Monday 20 January 2020

(6.8.4) Shiva Manas Pooja

Shiva Manas Pooja  शिव मानस पूजा विधि 

वस्तुतः भगवान् को किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है, वे तो भक्त की भावना को देखते हैं।  संसार में ऐसे दिव्य पदार्थ उपलब्ध नहीं हैं, जिनसे पमेश्वर की पूजा की जा सके।  इसलिये पुराणों में मानस पूजा का विशेष महत्व माना गया है। भगवान्  शिव की मानसपूजा विधि इस प्रकार है -
हे दयानिधे ! हे पशुपते! हे देव ! यह रत्न निर्मित सिंहासन, शीतल जल से स्नान, नाना रत्नावलिविभूषित  दिव्य वस्त्र, कस्तूरिकागन्ध समन्वित चन्दन, जूही, चम्पा  और बिल्वपत्र से रचित पुष्पांजलि तथा धूप और दीप यह सब मानसिक (पूजोपहार ) ग्रहण कीजिये।  मैनें नवीन रत्न खण्डों से रचित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर, दूध और दधि सहित पाँच प्रकार का व्यंजन, कदलीफल, शर्बत, अनेकों शाक, कपूर से सुवासित  और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल और ताम्बूल - ये सब मन के द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये हैं; प्रभो ! कृपया इन्हें स्वीकार करें।
छत्र, दो चँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग,दुन्दुभी के वाद्य, गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नाना विधि स्तुति - ये सब मैं संकल्प से ही आपको समपर्ण करता हूँ; प्रभो ! मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये।  हे शम्भो ! मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वती जी हैं, प्राण आपके गण  हैं , शरीर आपका मन्दिर  है, सम्पूर्ण विषय -  भोग की रचना आपकी पूजा है, निंद्रा समाधि है, मेरा चलना - फिरना आपकी परिक्रमा है और सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं; इस प्रकार मैं जो - जो कर्म करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है। प्रभो ! मैनें हाथ, पैर, वाणी, शरीर, कर्म, कर्ण , नैत्र अथवा मन से जो भी अपराध किये हों; वे विहित हों  अथवा अविहित, उन सबको आप क्षमा कीजिये। हे करुणासागर श्री महादेव शंकर ! आपकी जय हो।