सफलता का मूल मंत्र / सफलता के सात सूत्र Safalata Ka Mantra ? Safalata Paane Ke Saat Sootra (Vidur Neeti )
अलग-अलग
व्यक्तियों के लिए सफलता का अर्थ तथा परिभाषा अलग-अलग हो सकती है, परंतु सामान्य रूप से तथा सरल शब्दों में कहा जाए तो
निर्धारित किए गए लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त कर लेना सफलता है। यह लक्ष्य या
उद्देश्य कोई भी हो सकता है, परंतु इसे पाने के लिए महात्मा विदुर ने
सात सूत्र बताएं हैं, जिनके द्वारा निश्चित रूप से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
इन सात सूत्रों
में से पहला सूत्र है, उद्योग-
उद्योग से
तात्पर्य है परिश्रम व प्रयास। किसी भी कार्य का अपने अनुकूल परिणाम प्राप्त करने
के लिए केवल लक्ष्य निर्धारित करना ही पर्याप्त नहीं है। लक्ष्य प्राप्त करने के
लिए जितने व जैसे परिश्रम की आवश्यकता हो, उतना परिश्रम तथा प्रयास करना आवश्यक है।
दूसरा सूत्र है, संयम -
संयम से तात्पर्य
है, आत्म नियंत्रण। किसी भी कार्य को प्रारंभ करते ही सफलता की
आशा करने से बचना चाहिए। साथ ही कार्य की पूर्णता व उद्देश्य प्राप्ति तक सहज बने
रहना चाहिए। इसके विपरीत उतावलेपन या असहजता से सफलता पाने में रुकावट आ सकती है।
अतः महात्मा विदुर के अनुसार उन्नति व सफलता चाहने वाले को संयम रखना चाहिए, संयमी होना चाहिए।
तीसरा सूत्र है, दक्षता -
दक्षता से
तात्पर्य है, किसी कार्य को अच्छी तरह करने की निपुणता, कुशलता या चतुराई। कार्य का अपेक्षित
परिणाम प्राप्त करने के लिए उस कार्य की प्रकृति के अनुसार पर्याप्त कुशलता तथा
निपुणता अति आवश्यक है। महात्मा विदुर कहते हैं, दक्षता या कुशलता से ही किसी कार्य में
सफलता मिलती है।
चौथा सूत्र है, सावधानी।
कार्य या लक्ष्य
छोटा हो या बड़ा, उसकी पूर्णता हेतु अपेक्षित सावधानी रखनी होती है। कार्य को सफलता की ओर ले
जाने के लिए किन बातों को ध्यान में रखना है? किस विषय को ज्यादा प्राथमिकता देना है? या किस विषय को कम प्राथमिकता देना है? आदि बातों पर विचार करने में पूर्ण सावधानी रखने की आवश्यकता है, तभी सफलता प्राप्त होती है और उन्नति के द्वार खुलते हैं।
पांचवा सूत्र है, धैर्य -
धैर्य का तात्पर्य
शिथिलता या लापरवाही करना नहीं है, बल्कि कार्य को सहज गति से संपन्न करना
है, जिसमें उतावलेपन का अभाव होता है। कवि वृंद ने भी कहा है कि
कोई भी कार्य धीरे-धीरे ही होता है, इसके लिए अधीर होना व्यर्थ है। वे कहते
हैं पेड़ को चाहे कितना भी पानी दे दो, वह पेड़ समय आने पर ही फल देगा। अतः
अपेक्षित सफलता के लिए प्रयास व परिश्रम के साथ-साथ धैर्य रखना ही बुद्धिमानी है।
छठ सूत्र है, स्मृति -
स्मृति का
तात्पर्य है, याददाश्त। तेज स्मृति वाला व्यक्ति, उद्देश्य की प्राप्ति या कार्य की सफलता
के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना है, किन-किन लोगों से मिलना है? क्या-क्या कार्य करने हैं ? आदि बातें याद रखता है।
सतवाँ सूत्र है, सोच विचार कर कार्य करना -
कार्य शुरू करने
से पहले उसके प्रत्येक पहलू के बारे में पूरी तरह सोच विचार करना आवश्यक है।
व्यक्ति को सोचना चाहिए कि कार्य को शुरू करने का उपयुक्त समय है या नहीं? उसके सहयोगी कौन है? इस कार्य में कितनी शक्ति या ऊर्जा की
आवश्यकता है? याद रखिए बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय। काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हँसाय।
अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि सफलता या उन्नति के लिए उद्योग, संयम, दक्षता, सावधानी, धैर्य, स्मृति तथा सोच विचार कर किसी कार्य को करना, यही उन्नति का मूल मंत्र है।