नति व ऐश्वर्य चाहने वाले व्यक्ति को अत्यधिक नींद का मोह छोड़ देना चाहिए। यदि कोई देर तक सोता है तो उसके जीवन की गाड़ी पीछे छूट जाती है।

(दूसरा - तंद्रा) तंद्रा, नींद आने के पहले की अवस्था है। इसे ऊंघना या उनींदापन भी कहा जा सकता है। तंद्रा के कारण कर्मेंद्रियाँ व ज्ञानेंद्रियाँ शिथिल हो जाती हैं जिसके परिणाम स्वरुप किसी भी कार्य को सतर्कता पूर्वक नहीं किया जा सकता है। जीवन में सुख, समृद्धि उन्नति चाहने वाले व्यक्ति को तंद्रा का त्याग कर देना चाहिए।

( तीसरा - डर) डर एक नकारात्मक प्रवृत्ति है। डरपोक व्यक्ति में साहस जैसे सकारात्मक गुण का अभाव होता है। वह डर के कारण न तो जोखिम ले सकता है और न ही कोई ठोस निर्णय ले पाता है। जोखिम, साहस, और प्रभावी निर्णय के अभाव में जीवन में उन्नति की संभावना  कमजोर हो जाती है। अतः व्यक्ति को निडर होना चाहिए, ताकि वह उन्नति के पथ पर आगे बढ़ सके।

(चौथा - क्रोध) क्रोध के कारण व्यक्ति न सही सोच सकता है, न ही सही निर्णय ले पाता है, और न ही सही बोल पाता है। क्रोध के कारण व्यक्ति अच्छे बुरे का ध्यान भी नहीं रख पाता है जिससे उसके कई कार्य बिगड़ जाते हैं। उसके सगे संबंधी भी उससे दूरी बनाए रखना चाहते हैं। क्रोध का त्याग करने से व्यक्ति में शालीनता व शिष्टता आती है,  लोगों का सहयोग मिलता है, जिससे उन्नति का मार्ग दिखने लगता है।

(पाँचवा - आलस्य) आलस व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। आलस के कारण व्यक्ति में क्षमता व कार्य कुशलता होते हुए भी वह अपने कार्य में लापरवाही बरतता है, जिससे उसका कार्य निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाता है। आलस्य का त्याग करके ही व्यक्ति उन्नति की ओर अग्रसर हो सकता है।

(छठा - दीर्घ सूत्रता) दीर्घ सूत्रता का तात्पर्य है, जल्दी हो जाने वाले कार्य में भी अधिक देर लगने की आदत का होना। किसी भी कार्य में अपेक्षित समय से अधिक समय लगाने वाला व्यक्ति अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। वह इस दीर्घसूत्रता की प्रवृत्ति के कारण उन्नति के मार्ग में पीछे छूट जाता है।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि उन्नति या ऐश्वर्य चाहने वाले व्यक्ति को नींद, तंद्रा, डर, क्रोध,आलस्य तथा दीर्घ सूत्रता, इन 6 दुर्गुणों का त्याग कर देना चाहिए।