Thursday 5 September 2019

(6.2.2) Sankatnaashan Ganesh Stotra


Sankat Naashan Ganesh Stotra संकटनाशन गणेश स्तोत्र

नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु: कामार्थ सिद्धये ।।1।।  
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं  गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।2।। 
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।3।। 
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।।4।। 
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो  ।।5।।  
विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।।6।। 
जपेद् गणपति स्तोत्रं षडभिर्मासैः फलं लभेत्। 
संवत्सरेण सिद्धिं च लभेत नात्र संशयः।।7।।  
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्। 
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।8।।  
संकट नाशन गणेश स्तोत्रं सम्पूर्णम |

हिंदी अर्थ – नारद जी बोले – सिर झुका कर गौरीपुत्र विनायक देव को प्रणाम करके प्रतिदिन आयु, अभीष्ट मनोरथ और धन आदि प्रयोजनों की सिद्धि के लिये भक्तावास गणेश जी का स्मरण करे |
पहला नाम वक्रतुण्ड है, दूसरा एकदन्त है, तीसरा कृष्ण पिंगाक्ष है, चौथा गजवक्त्र है, पाँचवाँ लम्बोदर है, छठा विकट, सातवाँ विघ्नराजेन्द्र, आठवाँ धूम्रवर्ण है, नवाँ भालचन्द्र, दसवाँ विनायक, ग्यारहवाँ गणपति और बारहवाँ गजानन है | जो व्यक्ति प्रातः, दोपहर और सायं – तीनों संध्याओं के समय प्रतिदिन इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे किसी प्रकार के विघ्न का भय नहीं रहता है, यह नाम स्मरण सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाला है |
फल श्रुति – इस स्तोत्र का पाठ करने वाले विद्याभिलाषी को विद्या, धनाभिलाषी को धन, पुत्र पाने की इच्छा करने वाले को पुत्र और मोक्ष चाहने वाले को मोक्षगति प्राप्त होती है | इस गणपति स्तोत्र का छ: मास तक जप करने से इच्छित फल प्राप्त हो जाता है तथा एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है – इसमें कोई सन्देह नहीं है | जो व्यक्ति इस स्तोत्र को लिख कर आठ ब्राह्मणों को लिख कर देता है, गणेश जी की कृपा से उसे सब प्रकार की विद्या प्राप्त हो जाती है |