Wednesday 22 July 2020

(6.7.1)) Ashta Lakshmi - Eight Forms of Lakshmi

Ashta Lakshmi - Eight Forms of Lakshmi अष्ट लक्ष्मी - लक्ष्मी के आठ स्वरुप
अष्ट लक्ष्मी - लक्ष्मी के आठ स्वरुप कौनसे हैं

अष्ट लक्ष्मी - लक्ष्मी के आठ स्वरुप
लक्ष्मी भगवान् विष्णु की पत्नी है। उन्हें सम्पदा, सम्पन्नता व सौभाग्य की देवी के रूप में जाना जाता है। लक्ष्मी को आठ स्वरूपों में पूजा जाता है।  इन आठ स्वरूपों के समूह को अष्ट लक्ष्मी कहा जाता है। इन स्वरूपों में वह अपने उपासकों व भक्तों को  विभिन्न प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक सम्पदा प्रदान करती है।  लक्ष्मी के आठ स्वरुप इस प्रकार हैं -
(1) आदि लक्ष्मी -
लक्ष्मी के इस रूप में वे कमल पर विराजमान हैं। उनके चार हाथ हैं जिनमें से  एक में कमल है, दूसरे में पताका है, तीसरे में अभय मुद्रा और चौथे वरदा मुद्रा है।  इस रूप में ये पवित्रता और प्रसन्नता का प्रतीक हैं। इनकी साधना उपासना से मानसिक शांति व सम्पन्नता मिलती है।
(2) धन लक्ष्भी  -
लाल वस्त्र धारण किये देवी की इस छवि में छः भुजाएं हैं जिनमें चक्र,कलश, धनुष , कमल, अभय  मुद्रा (स्वर्ण मुद्रा सहित) हैं। वे धन और स्वर्ण की प्रतीक हैं।वे अपने भक्तों को आर्थिक सम्पन्नता प्रदान करती हैं।
(3) धान्य लक्ष्मी -
इस रूप में देवी हरित वस्त्र धारण किये हुए होती है। इनके आठ भुजाएं हैं जिनमें दो कमल, गदा, धान की फसल,गन्ना, केला, अभय मुद्रा तथा वरदा  मुद्रा हैं। वे अपने भक्तों को भोजन, अनाज और विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री के साथ साथ सांसारिक भोग की वस्तुएं भी प्रदान करती हैं।
(4) गज लक्ष्मी -
इस छवि में वे लाल वस्त्र धारण किये हुए हैं। उनके दोनों तरफ एक - एक हाथी है। उनके चार भुजाएं हैं, जिनमें दो कमल,अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं। इनको पशुधन की समृद्धि की दाता माना जाता है। ये कार्य में गतिशीलता प्रदान करती हैं।
(5) संतान लक्ष्मी -
इस रूप में देवी के छः भुजाएं हैं।  उनके दो हाथों में कलश हैं, दो हाथों में तलवार और ढाल हैं,  एक हाथ अभय मुद्रा में है , उनकी गोद में एक बच्चा है  जिसे एक हाथ से थामा हुआ है, बच्चे के हाथ में एक कमल है। संतान लक्ष्मी के रूप में वे अपने उपासकों को उत्तम संतान प्रदान करती हैं।
(6)धैर्य लक्ष्मी  -
इस रूप में वे लाल वस्त्र धारण किये हुए हैं।  उनके आठ भुजाएं हैं, जिनमें चक्र,शंख, धनुष, तीर, तलवार, ताड़ के पत्तों पर लिखी हुई पाण्डुलिपि, अभय मुद्रा तथा वरदा मुद्रा हैं।  ये वीरता, साहस की प्रतीक हैं , इसलिए इनको वीर लक्ष्मी भी कहा जाता है। वे अपने भक्तों को  सभी प्रकार की बाधाओं पर विजय पाने के लिए साहस , शक्ति और धैर्य प्रदान करती हैं।
(7) विजय लक्ष्मी -
इस छवि में देवी लाल वस्त्र धारण किये हुए है।  उनके आठ भुजाएं हैं , जिनमें चक्र, शंख, तलवार, कवच, कमल, पाशा, अभय मुद्रा और वरदा मुद्रा हैं। ये श्रेष्ठ वरदानों की प्रतीक हैं। यह अपने उपासकों को जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय दिलाने के लिए जानी जाती है।  इनकी कृपा से शत्रु का दमन होता है।  नकारात्मक विचार प्रभावहीन  रहते हैं।
(8) विद्या लक्ष्मी -
इस छवि में देवी  सफ़ेद साड़ी पहने हुई है। वे सरस्वती की तरह दिखाई देती हैं। उनके चार भुजाएं हैं, जिनमें पुस्तक, कलम के रूप में मोर पंख, वरदा मुद्रा और अभय मुद्रा हैं।  वे अपने भक्तों को कला, विज्ञानं आदि सभी क्षेत्रों का  ज्ञान प्रदान करती हैं। वे सद्बुद्धि दायनी हैं।