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Wednesday, 18 December 2024

(6.8.23)Shivaratri Par Chaar Prahar Ki Pooja Aur Iske Laabh

 शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा तथा इसके लाभ Shivaratri Par Chaar Prahar Ki Pooja Aur Iske Laabh

शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा

शिवरात्रि पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाले चार प्रहर की पूजा की जाती है। यह पूजा प्रदोष काल यानि संध्या काल से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त तक चलती है। रात्रि के पहले प्रहर में पहली, दूसरे प्रहर में दूसरी, तीसरी प्रहर में तीसरी और चौथे प्रहर में चौथी पूजा की जाती है। पहले प्रहर में दूध से शिवजी के ईशान स्वरूप कादूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप का, तीसरे प्रहर में घी से वामदेव स्वरूप का और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरूप का अभिषेक कर पूजा करें।

महाशिवरात्रि की रात महा सिद्धि दाहिनी है। इसलिए इस महाशिवरात्रि में की गई पूजा - अर्चना विशेष पुण्य प्रदान करने वाली होती है। यदि कोई व्यक्ति चार बार पूजन और अभिषेक नहीं कर सके तो पहले प्रहर में एक बार ही पूजन कर ले तो भी उसके लिए यह फलदाई होती है।

शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा के लाभ

शिवरात्रि के महापर्व पर रात्रि में चार प्रहर की पूजा करने से अज्ञानता दूर होती है।

पूजा करने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है।

उसे कष्टों से छुटकारा मिलता है। 

उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। 

उसको शिव कृपा प्राप्त होती है. 

उसे सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

उसका भाग्य सूर्य के समान चमकने लगता है।

उसके रोग-शोक, दूर हो जाते हैं तथा सुख सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

Tuesday, 10 October 2023

(6.8.16)अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि Benefits of Amogh Shiva Kavach

अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि Benefits of Amogh Shiva Kavach

अमोघ शिव कवच के लाभ, महत्त्व और पाठ करने की विधि

सनातन धर्म के ऋषि मुनियों ने भगवान् शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए कई मन्त्र, स्तोत्र और कवचों की रचना की है, जिनका पाठ करने से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं.

अमोघ शिव कवच भी एक शक्तिशाली रक्षा कवच है. यह कवच परम गोपनीय और अत्यंत आदरणीय है. यह सारे अमंगलों और विघ्न बाधाओं को हरने वाला है. महर्षि ऋषभ ने इसका उपदेश करके एक संकटग्रस्त राजा को दुःख मुक्त किया था. यह कवच स्कन्द पुराण के ब्रह्मोत्तर खण्ड में है.

इस अमोघशिव कवच का पाठ करने के लाभ इस प्रकार हैं –

जो मनुष्य इस उत्तम शिव कवच को धारण करता है यानि नियमित पाठ करता है, उसे भगवान् शिव के अनुग्रह से कभी भी और कहीं भी भय नहीं होता है.

जिसकी आयु क्षीण हो चली है, जो मरणासन्न हो गया है अथवा जिसे रोगों और व्याधियों ने मृतक सा कर दिया है, वह भी इस कवच के प्रभाव से तत्काल सुखी हो जाता है और दीर्घायु प्राप्त कर लेता है.

शिव कवच समस्त दरिद्रता का शमन करने वाला और सौमंगल्य को बढाने वाला है. इसका पाठ करने से अर्थाभाव से पीड़ित व्यक्ति की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है और उसको सुख और वैभव की प्राप्ति होती है. 

जो इसे धारण करता है, वह देवताओं से भी पूजित हो जाता है.

इस कवच के प्रभाव से मनुष्य महापातकों के समूहों और उपपातकों से भी छुटकारा पा जाता है तथा शरीर का अंत होने पर शिव को पा लेता है.

अमोघ शिव कवच का पाठ करने की विधि –

पहले विनियोग छोड़कर भगवान् शिव का ध्यान करे. इसके बाद कवच का पाठ करे.

विनियोग –

इस शिवकवच स्तोत्र मन्त्र के ब्रह्मा ऋषि हैं, अनुष्टुप छन्द है, श्रीसदाशिवरूद्र देवता हैं, ह्रीं शक्ति है, वं कीलक है, श्रीं ह्रीं क्लीं बीज हैं, सदाशिव की प्रसन्नता के लिए शिव कवच स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता है.

ध्यान –

जिनकी दाढ़ें वज्र के समान हैं. जो तीन नेत्र धारण करते हैं, जिनके कंठ में हलाहल पान का नील चिन्ह सुशोभित है, जो शत्रुभाव रखने वालों का दमन करते हैं, जिनके सहस्त्रों कर यानि हाथ अथवा किरणें हैं तथा जो अभक्तों के लिए अत्यन्त उग्र हैं, उन उमापति शम्भु को मैं प्रणाम करता हूँ.

ध्यान के बाद अमोघ शिवकवच का पाठ करे.      

 

 

  

Monday, 9 October 2023

((6.8.13) महाशिवरात्रि /महाशिवरात्रि का महत्व Mahashivaratri and its importance

 महाशिवरात्रि /महाशिवरात्रि का महत्व Mahashivaratri and its importance

शिवरात्रि / महाशिवरात्रि 

भगवान् शिव को प्रसन्न करने व अपनी मनोकामना पूर्ण करने का महोत्सव है , महाशिवरात्रि। इसके ठोस प्रमाण शिव पुराण  व स्कन्द  पुराण  में देखने को मिलते हैं।स्कंद पुराण का कथन है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिव जी का पूजन , जागरण व उपवास करने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। विद्येश्वर संहिता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन जो प्राणी निराहार व जितेन्द्रिय रह कर उपवास रखता है, शिव लिंग के दर्शन करता है तथा पूजा करता है, वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर शिवमय हो जाता है। इस दिन भगवान् शिव की पूजा अर्चना करने से साधुओं को मोक्ष प्राप्ति , रोगियों  को रोगों से मुक्ति तथा सभी साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने से गृहस्थ जीवन में चल रहा मत भेद समाप्त हो जाता है, अखंड सौभाग्य की  प्राप्ति होती है और साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।