Wednesday 12 August 2020

(6.6.1)Krishna Gayatri Mantra Ke Laabh

 Krishna Gayatri Mantra / Benefits Of Krishna Gayatri Mantra / कृष्ण गायत्री मन्त्र / कृष्ण गायत्री मन्त्र के लाभ 

कृष्ण गायत्री मन्त्र

भगवान् कृष्ण, भगवान् विष्णु के अवतार हैं. इनसे सम्बन्धित कई स्तोत्र, मन्त्र आदि हैं. कृष्ण गायत्री मन्त्र भी उनमें से एक है.  

कृष्ण गायत्री मन्त्र के लाभ इस प्रकार हैं-

कृष्ण गायत्री मन्त्र का जप करने से बौद्धिक स्तर बढ़ता है जिससे सोचने व समझने की क्षमता का विकास होता है.

तार्किक क्षमता बढ़ती है.

जपकर्ता को उसके प्रयासों में सफलता मिलती है.

आत्मविश्वास की वृद्धि होती है.

सभी प्रकार की सम्पन्नता आती है.

विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलती है.

क्या करूं, क्या नहीं करूं की स्थिति नहीं रहती है अर्थात लक्ष्य स्पष्ट दिखने लगता है.

कृष्ण गायत्री मन्त्र जप की विधि –

दैनिक कार्य से निवृत्त होकर पूर्व या उत्तर की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जायें. श्री कृष्ण का चित्र अपने सामने रख लें. धूपबत्ती व दीपक जलायें. अपनी आँखें बंद करके श्री कृष्ण का ध्यान करें. ध्यान इस प्रकार है –

जिनके अंग की कान्ति मेघ के सामान श्याम है, जो प्यारे व्रज चन्द्र, बडभागी और दिव्य लीलामय हैं, सदा आनन्द करने वाले और भ्रान्ति को भगाने वाले हैं, उन सब सुखों के सारभूत, परब्रह्म स्वरुप, नन्द नन्दन श्री कृष्ण को मैं वार बार प्रणाम करता हूँ. इस प्रकार ध्यान के बाद श्री कृष्ण गायत्री मन्त्र का पाँच, तीन या एक माला का जप करें.    

कृष्ण गायत्री मन्त्र इस प्रकार है –

ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्  

मन्त्र जप के बाद भावना करें भगवान् कृष्ण का आशीर्वाद आपको मिल रहा है.  

 

 

Sunday 2 August 2020

(1.1.25) Gita/Geeta sambandhi prashn aur uttar (Questions and answers related to Geeta)

 श्री मद्भगवद्गीता सम्बन्धी प्रश्न और उत्तर (Questions and answers related to Geeta)

श्री मद्भगवद्गीता सम्बन्धी प्रश्न और उत्तर

(1)किसी महापुरुष की जयंती मनाई जाती है, परन्तु एक ग्रन्थ ऐसा है जिसकी भी जयंती मनाई जाती है, वह कौनसा ग्रन्थ है?

वह ग्रन्थ है गीता.

(2)गीता जयंती क्यों मनाई जाती है?

अन्य ग्रन्थ किसी न किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किये गए हैं, परन्तु गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जिसका जन्म स्वयं भगवान् के श्रीमुख से हुआ है.

(3)गीता जयंती कब मनाई जाती है?

गीता जयंती प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष में शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इस तिथि को गीता का प्रतीकात्मक जन्म दिवस माना  जाता है.

(4)गीता किस ग्रन्थ का भाग है?

गीता महाभारत के भीष्मपर्व का भाग है.

(5)गीता को गीता क्यों कहा जाता है?

गीता शब्द का अर्थ है गायन किया हुआ. श्री कृष्ण ने छन्द रूप में यानि गाकर उपदेश दिया, इसलिए इसे गीता कहा जाता है.

(6)गीता को मद्भगवद्गीता क्यों कहा जाता है?

गीता उपदेश स्वयं भगवान् के द्वारा गायन के रूप में दिया गया,इसलिए इसे मद्भगवद्गीता कहा जाता है.

(7)गीता को गीतोपनिषद क्यों कहा जाता है?

गीता की गणना उपनिषदों में की जाती है, इसलिए इसी गीतोपनिषद कहा जाता है.

(8)गीता का उपदेश किसने दिया और किसको दिया ?

गीता का उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया। 

(9)अर्जुन के अतिरिक्त गीता का उपदेश किसने सुना ?

अर्जुन के अतिरिक्त गीता का उपदेश संजय ने सुना और उसने धृतराष्ट्र को सुनाया.

(10)संजय कौन था?

संजय धृतराष्ट्र की सभा के सम्मानित सदस्य थे. वे वेदव्यास के शिष्य और कृष्ण के भक्त थे.

(11)संजय को दिव्य दृष्टि किसने दी थी और क्यों दी थी?

संजय को दिव्य दृष्टि महर्षि वेदव्यास जी ने दी थी, ताकि वह महाभारत युद्ध की समस्त घटनाओं को देख सके, सुन सके और जान सके और धृतराष्ट्र को युद्ध का सारा वृत्तान्त सुना सके.

(12)संजय को दिव्यदृष्टि देने से पहले वेदव्यासजी दिव्य नेत्र किसे देना चाहते थे और क्यों देना चाहते थे?

धृतराष्ट्र अंधे थे इसलिए वेदव्यासजी उन्हें दिव्य नेत्र देना चाहते थे ताकि वे युद्ध की समस्त घटनाओं को देख सके. लेकिन उन्होंने (धृतराष्ट्र) ने दिव्य नेत्र लेने से मना कर दिया.    

(13)अर्जुन से पहले गीता ज्ञान किसको मिला था?

श्री मद्भगवद्गीता के अध्याय चार के श्लोक पहले में भगवान् कहते हैं कि मैंने यह अविनाशी योग सूर्य को कहा था, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा.   

(14)गीता में कुल कितने अध्याय हैं?

गीता में कुल 18 अध्याय हैं.

(15)गीता का सबसे लम्बा और सबसे छोटा अध्याय कौनसा है?

सबसे लम्बा अध्याय अठारहवाँ है, जिसमें 78 श्लोक हैं तथा सबसे छोटा अध्याय पन्द्रहवाँ है, जिसमें 20 श्लोक हैं। 

(16)गीता में कुल कितने श्लोक हैं?

गीता में कुल 700 श्लोक हैं। जिनमें से पहला श्लोक धृतराष्ट्र ने कहा है और अंतिम श्लोक संजय ने कहा है। 

(17)किसके द्वारा कितने कितने श्लोक कहे गए हैं?

धृतराष्ट्र ने एक श्लोक कहा है,संजय ने चालीस, अर्जुन ने 85 और श्री कृष्ण ने 574 श्लोक कहे हैं।

(18)महाभारत का युद्ध कहाँ हुआ था?

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था। 

(19)कुरु क्षेत्र को कुरुक्षेत्र क्यों कहा जाता है ?

कुरुक्षेत्र को कुरुक्षेत्र कहा जाता है,क्योंकि यह क्षेत्र राजा कुरु की तपोभूमि रहा है। 

(20)कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र क्यों कहा जाता है?

शतपथब्राह्मणादि शास्त्रों में कहा गया है कि यहाँ (कुरुक्षेत्र) अग्नि,इन्द्र, ब्रह्मा आदि देवताओं ने तप किया था; राजा कुरु ने भी यहाँ बड़ी तपस्या की थी तथा यहाँ मरने वालों को उत्तम गति प्राप्त होती है, इसलिए कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा जाता है.

(21)अर्जुन के रथ में कितने और किस रंग के घोड़े जुते हुए थे?

अर्जुन के रथ में सफ़ेद रंग के चार घोड़े जुते हुए थे.

(22)अर्जुन के रथ पर लगे झंडे पर किसका चिन्ह था?

अर्जुन के रथ पर लगे झंडे पर चन्द्रमा और तारों के चिन्ह थे और उस पर हनुमान जी विराजमान थे.

(23)युद्ध के प्रारम्भ करने की घोषणा किसने की?

भीष्म पितामह ने शंख बजा कर युद्ध के प्रारम्भ करने की घोषणा की.

(24)किसके शंख का क्या नाम था?

श्री कृष्ण के शंख का नाम पांचजन्य था, अर्जुन के शंख का देवदत्त, भीमसेन के शंख का पौण्ड्र, युधिष्ठिर के शंख का अनन्तविजय, नकुल के शंख का सुघोष और सहदेव के शंख का नाम मणि पुष्पक था.

(25)अर्जुन के धनुष का नाम क्या था?

अर्जुन के धनुष का नाम गाण्डीव था.

(26)अर्जुन को दिव्य दृष्टि किसने और क्यों दी?

अर्जुन को दिव्य दृष्टि स्वयं भगवान् ने दी ताकि वह भगवान के दिव्य स्वरुप को देख सके. साधारण नेत्रों से भगवान् का अलौकिक रूप नहीं देखा जा सकता था.