शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा तथा इसके लाभ Shivaratri Par Chaar Prahar Ki Pooja Aur Iske Laabh
शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा
शिवरात्रि पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाले
चार प्रहर की पूजा की जाती है। यह पूजा प्रदोष काल यानि संध्या काल से शुरू होकर
अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त तक चलती है। रात्रि के पहले प्रहर में पहली, दूसरे प्रहर में दूसरी, तीसरी प्रहर में तीसरी और चौथे
प्रहर में चौथी पूजा की जाती है। पहले प्रहर में दूध से शिवजी के ईशान स्वरूप का, दूसरे प्रहर में दही से अघोर
स्वरूप का, तीसरे
प्रहर में घी से वामदेव स्वरूप का और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरूप का
अभिषेक कर पूजा करें।
महाशिवरात्रि की रात महा सिद्धि दाहिनी है। इसलिए इस
महाशिवरात्रि में की गई पूजा - अर्चना विशेष पुण्य प्रदान करने वाली होती है। यदि
कोई व्यक्ति चार बार पूजन और अभिषेक नहीं कर सके तो पहले प्रहर में एक बार ही पूजन
कर ले तो भी उसके लिए यह फलदाई होती है।
शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा के लाभ
शिवरात्रि के महापर्व पर रात्रि में चार प्रहर की पूजा करने से
अज्ञानता दूर होती है।
पूजा करने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है।
उसे कष्टों से छुटकारा मिलता है।
उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
उसको शिव कृपा प्राप्त होती है.
उसे सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
उसका भाग्य सूर्य के समान चमकने लगता है।
उसके रोग-शोक, दूर हो जाते हैं तथा सुख सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती
है।