Friday 30 June 2023

(7.1.16) Griha Pravesh Ke Baad Holi Nahin Aani Chahiye

 

क्या गृह प्रवेश करने के बाद पहला त्यौंहार होली नहीं आना चाहिए Griha Pravesh Ke Baad Holi Nahin Aani Chahiye
 

कभी कभी कुछ मुहुरतों के बारे में कोई भ्रान्ति हो जाती है या भ्रान्ति फ़ैल जाती है. जबकि मुहूर्त शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार प्रत्येक मुहूर्त निश्चित मानदंडों के अनुसार तय किये जाते हैं. ऐसी ही भ्रान्ति गृह प्रवेश के मुहूर्त के बारे में भी है.

कई व्यक्तियों को मन में यह भ्रान्ति है कि गृह प्रवेश यानि नए घर में प्रवेश करने के बाद दीपवाली का त्यौहार ही आना चाहिए और होली का त्यौहार नहीं आना चाहिए.

इस बात को परखने के लिए हम गृह प्रवेश के मुहूर्त के बारे में जानेंगे. अन्य मुहूर्तों की तरह ही गृह प्रवेश के मुहूर्त के लिए भी उपयुक्त महिना, तिथि, वार आदि का ध्यान रखा जाता है. मुहूर्त शास्त्र की पुस्तकें जैसे – मुहूर्त चिन्तामणि, मुहूर्त पारिजात, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त प्रकाश आदि पुस्तकों में गृह प्रवेश के लिए वैसाख, ज्येष्ठ, माघ और फाल्गुन चंद्रमास को श्रेष्ठ माह माने गए हैं और श्रावण, कार्तिक और मार्गशीर्ष माह को मध्यम माह माने गए हैं तथा यह कहीं भी नहीं लिखा है कि गृह प्रवेश के बाद होली का त्यौहार नहीं आना चाहिए. 

माघ, फाल्गुन, मार्गशीर्ष और कार्तिक शुक्ल पक्ष के बाद तो होली ही आती है और वैसाख, ज्येष्ठ, श्रावण तथा  कार्तिक के बाद दीपावली आती है. यहाँ यह भी जानना आवश्यक है कि पूरे वर्ष में गृह प्रवेश के लिए शुभ और शुद्ध मुहूर्त केवल छः या सात ही होते हैं.   

अतः होली हो या दिवाली, त्यौहार का गृह प्रवेश से कोई सम्बन्ध नहीं है. मुहूर्त शास्त्र की पुस्तकों में कहीं भी नहीं लिखा कि गृह प्रवेश के बाद पहला त्यौहार होली नहीं आना चाहिए, यह धारणा कुछ लोगों के द्वारा फैलाई गयी भ्रान्ति या अफवाह के अतिरिक्त और कुछ नहीं है.

इसलिए गृह प्रवेश करते समय बिना किसी आशंका या भय या संदेह के बताये हुए महीनों में अपना चंद्रबल देख कर गृह प्रवेश कर लेना चाहिए.     

(7.1.15) Guru Tara kab ast Hota Hai / kab Uday Hota Hai

 

गुरु ग्रह कब अस्त होता है Guru Kab Ast Hota Hai गुरु कब उदय होता है/ गुरु का अस्त व उदय होना गुरु तारा कब डूबता है

कोई भी ग्रह कब अस्त होता है

आकाश मण्डल में कोई भी ग्रह अपनी गति से भ्रमण करता हुआ जब सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है, तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपनी आभा या चमक या शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह ग्रह आकाश में दिखाई देना बंद हो जाता है। ग्रह की इस स्थिति को उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने की स्थिति में उस ग्रह के बल में कमी आ जाती है।

गुरु कब अस्त होता है

जब गुरु, जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है, अपनी गति से भ्रमण करता हुआ सूर्य के निकट आ जाता है और सूर्य से गुरु की दूरी 11 डिग्री या इससे कम हो जाये तो गुरु ग्रह अस्त हो जाता है। इस स्थिति में गुरु के निमग्न होने के कारण दिखाई नहीं देता है। इसी घटना को या स्थिति को गुरु का अस्त होना कहा जाता है। इसी प्रकार जब गुरु ग्रह सूर्य से दूर हट जाता है अर्थात गुरु की सूर्य से दूरी 11 डिग्री से अधिक हो जाये तो गुरु दिखाई देने लगता है। इसे ही गुरु का उदय होना कहा जाता है।

गुरु के अस्त होने से तीन दिन पूर्व तक का समय गुरु का वृद्धत्व काल कहलाता है और गुरु के उदय होने के तीन दिन बाद तक के समय को गुरु का बाल्यत्व काल कहा जाता है। गुरु के अस्त कालांश तथा वृद्धत्व काल और बाल्यत्व काल में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं।

 

Thursday 29 June 2023

(7.1.14) Shukra Tara Kab Ast Hota Hai

 

शुक्र ग्रह कब अस्त होता है Shukra Kab Ast Hota Hai शुक्र कब उदय होता है/ शुक्र का अस्त उदय

कोई भी ग्रह कब अस्त होता है

आकाश मण्डल में कोई भी ग्रह अपनी गति से भ्रमण करता हुआ जब सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है, तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपनी आभा या चमक या शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह ग्रह आकाश में दिखाई देना बंद हो जाता है।  ग्रह की इस स्थिति को उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने की स्थिति में उस ग्रह के बल में कमी आ जाती है। 

शुक्र कब अस्त होता है

जब शुक्र अपनी गति से भ्रमण करता हुआ सूर्य के निकट आ जाता है और सूर्य से शुक्र की दूरी 9  डिग्री या इससे कम हो जाये तो शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है। इस स्थिति में शुक्र के निमग्न होने के कारण दिखाई नहीं देता है।  इसी घटना को या स्थिति को शुक्र का अस्त होना कहा जाता है। 

इसी प्रकार जब शुक्र ग्रह सूर्य से दूर हट जाता है अर्थात शुक्र की सूर्य की दूरी 9 डिग्री से अधिक हो जाये तो शुक्र दिखाई देने लगता है।  इसे ही शुक्र का उदय होना कहा जाता है।

सूर्य के  अस्त होने से तीन दिन पूर्व तक का समय शुक्र का वृद्धत्व काल कहलाता है और शुक्र के उदय होने के तीन दिन बाद तक के समय को शुक्र का बाल्यत्व काल कहा जाता है।

शुक्र के  अस्त कालांश तथा वृद्धत्व काल और बाल्यत्व काल में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। 

 

(7.1.13) Mesh Raashi Vale Log Kaise Hote Hain / Characteristis Of Mesh raashi

 

मेष राशि वाले लोग कैसे होते हैं? उनका व्यक्तित्व, गुण, अवगुण, आदतें, शुभ दिन, शुभ रंग आदि. Characteristics  Of Mesh Raashi

क्रांति वृत्त या भचक्र में बारह राशियाँ होती हैं. इन बारह राशियों में से मेष पहली राशि है.

चाहे पुरुष हो या महिला यदि उसका नाम चू, चे, चो, ला, ल, ली, लू, ले, लो, अ या आ अक्षरों में से किसी भी एक अक्षर से शुरू हो तो उसकी राशि मेष होती है. 

मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल होता है मंगल ग्रह साहस, पराक्रम और उत्साह का कारक माना जाता है, इसलिए मेष राशि वाले लोग स्पूर्तिवान, साहसी और पराक्रमी होते हैं.

मेष राशि अग्नि तत्व की राशि मानी जाती है इसलिए इस राशि वाले जातकों का स्वभाव अवेशात्मक होता है. उनमें किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की प्रवृति होती है. उन्हें शीघ्र क्रोध आ जाता है. लेकिन यदि सामने वाला व्यक्ति थोड़ी विनम्रता दिखाए तो क्रोध शीघ्र शांत भी हो जाता है.

मेष राशि चर यानि चालित स्वभाव की राशि है अतः इस राशि वाले जातक अस्थिर स्वभाव के होते हैं. उन्हें एक स्थान पर टिके रहना भी अच्छा नहीं लगता है. वे एक कार्य को समाप्त करने से पूर्व ही दूसरे कार्य के बारे में सोचने लगते हैं. कभी कभी तो वे व्यवसाय में भी परिवर्तन कर लेते हैं. एक ही कार्य को बार बार करना इन्हें अच्छा नहीं लगता है. 

मेष राशि का चिन्ह मेढा होता है, जो निडरता, संघर्ष और साहस का प्रतीक है. इसलिए इस राशि वाले लोग निडर होते हैं. वे अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीना पसंद करते हैं. अपनी विचार धारा से कोई समझौता करना पसंद नहीं करते हैं. वे संघर्षों का सामना करने से जिझकते नहीं हैं. अपने कार्य में दूसरो का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते हैं.

मेष राशि वाले जातक सामान्य कद काठी के होते हैं. उनका मस्तक चौड़ा, चेहरा लम्बा और आँखें गोल व रक्त वर्ण वाली होती है. अधिकांश लोगों का व्यक्तिव आकर्षक होता है. स्वभाव उग्र होता है तथा छोटी छोटी बातों पर भी क्रोध आ जाता है.

मेष राशि वाले लोग साहसी, सतर्क, मेहनती, महत्वकांक्षी व उर्जावान होते हैं. ये चुनौती से भागते नहीं हैं. स्पष्ट बोलने में विश्वास रखते है. अपनी मेहनत से धन कमाने में ज्यादा रूचि होती है. जीवन शैली से समझौता नहीं करते हैं. चाहे व्यवसाय हो या नौकरी अपने कार्य को करने में पूरी शक्ति लगा देते हैं. जोखिम उठाने से भी नहीं डरते हैं. ये कभी भी थके हुए प्रतीत नहीं होते हैं. अपने आस पास के लोगों को प्रसन्न रखने की कोशिश करते हैं लेकिन ये इसका दिखावा नहीं करते हैं इसलिए उन्हें लगता है कि ये उनके प्रति उदासीन हैं जबकि ऐसा नहीं है. ये दूसरे लोगों के मन की बात का बहुत कुछ अनुमान लगा लेते हैं. ये दूसरे लोगों की बात को ध्यान से सुनते हैं परन्तु सही निष्कर्ष निकाल कर अपने ढंग से कार्य करते हैं. निर्णय लेने में अपना विवेक काम में लेते हैं. ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते है.

मेष राशि वाले लोग खेती बाड़ी करना, पुलिस, सेना, शल्यचिकित्सा, लाल रंग की वस्तुओं का व्यापर, शारीरिक शिक्षा शिक्षक, विद्युत विभाग व विद्युत से जुडा व्यवसाय और जमीन जायदाद से जुड़े कार्य करना अधिक पसंद करते हैं. वकील के रूप में फौजदारी मामलों में सफल होते हैं. 

मेष राशि वाले लोग जिद्दी होते हैं. इनकी वाणी में कठोरता झलकती है लेकिन इनके मन में किसी का बुरा करने का भाव नहीं होता है. ये अहंकारी स्वभाव के होते हैं. कभी कभी तो इनको लगता है कि जो ये जानते हैं और समझते हैं, वही सही है. कई बार तो ये छोटी सी बात पर भी लोगों से उलझ जाते है और टकराव की स्थिति पैदा कर लेते जिसके कारण अपने रिश्तों को कमजोर कर लेते हैं. ये अपने अपमान को कभी भूलते नहीं हैं, अवसर मिलने पर बदला लेने से भी नहीं चूकते हैं.

जहाँ तक स्वास्थ्य की बात है, मेष राशि वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. इसलिए ये बीमारी से शीघ्र ठीक हो जाते हैं. लेकिन जन्म पत्री में मंगल कमजोर हो तो, इनको रक्तचाप, रक्त विकार, बवासीर, ग्रंथिस्त्राव व दुर्घटना में चोट लग सकती है.

मेष राशि वाले जातकों के लिए मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन मित्र राशियाँ होती है. मिथुन और कन्या शत्रु राशियाँ हैं.

मेष राशि के लिए शुभ रंग लाल है. भाग्यशाली दिन मंगलवार है. शुभ अंक 9 है. भाग्योदय वर्ष हैं 28 से 32 वर्ष.  

मेष राशि वाले लोगों के लिए हनुमान जी व भगवान् शंकर की आराधना उपासना बहुत लाभकारी है. हनुमान चालीसा का पाठ करना व भगवान् शिव को जल चढ़ाना भी बहुत हितकर है. 

 

(7.2.5) Vivah Ke Aboojh Muhurat / Anboojh Muhurat For Vivah

 

विवाह के अबूझ मुहूर्त Vivah Ke Aboojh Mhurat

विवाह के अबूझ मुहूर्त Vivah Ke Aboojh Mhurat (विवाह के मुहूर्तो का श्रेष्ठ विकल्प)

हमारे जीवन में मुहूर्तों का बहुत अधिक महत्व है. हमारे ऋषि मनीषियों ने गहन चिंतन के बाद किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है, उनके संकलित स्वरुप का नाम मुहूर्त शास्त्र है.

विवाह मुहूर्त के लिए त्रिबल शुद्धि यानि सूर्य, गुरु तथा चन्द्रमा के बल और शुद्धि को महत्त्व दिया जाता है. इसके अतिरिक्त विवाह के मुहूर्त में लता, पात, युति आदि दस दोषों को भी त्यागा जाता है. मुहूर्त शास्त्र की दृष्टि से इन सभी बातों पर विचार करके यदि विवाह के लिए शुद्ध मुहूर्त निकला जाये, तो वर्ष में बहुत कम ही मुहूर्त बनते हैं. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर विद्वानों ने विवाह मुहूर्तो के लिए अबूझ विवाह मुहुरतों का  विकल्प दिया है.

विवाह के अबूझ मुहूर्त इस प्रकार हैं –

राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी), अक्षय तृतीया (वैसाख शुक्ल तृतीया) , जानकी नवमी (वैसाख शुक्ल नवमी), पीपल पूर्णिमा (वैसाख शुक्ल पूर्णिमा), गंगा दसमी (जेष्ठ शुक्ल दसमी), भड़ली नवमी (आषाढ़ शुक्ल नवमी), देव प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादसी), बसंत पंचमी ( माघ शुक्ल पंचमी), और फुलेरा दूज (फाल्गुन शुक्ल द्वितीया)

इन अबूझ मुहूर्तों में पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है.

Wednesday 28 June 2023

(6.11.12) Vipatti Door Karne Hetu Ramcharit Manas Ki Chaupai

 

विपत्ति – विपदा दूर करने हेतु मानस मन्त्र- रामचरित मानस की चौपाई Vipada Door Karne Hetu Chaupai

विपदा दूर करने हेतु रामचरित मानस की चौपाई

तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाइयाँ और दोहे सिद्ध मन्त्रों की तरह ही काम करते है. ऐसी ही एक चौपाई है –

राजिवनयन धरें धनु सायक, भगत बिपति भंजन सुख दायक.

इस चौपाई का पाठ करने के लिए घर के किसी शान्त स्थान पर पूर्व की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जाएँ, रामदरबार का चित्र अपने सामने रखें, धूपबत्ती जलाएं, भगवान् राम का मन ही मन ध्यान और चिंतन करें और फिर इस चौपाई का 108 बार पाठ करें. चौपाई इस प्रकार है –

राजिवनयन धरें धनु सायक, भगत बिपति भंजन सुख दायक.

पाठ समाप्त करने के बाद यह भावना करें कि भगवान् राम की कृपा से आपके सामने जो भी कोई विपत्ति या विपदा आ रही है, उसका निवारण होगा और विपत्ति दूर हो जायेगी. इसके बाद भगवान् राम को प्रणाम करके पूजा का स्थान छोड़ दें. 

 

(6.11.11) Vighna Baadha Door Karne Hetu Ramcharit Manas Ki Chaupai

 

विघ्न या बाधा दूर करने हेतु रामचरितमानस की चौपाई Vighna – Badha Door Karne Hetu Manas Mantra

विघ्न या बाधा दूर करने हेतु रामचरितमानस की चौपाई

तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाइयाँ और दोहे सिद्ध मन्त्रों की तरह ही काम करते है. ऐसी ही एक चौपाई है –

सकल बिघ्न ब्यापहिं नहिं तेही, राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही.

इस चौपाई का श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य कम से कम 108 बार पाठ करने से भगवान् राम की कृपा और आशीर्वाद से पाठ करने वाले व्यक्ति के विघ्न, बाधा और कार्य में रुकावट दूर होकर कार्य की सिद्धि होती है अर्थात कार्य में सफलता प्राप्त होती है.    

इस चौपाई का पाठ करने के लिए घर के किसी शान्त स्थान पर पूर्व की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जाएँ, रामदरबार का चित्र अपने सामने रखें, धूपबत्ती जलाएं, भगवान् राम का मन ही मन ध्यान और चिंतन करें और फिर इस चौपाई का 108 बार पाठ करें. चौपाई इस प्रकार है –

सकल बिघ्न ब्यापहिं नहिं तेही, राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही.

पाठ करने के बाद मन ही मन भावना करें कि भगवान् राम की कृपा से आपके सभी विघ्न, बाधाएं और रुकावटें दूर हो जायेंगी और आपको कार्य में सफलता प्राप्त होगी.

 

 

 

Monday 26 June 2023

(6.11.10) Rojgar / Jivika Paane Hetu Ramcharit Manas Ki Chaupai

 

रोजगार/जीविका पाने हेतु मानस मन्त्र – बिस्व भरन पोषण कर  Rojgar Pane Hetu Manas Mantra

रोजगार या जीविका पाने प्राप्ति हेतु मानस मन्त्र

तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाइयाँ और दोहे सिद्ध मन्त्रों की तरह ही काम करते है. ऐसी ही एक चौपाई है –

बिस्व भरन पोषन कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई .

इस चौपाई का श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य कम से कम 108 बार पाठ करने से भगवान् राम की कृपा और आशीर्वाद से बेरोजगार को रोजगार मिलता है, पहले से चल रहे व्यवसाय में उन्नति होती है, नौकरी मिलती है और पदोन्नति होती है.   

इस चौपाई का पाठ करने के लिए घर के किसी शान्त स्थान पर पूर्व की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जाएँ, रामदरबार का चित्र अपने सामने रखें, धूपबत्ती जलाएं, भगवान् राम का मन ही मन ध्यान और चिंतन करें और फिर इस चौपाई का 108 बार पाठ करें. चौपाई इस प्रकार है –

बिस्व भरन पोषन कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई .

पाठ समाप्त करने के बाद यह भावना करें कि भगवान् राम की कृपा से आपको रोजगार मिलेगा, नौकरी या व्यवसाय में तरक्की होगी. व्यापार, व्यवसाय तथा कारोबार बढेगा और मनोवांच्छित फल की प्राप्ति होगी.

 

(6.11.9) Vidhya Pane Hetu Ramcharit Manas Ki Chaupai / Manas Mantra

 

विद्या प्राप्ति हेतु मानस मन्त्र / रामचरित मानस की चौपाई Vidhya Pane Hetu Manas Mantra

विद्या प्राप्ति हेतु मानस मन्त्र

तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाइयाँ और दोहे सिद्ध मन्त्रों की तरह ही काम करते है. ऐसी ही एक चौपाई है –

गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई, अलप काल विद्या सब आई.

इस चौपाई का श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य कम से कम 108 बार पाठ करने से भगवान् राम की कृपा और आशीर्वाद से विद्यार्थी को विद्या प्राप्त होती है, स्मरण शक्ति और धारणा शक्ति बढ़ती है, पढ़ी हुई विषय वस्तु सरलता पूर्वक याद होती है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होते हैं.

इस चौपाई का पाठ करने के लिए घर के किसी शान्त स्थान पर पूर्व की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जाएँ, रामदरबार का चित्र अपने सामने रखें, धूपबत्ती जलाएं, भगवान् राम का मन ही मन ध्यान और चिंतन करें और फिर इस चौपाई का 108 बार पाठ करें. चौपाई इस प्रकार है –

गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई, अलप काल विद्या सब आई.

पाठ समाप्त करने के बाद यह भावना करें कि भगवान् राम की कृपा से आपको विद्या प्राप्त होगी, स्मरण शक्ति और धारणा शक्ति बढ़ेगी और कक्षा परीक्षा तथा प्रतियोगिता परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होंगे. 

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 (6.11.1) Ram Ramaay Namah



 

 

Sunday 25 June 2023

(6.11.8) Ram Gayatri Mantra / Benefits of Ram Gayatri Mantra

 

राम गायत्री मन्त्र / राम गायत्री मन्त्र के लाभ Benefits of Ram Gayatri Mantra

राम गायत्री मन्त्र

भगवान् राम, भगवान् विष्णु के अवतार है. वे नैतिकता, श्रेष्ठ गुण तथा आदर्श के प्रतीक हैं. भगवान् राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. उनकी आराधना – उपासना के लिए कई मन्त्र हैं. राम गायत्री मन्त्र भी उनमें से एक है. यह बहुत ही चमत्कारी मन्त्र है. यह मन्त्र इस प्रकार है –

ॐ दाशरथाये विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्

राम गायत्री मन्त्र जप के लाभ –

जपकर्ता को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

जीवन की दीर्घकालिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

बाधाएं दूर होने से जपकर्ता को अपने उद्देश्य प्राप्ति में सफलता मिलती है.

भौतिक व आध्यात्मिक सम्पन्नता व सम्पदा प्राप्त होती है.

भगवान् श्री राम की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.

विचारों में स्पष्टता और पवित्रता आती है.

सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है.

परिवार में सौम्य वातावरण बना रहता है.

राम गायत्री मन्त्र की जप विधि –

प्रातःकाल दैनिक कार्य से निवृत्त होकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके ऊनी आसन पर बैठ जाएँ. भगवान् राम का चित्र अपने सामने रखें. अपनी आँखें बंद करके भगवान् राम का ध्यान करें. ध्यान इस प्रकार है –

भगवान् राम जिन्होनें धनुष – बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न नयन नूतन कमलदल से स्पर्धा करते वाम भाग में विराजमान श्री सीता जी के मुख कमल से मिले हुए हैं, उन आजानुबाहु, मेघश्याम, नाना - नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल जटाजूटधारी श्री रामचन्द्रजी का ध्यान करें.

ध्यान के बाद प्रतिदिन इस राम गायत्री मन्त्र का एक माला या एक से अधिक माला का जप करें. मन्त्र इस प्रकार है -

ॐ दाशरथाये विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्

मन्त्र जप के बाद आँखें बन्द करके मन ही मन भावना करें कि आपको भगवान् राम की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त हो रहे हैं, आपको भौतिक और आध्यात्मिक सम्पदा प्राप्त हो रही है, जिससे आपका जीवन उमंग, उल्लास और उत्साह से भरता जा रहा है. 

(6.11.7) Ram Rajya Kaisa Tha

 

रामराज्य कैसा था ? रामराज्य का प्रमाणिक विवरण  Ramraajya Kaisa Tha

रामराज्य कैसा था

त्रेतायुग में भगवान् द्वारा स्थापित आदर्श शासन ही रामराज्य कहलाता है. रामराज्य भारतीय दर्शन का पर्याय है. यह ऐसा जीवन दर्शन है, जिसमें धर्म संस्कृति, लौकिक एवं पारलौकिक सभी विषयों का समावेश है. रामराज्य केवल एक शासन प्रणाली ही नहीं है, वरन वह एक ऐसे जीवन यापन का ढंग है, जिसमें सभी नागरिक अपनी मर्यादाओं का पालन करते हैं. तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में रामराज्य के सम्बन्ध में पर्याप्त प्रकाश डाला है. उनके यानि तुलसीदासजी के अनुसार –

रामराज्य में दैहिक, दैविक, और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते. सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बताई हुई नीति यानि मर्यादा में तत्पर रहकर अपने अपने धर्म यानि कर्तव्य का पालन करते हैं.

धर्म अपने चारों चरणों (सत्य, शौच, दया और दान) से जगत में परिपूर्ण हो रहा है, स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं है.

छोटी उम्र में मृत्यु नहीं होती है, न किसी को कोई पीड़ा होती है. सभी के शरीर सुन्दर और निरोग हैं. न कोई दरिद्र है, न कोई दुखी है और न ही कोई दीन है. न कोई मूर्ख है और न कोई शुभ लक्षणों से विहीन है.

सभी दम्भ रहित हैं, धर्मपरायण हैं और पुण्यात्मा हैं. पुरुष और स्त्री सभी चतुर और गुणवान हैं. सभी गुणों का आदर करने वाले और पण्डित तथा ज्ञानी हैं. सभी कृत्यज्ञ हैं. कपट या धूर्तता किसी में नहीं है.

रामराज्य में जड़, चेतन, सारे जगत में काल, कर्म स्वभाव और गुणों से उत्पन्न हुए दुःख किसी को भी नहीं होते हैं.

राजनीति में शत्रुओं को जीतने और चोर- डाकुओं आदि को दमन करने के लिये साम, दाम, दण्ड और भेद – ये चार उपाय किये जाते हैं. लेकिन रामराज्य में कोई शत्रु ही नहीं है, इसलिए जीतो शब्द केवल मन को जीतने के लिए कहा जाता है. कोई व्यक्ति अपराध करता ही नहीं है, इसलिए दण्ड किसी को नहीं होता. दण्ड शब्द केवल सन्यासियों के हाथ में रहने वाले दण्ड के लिए ही रह गया है. तथा सभी अनुकूल होने के कारण भेदनीति की आवश्यकता ही नहीं रह गयी है. भेद, शब्द केवल सुर-ताल के भेद के लिए ही प्रयोग में लाया जाता है.

वनों में वृक्ष सदा फूलते और फलते हैं. हाथी और शेर वैर भूलकर एक साथ रहते हैं. पक्षी मीठी बोली बोलते हैं, भाँति – भाँति के पशुओं के समूह वन में निर्भय होकर विचरते और आनद करते हैं. शीतल, मन्द, सुगन्धित पवन चलता रहता है. गायें मनचाहा दूध देती हैं. धरती सदा खेती से भरी रहती है.

समुद्र अपनी मर्यादा में रहते हैं. वे लहरों द्वारा किनारों पर रत्न डाल देते हैं, जिन्हें मनुष्य पा जाते हैं. सब तालाब कमलों से परिपूर्ण हैं. सभी प्रदेश अत्यंत प्रसन्न हैं.        

 

Friday 23 June 2023

(6.11.6) Ram Naam Ki Mahima / Glory of Ram Naam /Ram Naam Ke Laabh

 

राम नाम की महिमा व रामनाम जप के लाभ Ram Naam Ki Mahima /Glory Of Ram Naam

राम नाम की महिमा

भगवान् राम का दो अक्षर का नाम स्वयं में एक महामन्त्र है. राम नाम स्वयं ज्योति है, स्वयं मणि है. राम नाम के महामन्त्र को जपने के लिए किसी विधान या समय का बंधन नहीं है. केवल आवश्यकता है, श्रद्धा, आस्था और विश्वास की.

राम नाम के जप से जपकर्ता का रोम रोम पवित्र हो जाता है. वह जहाँ रहता है, वहां का वातावरण शुद्ध हो जाता है और वह स्थान पवित्र धाम बन जाता है.

राम मन्त्र को तारक मन्त्र कहा जाता है. इसके जप से सभी दुखों का अंत होता है. जो मनुष्य श्रद्धा पूर्वक इसका जप करते हैं, वे संसार रूपी दुस्तर महासागर को सहज रूप से पार कर लेते हैं.

तुलसीदास जी के अनुसार प्रभु के जितने भी नाम हैं, उन सब में से सर्वाधिक श्रीफल देने वाला नाम राम का ही है.

संकट से घबराये हुए आर्त भक्त राम नाम का जप करते हैं तो, उनके बुरे व भारी संकट मिट जाते हैं और वे सुखी हो जाते हैं.

राम नाम मन्त्र जप की साधना एक अलौकिक और दिव्य साधना है. इस साधना से साधक की सोयी हुई चेतना शक्ति जागृत हो जाती है और दिव्य अनुभूति होने लगती हैं.

राम नाम के जप से दिव्य गुण प्रकट होते हैं, जिससे सौम्यता आती है और आत्मबल बढ़ता है.

राम नाम के स्मरण से अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है, अखण्ड शान्ति मिलती है और ह्रदय शुद्ध होता है.

कलियुग के कुप्रभाव से बचने के लिए राम नाम जप, स्मरण व संकीर्तन ही सर्व श्रेष्ठ साधन है. 

जलते हुए दीपक को घर के चौखट (देहली) पर रख देने से वह घर के अन्दर तथा बाहर दोनों भागों को प्रकाशित कर देता है, उसी प्रकार राम नाम को जीभ पर रखने से अंतःकरण और बाहरी आवरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं.            

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे.

सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने.

(भगवान् शिव पार्वतीजी से कहते हैं-) हे सुमुखि, राम नाम विष्णुसहस्र  नाम के तुल्य है. मैं सर्वदा ‘राम, राम, राम’ इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूँ.    

तुलसीदास जी कहते हैं कि राम नाम ‘मन्त्रराज’, ‘बीजमन्त्र’ तथा महामंत्र है. और यह कलिग्रस्त जीवों के उद्धार का एक मात्र साधन है.

रामनाम श्री नृसिंह भगवान् हैं, कलियुग हिरण्यकशिपु है और जप करने वाले जन प्रहलाद के सामान हैं, यह राम नाम देवताओं के शत्रु यानि कलियुग रूपी दैत्य को मार कर जप करने वाले की रक्षा करेगा.

ऐसे कराल यानि कलियुग के काल में तो नाम ही कल्प वृक्ष है, जो स्मरण करते ही सब जंजालों का नाश कर देने वाला है. कलियुग में यह राम नाम मनोवांछित फल देने वाला है, परलोक का परम हितेषी और इस लोक का माता – पिता है.

 

Thursday 22 June 2023

(6.11.5) Ram Raameti Raamet Rame Raame

 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे Ram Raameti Raameti Rame Raame Manorame

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे

पद्म पुराण के अनुसार एक बार भगवान् शिव ने देवी पार्वती से अपने साथ भोजन करने का आग्रह किया. देवी पार्वती ने कहा कि वे अभी विष्णु सहस्र नाम का पाठ कर रहीं हैं. वे पाठ करने के पश्चात् ही उनके साथ (यानि भगवान् शिव के साथ) भोजन कर पायेंगी. थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के पश्चात् भगवान् शिव ने पुनः देवी पार्वती को बुलाया तब भी देवी ने वही उत्तर दिया कि वे विष्णु सहस्र नाम का पाठ करने के पश्चात् ही आ पायेंगी. भोजन के ठण्डा होने की आशंका से भगवान् शिव ने देवी पार्वती से कहा, राम, राम कहो. एक बार ‘राम’ कहने से विष्णु सहस्र नाम का सम्पूर्ण फल मिल जाता है. राम का नाम ही विष्णु के सहस्त्र नामों के तुल्य है अर्थात बराबर है.”

इस प्रकार शिव के मुखारविन्द से ‘राम’ यह दो अक्षर का नाम विष्णु सहस्र नाम के तुल्य यानि बराबर है, सुन कर देवी पार्वती ने इस दो अक्षर के ‘राम’ नाम का जप करके भगवान् शिव के साथ भोजन किया.

इस सम्बन्धी श्लोक इस प्रकार है –

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे.

सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने.

(भगवान् शिव पार्वतीजी से कहते हैं-) हे सुमुखि, राम नाम विष्णुसहस्र  नाम के तुल्य है. मैं सर्वदा ‘राम, राम, राम’ इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूँ.    

  

Tuesday 20 June 2023

(6.11.4) Benefits and Importance of Ram Raksha Stotra

 

रामरक्षा स्तोत्र का महत्व और लाभ Ram Raksha Stotra ka Laabh / Benefits of Ramraksha Stotra

राम रक्षा स्तोत्र का महत्व और लाभ

रामरक्षा स्तोत्र भगवान् श्री राम की स्तुति है जिसमें भगवान् राम से रक्षा हेतु प्रार्थना की गयी है. इसके अतिरिक्त इस स्तोत्र में श्री राम का यथार्थ वर्णन, राम वंदन और राम नाम की महिमा आदि विषय भी सम्मिलित हैं.

इस रामरक्षा स्तोत्र मन्त्र के बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचन्द्र देवता हैं, अनुष्टुप छन्द है, सीता शक्ति हैं और हनुमानजी कीलक हैं.

इस स्तोत्र के बारे में विशेष बात यह है कि भगवान् शंकर ने बुधकौशिक ऋषि को स्वप्न में दर्शन देकर रामरक्षा स्तोत्र सुनाया था और उनके आदेशानुसार ही प्रातःकाल उठ कर बुधकौशिक ने इसे लिख दिया.

रामरक्षा स्तोत्र के पाठ करने के लाभ

रामरक्षा स्तोत्र एक प्रभावी और शक्तिशाली स्तोत्र मन्त्र है. इसका आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ पाठ करने से पाठ करने वाले को मिलने वाले लाभ इस प्रकार हैं –

इसका पाठ करने से पाठकर्ता को भगवान् राम की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.

उसके चारों तरफ एक सुरक्षा कवच बन जाता है जिससे वह भयमुक्त रहता है व सभी प्रकार की विपत्तियाँ और नकारात्मक शक्तियाँ उससे दूर रहती हैं.

संकट, व्याधि, और कष्ट दूर होते हैं.

समस्याएं या तो आती ही नहीं और यदि आती भी हैं तो, उनका समाधान मिल जाता है.

आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति मजबूत होते हैं.

वह दीर्घायु, सुखी, विनय सम्पन्न और संततिवान होता है.

मन उत्साह, शांति व उमंग से भरा हुआ होता है.

रामरक्षा का पाठ करने की विधि –

प्रातःकाल दैनिक कार्य से निवृत्त होकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके ऊनी आसन पर बैठ जाएँ।  भगवान् राम का चित्र अपने सामने रखें।  अपनी आँखें बंद करके भगवान् राम का इस प्रकार ध्यान करें - 

भगवान् राम जिन्होनें धनुष - बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न नयन नूतन कमलदल से स्पर्धा करते वाम भाग में विराजमान श्री सीता जी के मुख कमल से मिले हुए हैं, उन आजानुबाहु , मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल जटाजूटधारी श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करें. 

इसके बाद इस रामरक्षा स्तोत्र मंत्र का प्रतिदिन एक बार पाठ करें। 

नवरात्रि में प्रतिदिन ग्यारह या सात बार पाठ करना विशेष फलदायी रहता है.