Saturday 27 April 2019

(3.2.4) Durga Mantra (For fulfilling worldly desires )


Durga Mantra for fulfilling worldly desires दुर्गा प्रार्थना मंत्र (सांसारिक मनोकामना की पूर्ति हेतु )


देवी दुर्गा, हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत लोक प्रिय देवी है।जो दिव्य माता के रूप में जानी जाती है। वह करुणा ,शक्ति ,नैतिकता ,बुद्धिमानी और संरक्षण का प्रतीक मानी जाती है।देवी दुर्गा को लक्ष्मी,सरस्वती और काली का मिश्रित रूप माना जाता है जिसके कारण इन तीनों देवियों की शक्तियां देवी दुर्गा में सम्मिलित हैं।वह अपने भक्तों  की मनोकामना पूर्ण करने में सक्षम है।
यदि कोई व्यक्ति निम्नांकित प्रार्थना मन्त्रों का पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ जप(उच्चारण ) करता है तो देवी दुर्गा की कृपा से उसकी  मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
प्रार्थना मंत्र निम्नानुसार है:-
या देवी सर्व भूतेषु माँ  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति  रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धि  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु शांति  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु श्रद्धा  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु कांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु वृत्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु दया   रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
या देवी सर्व भूतेषु तुष्टि  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः। 
अर्थ :- देवी जो सम्पूर्ण प्राणियों में माँ ,शक्ति ,बुद्धि ,लक्ष्मी ,शांति ,श्रद्धा ,कांति ,वृत्ति ,स्मृति ,दया ,और तुष्टि के रूप में स्थित है, उस देवी को मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ।
इन प्रार्थना मंत्रो के बाद आप देवी के असीम स्नेह पर अपना ध्यान केन्द्रित करें।मन में भावना करें कि देवी दुर्गा ने आपकी प्रार्थना को सुन लिया है और आप पर देवी कृपा की वर्षा हो रही है।आप उसकी कृपा से प्रार्थना मंत्रों में वर्णित वस्तुओँ को प्राप्त कर रहें हैं।
देवी में जितनी श्रृद्धा  और विश्वास  होगा उतना ही अधिक फल मिलेगा। 

Thursday 11 April 2019

(7.1.12) Panchak (Panchak Nakshtra)

Panchak / Panchak Nakshatra / Panchak nakshatron men kya kare kya nahin karen
पंचक / पंचक नक्षत्र / पंचकों में क्या करें क्या नहीं करें ?


पंचक / पंचक नक्षत्र / पंचक में क्या करें क्या नहीं करें ?
पंचक क्या हैं?
पांच पंचकों के समूह को पंचक कहा जाता है | ये पाँच नक्षत्र हैं – धनिष्ठा (के अंतिम दो चरण),शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती |
पंचकों के बारे में भ्रान्ति क्या है ?
पंचकों के बारे में लोगों में भ्रान्ति है | कुछ लोग इस भ्रम में हैं कि पंचक शुभ कार्यों में वर्जित हैं | अतः पंचक नक्षत्रों में किसी शुभ कार्य की शुरूआत नहीं करनी चाहिये | जबकि वास्तविकता यह नहीं है | कई शुभ कार्य ऐसे हैं जो पंचकों में किये जाते हैं |
पंचकों में केवल निम्नांकित पाँच कार्य वर्जित हैं –
(1)काष्ठ एकत्रित (संग्रह) करना (2) खाट बुनना (3) मकान  पर छत डालना (4) दक्षिण दिशा की यात्रा करना (5) मृत व्यक्ति का दाह संस्कार करना |
लेकिन शवदाह करना अपरिहार्य (आवश्यक) हो जाता है अतः पंचकों में शवदाह करने की स्थिति में शव के साथ आटे की पाँच पुत्तिलिका बना कर उनका भी मृत व्यक्ति के साथ डाह संस्कार करना चाहिये |
इन पाँच कार्यों के अतिरिक्त अन्य कोई भी कार्य पंचकों में वर्जित नहीं माना जाता है |
विवाह, मुंडन, गृहारंभ, गृह प्रवेश, वधु प्रवेश, उपनयन सस्कार, रक्षाबंधन, भाई दूज आदि पर्वों तथा मुहूर्तों में पंचक नक्षत्रों को ग्राह्य माना जाता है |
कौनसे कार्य या मुहूर्त में कौनसा नक्षत्र लिया जाता है ?
विवाह में – धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद  
सूतिका स्नान में – उत्तराभाद्रपद, रेवती
मुंडन संस्कार में – धनिष्ठा, शतभिषा तथा रेवती
शिक्षा प्रारंभ करने में – धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद
भवन निर्माण में – धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती
गृह प्रवेश में – उत्तराभाद्रपद, रेवती
कन्या वरण मुहूर्त (सगाई) में – धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद
वर वरण मुहूर्त में – पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद
वाहन खरीदने में - धनिष्ठा , शतभिषा , रेवती 
हल चलाने में - उत्तराभाद्रपद , धनिष्ठा , शतभिषा , रेवती - 
इनके अतिरिक्त नक्षत्र तथा वार के मेल से कई शुभ योग, अमृत सिद्धि योग तथा सर्वार्थ सिद्धि बनते हैं जिनमें शुभ कार्य किये जाते हैं |