Tuesday, 17 December 2024

(2.3.7)दृष्टिकोण का अंतर Difference of Attitude (An Instructive Story)

 दृष्टिकोण का अंतर  Difference of Attitude (An Instructive Story)

एक बार एक भिक्षुक जंगल में लड़कियां चुन रहा था तभी उसने देखा कि एक लोमड़ी जिसके पैर नहीं थे, एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी। उससे इधर उधर भी नहीं चला जा रहा था। भिक्षुक को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि वह बिना कुछ खाए पिए कैसे जिंदा है ? वह यह सोच ही रहा था तभी उसने एक शेर को आते हुए देखा। शेर ने एक हिरण का शिकार किया था और वह उसे अपने मुँह  में दबाकर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था। भिक्षुक को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि खाने के लिए उसके पास मांस का एक बड़ा टुकड़ा डाल दिया। लोमड़ी ने उस टुकड़े को खा लिया।

अगले दिन वह भिक्षुक वापस आया और छिपकर बैठ गया और शेर का इंतजार करने लगा। आज भी वैसा ही हुआ। भिक्षुक ने अपने आप से कहा कि यह भगवान के होने का प्रमाण है। वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का प्रबंध भी वही करता है। ऐसा सोचते हुए वह एक एकांत जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। पहला दिन बीत गया पर वहाँ कोई भी नहीं आया। दूसरे दिन भी  किसी ने भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। वह भूखे मरने लगा। तभी एक महात्मा उधर से गुजरे। भिक्षुक ने अपनी व्यथा सुनाई। महात्मा बोले,” तुम यह क्यों नहीं  समझे कि भगवान तुम्हें शेर की तरह देखना चाहते थे, लोमड़ी की तरह नहीं। इसलिए तुम अपने कर्म पर ध्यान दो।

इस कहानी की शिक्षा -

जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीज जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं। सफल वही होता है जो इशारों को सही अर्थ में समझता है।