जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकि मति पहले हर लेही Jako Prabhu Darun Dukh Dehi, Taki Mati Pahle Har Lehi
जब किसी व्यक्ति के प्रारब्ध में
बुरे कर्मों का फल मिलने वाला होता है, तो सबसे पहले विधि उसकी बुद्धि हर लेती है, यानि जब भी किसी व्यक्ति के जीवन
में दुख का समय आता है, तो विद्वान भी जड़ बुद्धि हो जाता है और परिणाम स्वरुप अनेक प्रकार के दुख और
कष्ट भोगता है। जैसे, रावण ने सीता का हरण किया और अपने इस कृत्य को अंत तक सही मानता रहा। परिणाम
स्वरुप उसका परिवार सहित सबकुछ नष्ट हो गया।
दुर्योधन पांडवों के प्रति किए गए
दुर्व्यवहार को उचित मानता रहा, परिणाम स्वरुप महाभारत का युद्ध हुआ, जन धन की क्षति हुई और उसके सभी भाई मृत्यु को प्राप्त हुए।
कैकई एक ज्ञानी महिला थी, भगवान राम के प्रति उसके मन में
अगाध स्नेह था, लेकिन विधि के विधान अनुसार उसके साथ कुछ विपरीत घटित होने वाला था इसलिए उसने
राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांग लिया
और परिणाम स्वरुप अपने लिए कष्टों का पहाड़ खड़ा कर लिया।
इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति को जीवन में दुख मिलना होता है, तो ईश्वर उसको इस प्रकार की बुद्धि दे देते हैं, जिससे वह खराब बात को भी, सदाचरण के विपरीत कृत्य को भी, अच्छा और उसके हित में है, ऐसा सोचने लगता है और फिर उसका दुष्परिणाम भुगतता है।