Safalata ka chankya sootra सफलता के लिए चाणक्य सूत्र :-
सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात।
वायसात्पंच शिक्षेच्च षट शुनस्त्रीणि गर्दभात। ( चाणक्य नीति 6/14)
सिंह (शेर) और बगुले से एक - एक, गधे से तीन, मुर्गे से चार, कौए से पाँच गुण और कुत्ते से छ: गुण सीखे जा सकते हैं।
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1. कार्य छोटा हो या बड़ा, उसे एक बार हाथ में लेने के बाद पूरी शक्ति लगाकर करना चाहिए। यह बात शेर से सीखी जा सकती है।
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2. बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके देश, काल और अपने सामर्थ्य को अच्छी प्रकार समझ कर एकाग्रता के साथ अपना कार्य करे, तो सफलता अवश्य प्राप्त होती है अर्थात कार्य की सफलता के लिए कार्य को करते समय अपना सारा ध्यान उसी ओर लगाना चाहिए। यह बात बगुले से सीखी जा सकती है।
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3. ब्रह्म मुहूर्त में जागना, रण में पीछे नहीं हटना, बंधुओं में किसी वस्तु का बराबर वितरण करना और चढाई करके किसी से अपना भक्ष्य छीन लेना, ये चार बातें मुर्गे से सीखनी चाहिए।
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4. एकांत में प्रणय करना, निर्भीकता, उपयोगी वस्तुओं का संग्रह करना, निरंतर सावधान रहना और दूसरों पर आसानी से विश्वास नहीं करना, ये पांच बातें कौए से सीखनी चाहिए।
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5. जब कुते को खाने को मिलता है, तो वह अधिक खा लेता है और उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिले, तो भी वह संतोष कर लेता है। वह अच्छी और गहरी नींद सोता है परन्तु थोड़ी सी आहट होने पर भी वह एक दम जाग जाता है। स्वामी के प्रति वफादार रहता है और लड़ने में जरा भी नहीं घबराता है। ये छ गुण कुत्ते से सीखे जा सकते हैं।
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6.अत्यंत थक जाने पर भी बोझ को ढोना, ठण्डे - गर्म मौसम की अनदेखी करना, सदा संतोष पूर्वक अपने कार्य को करना, ये तीन बातें गधे सीखी जा सकती है।
जो व्यक्ति इन बीस गुणों को सीख लेता है, इन्हें अपने आचरण में ले आता है और उसी के अनुसार कार्य करता है वह सभी कार्यों और अवस्थाओं में विजयी होता है।