Monday, 23 June 2025

(6.4.26) हनुमान जी के बारह नाम, उनके लाभ और जप की विधि Hanuman ji ke Barah Naamo Ke Laabh

हनुमान जी के बारह नाम, उनके लाभ और जप की विधि  Hanuman ji ke Barah Naamo Ke Laabh

हनुमान जी के बारह नाम, उनके लाभ और जप की विधि

हनुमान जी की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई मंत्र और श्लोक हैं। आनंद रामायण में बताई गई हनुमान जी के 12 नामों की स्तुति भी उनमें से एक है। यह बहुत ही अद्भुत और चमत्कारी स्तुति है।

जो व्यक्ति इन 12 नामों का रात्रि में सोने के पहले  या प्रातः काल उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करते समय पाठ करता है, उस व्यक्ति के समस्त भय दूर हो जाते हैं। वह व्यक्ति राज दरबार में या भीषण संकट में या जहां कहीं भी हो उसे कोई भी भय नहीं होता है।

इन बारह नामों का नित्य पाठ करने से प्रसन्नता, संपन्नता, बुद्धि और शारीरिक व मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों से बाहर जाता है,  आवश्यकता केवल हनुमान जी और उनके नामों में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखने की है।

हनुमान जी के 12 नाम इस प्रकार है - 

ॐ हनुमते नमः

ॐ अंजनी सुताय नमः

ॐ वायु पुत्राय नमः

ॐ महा बलाय नमः

ॐ रामेष्टाय नमः

ॐ फाल्गुन सखाय नमः

ॐ पिंगाक्षाय नमः

ॐ अमित विक्रमाय नमः

ॐ उदधि क्रमणाय नमः

ॐ सीता शोक विनाशनाय नमः

ॐ लक्ष्मण प्राणदाताय नमः

ॐ दशग्रीव दर्पहाय नमः

इन 12 नामों  की जप प्रक्रिया इस प्रकार है -

दैनिक कार्य से निवृत्त होकर उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके ऊन के आसन पर किसी कमरे में या शांत स्थान पर बैठ जाए। हनुमान जी का चित्र अपने सामने रखें। अपनी आंखें बंद करके हनुमान जी का ध्यान करें व मन में भावना करें कि राम भक्त हनुमान जी शांत भाव से बैठे हुए हैं तथा उनके भक्तों को प्रसन्नता और संपन्नता का आशीर्वाद दे रहे हैं। उन्होंने जनेऊ पहन रखी है और उनका शरीर सूर्य की तरह चमक रहा है।  वे शरणागत की अवश्य सहायता करते हैं। मैं ऐसे राम भक्त हनुमान जी से प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे प्रसन्नता, संपन्नता, बुद्धि और शक्ति प्रदान करें।

ऐसी भावना और प्रार्थना के बाद इन 12 नामों का कम से कम 11 माला का या 21 माला का जप करें। यह प्रक्रिया कम से कम तीन माह तक चले। ज्यादा अच्छे परिणाम पाने के लिए इन 12 नामों का जितना अधिक जप किया जाये, उतना ही श्रेष्ठ रहेगा।

इन 12 नाम का जप करने के अन्य लाभ इस प्रकार हैं - 

जप करने वाले व्यक्ति की दरिद्रता और दुखों का दहन होता है।

समस्त विघ्नों का निवारण होता है और अमंगलों का नाश होता है।

परिवार में दीर्घकाल तक सुख - शांति बनी रहती है।

मनुष्य के सभी मनोरथों की पूर्ति होती है।

नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

मानसिक दुर्बलता दूर होती है।

बुद्धि, बल, कीर्ति, निर्भीकता आरोग्य और वाक्पटुता जैसे सकारात्मकता गुणों की वृद्धि होती है।