Thursday 24 August 2023

(6.7.4) लक्ष्मी कहाँ रहती है? लक्ष्मी का निवास कहाँ है Where does live? Laxmi Kahan Rahati Hai

 लक्ष्मी कहाँ रहती है? लक्ष्मी का निवास कहाँ है Where does live? Laxmi Kahan Rahati Hai

लक्ष्मी कहाँ रहती है?

लक्ष्मी कहाँ रहती है ? अर्थात धन की देवी लक्ष्मी कहाँ निवास करती है ? इस संबंध में धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है.    

महाभारत के उद्योग पर्व के अनुसार  धैर्य, मनोनिग्रह, इन्द्रियों को वश में करना, दया, मधुर वाक्य और मित्रों से शत्रुता नहीं करना ये सात बातें लक्ष्मी को अर्थात ऐश्वर्य को बढ़ाने वाली हैं।  अर्थात जिस व्यक्ति में ये गुण हैं, लक्ष्मी वहां रहती है.                             

इसी प्रकार महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार जो पुरुष बोलने में चतुर, कर्तव्य  कर्म में लगे हुए, क्रोध रहित, श्रेष्ठों के उपासकउपकार को मानने वाले, जितेंद्रिय और पराक्रमी हैं, उनके यहां भी लक्ष्मी का निवास होता है।

चाणक्य नीति के अनुसार जिस घर में मूर्ख व्यक्तियों की पूजा नहीं होती है, जहां अनाज का संचित भंडार रहता है तथा जिस घर में स्त्री और पुरुष में कलह अर्थात लड़ाई झगड़ा नहीं होता है, उस घर में लक्ष्मी अपने आप सर्वदा विद्यमान रहती है।                               

हितोपदेश के अनुसार उत्साही, आलस्य हीन, काम करने का ढंग जानने वाले, बुराइयों से दूर रहने वालेबहादुरउपकार मानने वाले तथा दृढ मित्रता वाले पुरुष के पास लक्ष्मी यानि धन की देवी निवास करने के लिए स्वयं ही चली आती है ।                                             

एक बार रुकमणी जी ने  लक्ष्मी को चंचला देखकर पूछा  कि हे देवी आप कहाँ विराजमान रहती हैं ? तो देवी लक्ष्मी ने उत्तर दिया कि मैं मधुर भाषी, चतुर, अपने कर्तव्य में लीन ,क्रोधहीन, भगवत्परायण, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय और बलशाली पुरुष के पास बराबर बनी रहती हूँ।

मैं स्वधर्म का आचरण करने वाले, धर्म की मर्यादा को जानने वाले, वृद्धजनों अथवा गुरुजनों की सेवा करने में तत्पर रहने वाले, जितेंद्रिय आत्मविश्वासी, क्षमा  शील और समर्थ पुरुषों के साथ रहती हूँ.  साथ ही जो स्त्रियां सदा सत्यवादिनी, सत्य आचरण करने वाली, सदा निष्कपट तथा सरल स्वभाव से सम्पन्न हैं, वे भी मुझे बहुत पसंद है.

 इसी प्रकार देवता और गुरुजनों की पूजा करने में लगी हुई और हँसमुख रहने वाली, सौभाग्य युक्त, गुणवती ,पतिव्रताकल्याण कामिनी और अलंकृत स्त्रियों के पास रहने में मुझे बड़ा आनंद आता है। और इसके अतिरिक्त नीति मार्ग पर चलने वाले, परिश्रमी तथा पुण्य कर्म करने वाले गृहस्थ के यहाँ भी मैं टिकी रहती हूँ और ऐसे लोगों का मैं प्रिय पुत्र के समान पालन करती हूँ ।  

(6.7.3) देवी लक्ष्मी का महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र आर्थिक सम्पन्नता हेतु Mahalakshmi ashtakam stotra for prosperity

 देवी लक्ष्मी का महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र आर्थिक सम्पन्नता हेतु Mahalakshmi ashtakam stotra for prosperity

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र आर्थिक सम्पन्नता हेतु

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र, धन, सम्पदा और सम्पन्नता की देवी लक्ष्मी की इन्द्र द्वारा की गयी स्तुति है. कहा जाता है कि दुर्वासा ऋषि के शाप से इन्द्र श्रीहीन हो गये. तब इन्द्र ने एक स्तोत्र की रचना की और देवि लक्ष्मीकी स्तुति की. यह स्तोत्र ही महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र कहलाता है.

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने के लाभ –

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र के आठ श्लोकों में धन की देवी लक्ष्मी के स्वरुप, गुण और महाशक्तियों का उल्लेख है. जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राज वैभव को प्राप्त कर सकता है. जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बड़े – बड़े पापों का नाश हो जाता है. जो दो समय पाठ करता है, वह धन – धान्य से सम्पन्न होता है. जो प्रतिदिन तीन काल पाठ करता है, उसके शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी, वरदायिनी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती है. 

धन तेरस से दीपावली तक जो कोई प्रतिदिन पाँच बार या अधिक बार पाठ करता है, तो उस पर लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है. वह धन – धान्य से युक्त होता है. 

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र के पाठ करने की विधि –

देवी लक्ष्मी का चित्र अपने सामने रखें. पूर्व या उत्तर की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जाएँ. फिर देवी लक्ष्मी का ध्यान करे.

ध्यान इस प्रकार है –

भगवती लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान हैं, कमल की पंखुड़ियों के समान जिनके सुन्दर नैत्र हैं. जिनकी विस्तृत कमर और गहरे आवर्त वाली नाभि है, जो पयोधरों के भार से झुकी हुई और सुन्दर वस्त्र के उत्तरीय से सुशोभित हैं, जो मणि जड़ित दिव्य स्वर्ण कलशों के द्वारा स्नान किये हुए हैं, वे कमलहस्ता सदा सभी मंगलों के सहित मेरे घर में निवास करें.    

ध्यान के बाद इस स्तोत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें. पाठ करने के बाद भावना करें कि देवी लक्ष्मी की आप पर कृपा वृष्टि हो रही है और आप भौतिक और आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न हो रहे हैं. 

महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र के आठों श्लोक हिन्दी में इस प्रकार है –

श्री पीठ स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये ! तुम्हें नमस्कार है. हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मि, तुम्हें प्रणाम है.(1)

गरुड़ पर आरूढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मि, तुम्हें प्रणाम है. (2)

सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुखों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मि, तुम्हें नमस्कार है. (3)

सिद्धि,बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मि, तुम्हें सदा प्रणाम है. (4)

हे देवि, हे आदि – अंत रहित आदिशक्ते, हे महेश्वरि, हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मि, तुम्हें नमस्कार है. (5)

हे देवि, तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महा शक्ति हो, महोदरा हो और बड़े – बड़े पापों का नाश करने वाली हो. हे देवि महालक्ष्मि, तुम्हें नमस्कार है.(6)

हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि, हे परमेश्वरि, हे जगदम्बे, हे महालक्ष्मि, तुम्हें मेरा प्रणाम है.(7)

हे देवि ! तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो. सम्पूर्ण जगत में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो.

हे महालक्ष्मि, तुम्हें मेरा प्रणाम है.(8) 

 

 

Wednesday 23 August 2023

(6.5.6) संतान गोपाल मन्त्र – पुत्र प्राप्ति हेतु Santan Gopal Mantra for getting son

संतान गोपाल मन्त्र –  पुत्र प्राप्ति हेतु Santan Gopal Mantra for getting son

संतान गोपाल मन्त्र – पुत्र प्राप्ति हेतु 

प्रत्येक दंपत्ति की संतान प्राप्ति की इच्छा होना स्वाभाविक ही है, परन्तु कभी कभी प्रारब्ध वश उपयुक्त समय पर संतान नहीं हो पाती है तो व्यक्ति को औषधि उपचार के साथ साथ भगवान् कृष्ण से सम्बंधित संतान गोपाल मंत्र का जप भी करना चाहिए. यह एक प्रामाणिक मन्त्र है. इस मन्त्र का उल्लेख गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘संतान गोपाल स्तोत्र’ नामक पुस्तक में है.

इस मन्त्र जप की विधि इस प्रकार है –

प्रतिदिन प्रातःकाल दैनिक कार्य से निवृत्त होकर भगवान् कृष्ण के बालरूप का चित्र अपने सामने रख लें. उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके बैठ जाये. इसके बाद श्री कृष्ण का ध्यान करें. ध्यान इस प्रकार है –

पार्थ सारथि अच्युत भगवान् श्री कृष्ण करुणा के सागर हैं. वे जल में डूबे हुए गुरु पुत्र को लेकर आ रहे हैं. वे वैकुण्ठ से अभी अभी पधारे हैं और रथ पर विराजमान हैं. अपने वैदिक गुरु सांदीपनि को उनका पुत्र अर्पित कर रहे हैं.

साधक पुत्र की प्राप्ति के लिए इस रूप में महाभाग भगवान् श्री कृष्ण का चिंतन करे. इसके बाद श्री कृष्ण के मन्त्र का पांच, सात या ग्यारह माला का जप करें. ऐसा तब तक करें जब तक तीन लाख जप न हो जाएँ. मंत्र इस प्रकार है –

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते 

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं  शरणं गतः !!

मन्त्र जप के बाद पांच मिनट तक कल्पना करें कि भगवान कृष्ण बालरूप में अपनी माँ की गोद में बैठे  हुए हैं और बाललीला कर रहे हैं। उनकी माँ उनकी लीलाओं को देखकर प्रसन्न हो रही हैं। ऐसे भगवान कृष्ण आपको सुन्दर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दे रहें हैं। आपके पुत्र प्राप्ति की इच्छा की पूर्ती कर रहें हैं.

  

(6.6.4) कृष्ण मंत्र (पुत्र प्राप्ति हेतु) Krishna Mantra for getting son

 कृष्ण मंत्र (पुत्र प्राप्ति हेतु) Krishna Mantra for getting  son

 प्रत्येक दम्पती की संतान प्राप्ति की इच्छा स्वाभाविक है परन्तु प्रारब्धवश कभी कभी उपयुक्त समय पर संतान नहीं हो पाती है तो व्यक्ति को औषधि उपचार के साथ साथ भगवान् कृष्ण के मंत्र का जप भी करना चाहिए . भगवान् कृष्ण की कृपा से अवश्य ही पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है. मंत्र जप की विधि इस प्रकार है –

 प्रतिदिन प्रातः काल दैनिक कार्य से  निवृत्त होकर भगवान कृष्ण के बालरूप का चित्र अपने सामने रख लें । उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके बैठें और कल्पना करें कि भगवान कृष्ण बालरूप में अपनी माँ की गोद में बैठे  हुए हैं और बाललीला कर रहे हैं। उनकी माँ उनकी लीलाओं को देखकर प्रसन्न हो रही हैं। ऐसे भगवान कृष्ण आपको सुन्दर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दे रहें हैं। आपके पुत्र प्राप्ति की इच्छा की पूर्ती कर रहें हैं। फिर निम्नांकित मंत्र की तीन,  पांच या सात माला का सुविधानुसार जप करें जितना ज्यादा जप करें उतना अच्छा।

मंत्र इस प्रकार हैं:-

ॐ  देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते !

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं  शरणं गतः !!

इसके पश्चात पांच मिनट तक कल्पना करें कि भगवान कृष्ण ने आपकी पुत्र प्राप्ति की इच्छा की प्रार्थना को सुन लिया हैं। वे आपको  आशीर्वाद दे रहें हैं। मंत्र में पूर्ण विश्वास एवं अधिक से अधिक संख्या में जप लाभकारी होगा।

 

 

 

 

Tuesday 22 August 2023

(6.6.3) गोपाल सहस्त्रनाम, पाठ करने की विधि, गोपाल सहस्त्रनाम के लाभ Gopal Sahastranaam benefits

 गोपाल सहस्त्रनाम, पाठ करने की विधि, गोपाल सहस्त्रनाम के लाभ Gopal Sahastranaam benefits

गोपाल सहस्त्रनामस्तोत्र, इसका पाठ करने की विधि और लाभ

आनन्दकन्दब्रह्माण्ड नायक लीला पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्णचन्द्र के अनेक स्वरूप हैं. वे मदनमोहन, श्यामसुन्दर, व्रजेन्द्रनन्दन, गोपीवल्लभ, राधावल्लभ, राधारमण, गोपाल आदि विभिन्न स्वरूपों में भक्तों के ह्रदय में विराजते हैं.गोचारण और गोपालन उनकी बाल लीला का मुख्य अंग है. इसलिये भक्त उन्हें ‘गोपाल’ के नाम से भी पुकारते हैं. भगवान् श्री कृष्ण के ‘गोपाल’ नाम को लेकर ही उनके एक हजार नाम से स्तुति की गयी है. इसी स्तुति को गोपाल सहस्त्रनाम के रूप में जाना जाता है.

गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करने के लाभ –

गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र कल्याण करने वाला और महारोगों का निवारण करने वाला है इसलिए इस स्तोत्र अर्थात गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने या सुनने से भगवान् कृष्ण का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होते हैं.

इच्छित फल की प्राप्ति होती है.

आर्थिक समस्या नहीं आती है.

रोगों से छुटकारा मिलता है.

परिवार में सुख - शान्ति का वातावरण बना रहता है.

कारागर से मुक्ति मिलती है.

सुसंतान की प्राप्ति होती है.

गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करने की विधि –

अपने घर के किसी शांत स्थान पर उत्तर या पूर्व की तरफ बैठ जाएँ. अपने सामने भगवान् कृष्ण के गोपाल स्वरुप का चित्र यानि ऐसा चित्र जिसमें भगवान् कृष्ण के साथ गाय का चित्र भी हो, अपने सामने रखें. फिर विनियोग और ध्यान करें. 

विनियोग इस प्रकार है –

गोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्र मन्त्र के ऋषि नारद जी हैं, छंद अनुष्टुप है, श्री गोपाल जी इसके देवता हैं, काम इसका बीज है, माया इसकी शक्ति है तथा चन्द्र इसका कीलक है. भगवान् श्री कृष्ण के भक्तिरूपी फल की प्राप्ति के लिए श्री गोपाल सहस्त्रनाम के जप में इसका विनियोग किया जाता है.

ध्यान इस प्रकार है –

जिनके मस्तक पर कस्तूरी का तिलक है, वक्षःस्थल में कौस्तुभ मणि है, नासिकाग्र में अति सुन्दर मोती का आभूषण है, करतल में बंशी है, हाथों में कंकण हैं, सम्पूर्ण शरीर पर हरि चन्दन का लेप है और कन्ठ में मनोहर मोतियों की माला है, व्रजांगनाओं से घिरे हुए ऐसे गोपालचूड़ामणि की बलिहारी है.

प्रफुल्ल नीलकमल के समान जिनकी श्याम मनोहर कान्ति है, मुख मण्डल की चारुता चन्द्रबिम्ब को भी विलज्जित करती है, मोरपंख का मुकुट जिन्हें अधिक प्रिय है, जिनका वक्ष स्वर्णमयी श्रीवत्सरेखा से समलंकृत है, जो अत्यन्त तेजस्वनी कौस्तुभमणि धारण करते हैं और रेशमी पीताम्बर पहने हुए हैं, गोपसुन्दरियों के नयनारविन्द जिनके श्रीअगों की सतत अर्चना करते हैं, गायों तथा गोपकिशोरों के संघ जिन्हें घेर कर खड़े हैं तथा जो दिव्य अंगभूषा से विभूषित हो मधुरातिमधुर वेणु वादन में संग्लन हैं, उन परम सुन्दर गोविन्द का मैं भजन करता हूँ.

ध्यान के बाद गोपाल सहस्त्रनामावली का एक, दो या तीन बार पाठ करना चाहिए.  

 

 

 

 

(6.6.2) एक श्लोकी भागवत् / एक श्लोकी श्रीमद्भागवत् / एक श्लोकी भागवत् के लाभ Ek Shloki Bhagwat

 एक श्लोकी भागवत् / एक श्लोकी श्रीमद्भागवत् / एक श्लोकी भागवत् के लाभ Ek Shloki Bhagwat

एक श्लोकी भागवत् / एक श्लोकी श्रीमद्भागवत्

श्रीमद्भागवत अठारह पुराणों में से एक है. श्रीमद्भागवत् भक्तिरस और आध्यात्मिक ज्ञान का समन्वय प्रस्तुत करता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार भागवत् का पाठ पुण्यदायक है. लेकिन इसका पूरा पाठ नहीं किया जा सके तो, इस एक श्लोक मन्त्र को, जिसे एक श्लोकी भागवत् कहा जाता है, का पाठ करने से सम्पूर्ण भागवत् पढ़ने का फल मिलता है.

यह श्लोक इस प्रकार है –

आदौ देवकिदेवगर्भजननं गोपीगृहे वर्धनम्

मायापूतनजीवतापहरणं गोवर्धनोद्धारणम्

कंसच्छेदन कौरवादिहननं कुन्तीसुतापालनम्

एतद् भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम्

एक श्लोकी भगवत् का पाठ करने की विधि –

प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत होकर पूर्व या उत्तर की तरफ मुँह करके ऊन के आसन पर बैठ जायें. भगवान कृष्ण का चित्र अपने सामने रख लें. दीपक और धूप बत्ती जलायें. आखें बंद करके भगवान् कृष्ण का ध्यान करें. इसके बाद इस एक श्लोकी भागवत का ग्यारह, इक्कीस, इक्कावन, या एक सौ एक बार पाठ करें या सुने. 

 

 

Sunday 20 August 2023

(5.3.1) परीक्षा की तैयारी कैसे करें? बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें? How to Prepare for the Board Examination

 परीक्षा की तैयारी कैसे करें? बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें? How to Prepare for the Board Examination

परीक्षा की तैयारी कैसे करें?

प्रिय विद्यार्थियों,

आगामी परीक्षा के लिए शुभ कामना.

आज मैं परीक्षा की तैयारी से सम्बंधित विचारों को आपसे साझा कर रहा हूँ.

परीक्षा शब्द से ही आपके के मन में एक प्रकार का अनजाना भय उत्पन्न हो जाता है. और आप सोचने लगते हैं कि किस विषय के प्रश्नपत्र में कौनसे प्रश्न पूछे जायेंगे और आप उन प्रश्नों के उत्तर दे भी पाएंगे या नहीं ? इस प्रकार सोच कर आप एक प्रकार से तनाव में आ जाते हैं.

लेकिन परीक्षा के तनाव से बचने के लिए अपने मन से परीक्षा का डर निकालिए क्योंकि परीक्षा खुद को साबित करने एक अवसर है और आपके जीवन में यह अवसर कई बार आएगा. परीक्षा सम्पूर्ण जीवन नहीं है बल्कि जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है. इसे काल्पनिक भय का रूप न दें और न ही नकारात्मक विचार हावी होने दें, बल्कि इसे यानि परीक्षा को उत्सव की तरह मानों और इसका आनन्द लो.

परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए इन बातों को ध्यान में रखें –

परीक्षा से पूर्व-

सभी विषयों की विषयवस्तु को अच्छी तरह दोहरा लें.

सभी विषयों को समय दें. मुश्किल लगने वाले विषय को अधिक समय दें लकिन उसकी विषयवस्तु को रटें नहीं बल्कि समझें.

पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें. मॉडल प्रश्नपत्रों को भी हल करें.

अति आत्मविश्वास से बचें तथा तनाव मुक्त रहें.

समय पर भोजन करें.

समय पर सोयें और समय पर जागें और नींद पर्याप्त लें.

शान्त वातावरण में पढाई शुरू करें. रात को बहुत देर तक न पढ़ें.

हर विद्यार्थी में को न कोई विशेषता होती है और आप में भी कोई न कोई ऐसी विशेषता है जो आपको दूसरों से अलग करती है, इसलिए आप अपनी तुलना किसी अन्य विद्यार्थी नहीं करें.  

परीक्षा के लिए घर से निकलते समय –

परीक्षा के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं जैसे – प्रवेशपत्र, पेन, पेंसिल, पहचानपत्र आदि अपने साथ ले लें.

आपके घर से परीक्षा केंद्र की दूरी को ध्यान में रखते हुए आप ऐसे समय पर घर से प्रस्थान करें ताकि परीक्षा शुरू होने से कम से कम 15 से 20 मिनट पहले परीक्षा केंद्र पर पहुँच जाएँ.

रास्ते में चलते समय सड़क के नियमों का पालन करे.

परीक्षा भवन में क्या करें –

जब आपको उत्तर पुस्तिका मिल जाये तो सबसे पहले उस पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ लो.

उत्तर पुस्तिका पर आवश्यक प्रविष्टियाँ कर ले. यानि अपने नामांक, विषय आदि स्पष्ट लिख लें.

वीक्षक कोई निर्देश दे तो उसे ध्यान से सुनों और उसका पालन करो.

जब आपको प्रश्न पत्र मिल जाये तो आप उस पर अपने नामांक लिख दें फिर उस प्रश्न पत्र को ध्यान से पूरा पढ़ें.

पूरे प्रश्नपत्र में से जो प्रश्न आपको सरल लगे उस प्रश्न का उत्तर सबसे पहले लिखें. सरल प्रश्नों के उत्तर लिखने से आपका आत्मविश्वास बढ़ता जायेगा.

जो प्रश्न आपको कठिन लगे, उनके उत्तर बाद में लिखें. यदि कोई ऐसा प्रश्न भी आ जाये, जिसके उत्तर में संदेह हो, तो भी आपको उस प्रश्न का उत्तर जैसा भी आपको आता है, लिखना है. हो सकता है वह उत्तर सही हो.

जब आप एक प्रश्न का उत्तर लिख रहे हो तो, उस समय किसी दूसरे प्रश्न या उसके उत्तर के बारे में न सोचें.

यदि किसी प्रश्न के एक से अधिक भाग हो तो सभी भागों के उत्तर एक साथ ही लिखें.

प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के साथ उस प्रश्न की क्रम संख्या अवश्य लिखें.

जो प्रश्न ज्यादा अंकों का हो तो उसके अंकभार के अनुसार ही उस प्रश्न के उत्तर की लम्बाई रखें.

आपकी लिखावट स्पष्ट व पठनीय होनी चाहिए.

प्रश्नों के उत्तर में और विशेषरूप से बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर में काटछांट न करें. यदि आपको लगता है कि उत्तर गलत है तो उसे काट कर स्पष्ट रूप से दुबारा लिखें.

सभी प्रश्नों के उत्तर निर्धारित समय से पूर्व ही लिख लें तथा बचे हुए समय में सभी उत्तरों को एक बार वापस पढ़ लें.

उत्तर पुस्तिका में कोई भी अनर्गल बात न लिखे और न ही परीक्षक के लिए कोई निर्देश लिखें.

परीक्षा समप्ति के बाद –

परीक्षा समाप्ति के बाद अपनी उत्तर पुस्तिका वीक्षक को देकर ही परीक्षा कक्ष से बाहर आयें.

बीते हुये पेपर की चिंता न करके नए उत्साह के साथ अगले दिन के पेपर की तैयारी में लग जाएँ.

अन्य महत्वपूर्ण बातें –

परीक्षा अवधि के दौरान मोबाइल फोन के प्रयोग करने से बचें.

समय का सदुपयोग करें.

लम्बे समय तक लगातार पढ़ने के बजाय थोडा अंतराल देकर पढेँ. ऐसा करने से थकान नहीं होगी.

मानसिक थकान तथा उबाऊपन को दूर करने के लिए थोड़ी देर के लिए टहल लो, पेड़ पौधों को देखो, उड़ते हुए पक्षियों को देखो व उनकी आवाज सुनो.

अन्त में एक बार फिर शुभकामना के साथ मैं मेरी बात समाप्त करता हूँ.

आपका शुभाकांक्षी

कृष्णगोपाल पाण्डेय

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Thursday 17 August 2023

(6.4.19) आर्थिक सम्पन्नता हेतु हनुमान चालीसा की चौपाई Hanuman Chalisa Chaupai for Prosperity

आर्थिक सम्पन्नता हेतु हनुमान चालीसा की चौपाई Hanuman Chalisa Chaupai for Prosperity

ब्रह्मा आदि अनेक देवताओं का आशीर्वाद और वरदान पाने के कारण हनुमान जी  अत्यन्त शक्ति सम्पन्न हैं. यदि कोई व्यक्ति हनुमान जी के किसी भी मंत्र का पूर्ण निष्ठा और विश्वास के साथ जप करे, तो उस व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा व आशीर्वाद से भौतिक और अध्यात्मिक लाभ मिलते हैं.

हनुमान जी के पास आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ हैं. इन सिद्धियों और निधियों को दूसरे व्यक्ति को प्रदान करने की शक्ति माता जानकी के आशीर्वाद से हनुमान जी को प्राप्त हुई हैं. अतः जो व्यक्ति हनुमान चालीसा की इस चौपाई का निष्ठा और विश्वास के साथ पाठ करे तो उसे हनुमान जी की कृपा से आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त होती है.

इस चौपाई का पाठ करने की विधि इस प्रकार है –

दैनिक कार्य से निवृत्त होकर प्रातःकाल उत्तर या पूर्व में मुहँ करके किसी शांत स्थान पर ऊन के आसन पर बैठ जाएँ. अपने सामने हनुमान जी का चित्र रख लें. अपनी आँखें बन्द करके हनुमान जी का ध्यान करें.

ध्यान इस प्रकार है –

अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत सुमेरु के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्यरूपी वन के के लिए अग्निरूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, सम्पूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त, पवन पुत्र श्री हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूँ.

इसके बाद निम्नांकित चौपाई का प्रतिदिन पाँच, सात या ग्यारह माला का निष्ठा व विश्वास के साथ तीन महीनें तक जप करें. जप जितना ज्यादा होगा, प्रतिफल उतना ही ज्यादा प्राप्त होगा. चौपाई इस प्रकार है –

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता.

दैनिक जप समाप्त हो जाने पर पूजा के स्थान को तुरंत नहीं छोड़े. मन्त्र जप के बाद शान्ति पूर्वक बैठ जाएँ, अपनी आँखें बंद करें व हनुमान जी के असीम स्नेह, शक्ति व आशीर्वाद का चिंतन करें और पूर्ण विश्वास के साथ भावना करें कि हनुमान जी की कृपा से आपको आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त हो रही है, आपके व्यवसाय में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है और आपकी मनो कामना पूर्ण हो रही है.

इसके बाद आप हाथ जोड़ कर हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करें व उनके प्रति विश्वास की भावना के साथ जप के स्थान को छोड़ कर अपने दैनिक कार्य में लग जाएँ.    

  

(6.4.18) सुन्दरकाण्ड का महत्व, लाभ और पाठ करने की विधि Sundarkand ke Laabh, Benefits of Sundarkand

 सुन्दरकाण्ड का महत्व, लाभ और पाठ करने की विधि Sundarkand ke Laabh, Benefits of Sundarkand

सुन्दरकाण्ड के लाभ और महत्व

सुन्दरकाण्ड का महत्व –

सुन्दरकाण्ड, गोस्वामी तुलसीदासकृत रामचरित मानस का पाँचवा अध्याय या सोपान है. सम्पूर्ण रामचरितमानस में भगवान् श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाया गया है, लेकिन सुन्दरकाण्ड एक मात्र ऐसा अध्याय है, जिसमें हनुमानजी द्वारा किये गये महान कार्यों, उनकी शक्ति और विजय का वर्णन है जिसे पढ़ना और सुनना बहुत आनन्द दायक है. इस अध्याय का मुख्य घटना क्रम है – हनुमानजी का लंका के लिए प्रस्थान करना, विभीषण से भेंट, सीताजी से भेंट करना और उन्हें श्रीराम की मुद्रिका देना, लंका दहन और लंका से वापस प्रस्थान.

सुन्दर काण्ड का पाठ करने के लाभ –

श्रद्धा और विश्वास के साथ सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से मानसिक शान्ति मिलती है.

सकारात्मक और रचनात्मक सोच विकसित होती है.

नकारात्मक और बुरे विचार दूर होते हैं.

घर में सुख शान्ति रहती है, धन – वैभव का आगमन होता है और सकारात्मक वातावरण का सृजन होता है.

हनुमान जी का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होते हैं जिससे मन में उत्साह बना रहता है,

मन और बुद्धि रचनात्मक कार्यों में लगी रहती है.

नकारात्मक शक्तियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.

जन्मपत्रिका में शनि या मंगल की अशुभ स्थिति का दुष्प्रभाव निष्प्रभावी हो जाता है.

जिस भवन में सुन्दरकाण्ड का पाठ होता है, वहाँ नकारात्मक शक्तियाँ नहीं रहती है.

विद्यार्थियों के मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे उनका ध्यान केन्द्रित होता है और अध्ययन में मन लगता है. परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होते हैं.

सुन्दरकाण्ड का पाठ करने की विधि –

सुन्दरकाण्ड का पाठ किसी मंगलवार या शनिवार को किया जा सकता है. यदि किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका पाठ इकतालीस दिन तक प्रतिदिन करना चाहिये.

पाठ शुरू करने से पहले घर में पूर्व या उत्तर की तरफ लकड़ी की एक चौकी या पाटा रख दें. इस पाटे पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें. इस पाटे पर राम दरबार और हनुमानजी का चित्र रख दें और इन चित्रों के तिलक करके माला पहना दें. पास में ही धूप बत्ती और दीपक जला दें. उत्तर या पूर्व की तरफ मुँह करके कुशा या ऊन के आसन पर बैठ जाएँ. फिर मन ही मन भगवान् राम और हनुमान जी का स्मरण करें. इसके बाद सुन्दर काण्ड का पाठ शुरू करें. पाठ समाप्ति के पश्चात् हनुमान जी की आरती करें. यदि किसी विशेष उद्देश्य के लिए पाठ किया जाए तो आरती के बाद उस उद्देश्य पूर्ति के लिए मन ही मन हनुमानजी से प्रार्थना करें और मन में विश्वास करें कि हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद से आपका कार्य पूर्ण होगा.