महात्मा विदुर के
उपदेश Vidur Ke Updesh (Vidur Quotes ) Vidur Niti
भागवत धर्म को
जानने वालों में महात्मा विदुर का स्थान सर्वोपरि है। वे परम बुद्धिमान, प्रज्ञा शक्ति से संपन्न तथा महान योग बल
से प्रतिष्ठित थे। वे धृतराष्ट्र और पांडु के लघु भ्राता थे। उनके द्वारा
धृतराष्ट्र को कही गई नीतिगत तथा
व्यवहारिक बातें ही विदुर नीति के नाम से जानी जाती है। जीवन संघर्ष में जीत
दिलाने वाले उनके उपदेश इस प्रकार है -
(पहला) - जो
निर्धन होकर भी बहुमूल्य वस्तु की इच्छा करता है और जो असमर्थ होकर भी क्रोध करता
है। ये दोनों ही प्रकार के व्यक्ति अपने लिए कष्ट के द्वार खोल देते हैं।
(दूसरा ) -
अकर्मण्य गृहस्थ और प्रपंच में लगा हुआ सन्यासी, अपने धर्म के विपरीत कर्म करने के कारण शोभा नहीं पाते हैं
और आलोचना के पात्र बनते हैं।
(तीसरा) - काम, क्रोध और लोभ ये आत्मा का नाश करने वाले
नरक के तीन दरवाजे हैं अतः इन तीनों का त्याग कर देना चाहिए।
(चौथा) - ऐश्वर्य
या उन्नति चाहने वाले पुरुष को नींद, तंद्रा, डर, क्रोध, आलस्य और दीर्घ सूत्रता अर्थात जल्दी हो
जाने वाले कार्य में भी अधिक देरी लगाने की आदत। इन 6 दुर्गुणों का त्याग कर देना
चाहिए।
(पाचवाँ) - मनुष्य
को कभी भी सत्य, दान, कर्मण्यता, अनसूया अर्थात गुणों में दोष दिखाने की
प्रवृत्ति का अभाव, क्षमा तथा धैर्य।
बुद्धिमान व्यक्ति को इन 6 सद्गुणों का त्याग
कभी नहीं करना चाहिए।
(छठा) - धन की आय, नित्य निरोग रहना, पत्नी का अनुकूल होना और प्रिय वादिनी
होना, आज्ञाकारी पुत्र का होना तथा धन पैदा
करने वाली विद्या का ज्ञान होना। ये छह बातें मनुष्य के लिए सुखदायिनी होती हैं अर्थात ये व्यक्ति को सुखी बनाने वाली होती हैं।
(सातवाँ) - निरोग रहना, ऋणी ना होना, परदेश में नहीं रहना, अच्छे लोगों के साथ मेल जोल होना, अपनी वृत्ति से आजीविका चलाना और निडर
होकर रहना। ये 6 इस लोक के सुख हैं।
(आठवाँ) - ईर्ष्या
करने वाला, घृणा करने वाला,असंतोषी, क्रोधी, सदा शंकित रहने वाला और दूसरों के भाग्य
पर जीवन निर्वाह करने वाला। ये 6 प्रकार के लोग सदा दुखी रहते हैं।
(नवाँ) - जो किसी
दुर्बल का अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर शत्रु के साथ बुद्धिमता पूर्वक व्यवहार
करता है, बलवानों के साथ युद्ध पसंद नहीं करता
लेकिन समय आने पर पराक्रम दिखाता है, वही धीर है और वीर है।
(दसवाँ) - जो व्यक्ति आपत्ति आ जाने पर भी दुखी नहीं होता, बल्कि सावधानी के साथ उद्योग तथा उपाय का सहारा लेता है और दुख को भी सहज रूप से सहन कर लेता है, ऐसे व्यक्ति के शत्रु तो निश्चित रूप से ही पराजित होते हैं।