Friday 28 April 2017

(8.1.24) Parashuram Jayanti

When is Parashuram Jayanti ?/ Important things about Parashuram Jayanrti / परशुराम जयंती 

When is Parashuram Jayanti ?  परशुराम जयंती कब मनाई जाती है  ?
सामान्यतया प्रतिवर्ष भगवान् श्री परशुराम जयंती व अक्षय तृतीया एक ही दिन आयोजित की जाती हैं।  परन्तु शास्त्रों में दोनों पर्व मनाने के सिद्धान्त अलग - अलग बताये  गये हैं। परशुराम जी का जन्म वैसाख शुक्ल तृतीया को रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था, अतः इनकी जयंती मनाने के लिये  प्रदोष व्यापिनी तृतीया को ग्रहण किया जाता है। अर्थात जिस दिन तृतीया प्रदोषकाल  में व्याप्त होती है उसी दिन इनकी जयंती का आयोजन किया जाता है।  अतः जिस वर्ष यह स्थिति आती है उस  वर्ष अक्षय तृतीया के एक दिन पहले ही परशुराम जयंती आयोजित कर ली जाती है।
Important things about Parashuram  परशुराम जी  के बारे में महत्वपूर्ण बातें -
- परशुराम जयंती को परशुराम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- ब्रह्मा जी के मानस पुत्र भृगु ऋषि थे , भृगु ऋषि के पुत्र ऋषि ऋचीक थे , ऋचीक के पुत्र जमदग्नि थे और जमदग्नि के पुत्र परशुराम जी थे।
- परशुरामजी की  माता का नाम रेणुका था।
- रेणुका के पांच पुत्र थे। इनके नाम क्रमशः रूमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु तथा परशुराम थे।  परशुराम सबसे छोटे थे।
- वे भगवान् विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं।  उन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है। 
-  प्रारम्भ में परशुराम का नाम  राम था, परन्तु उनकी  (राम की ) तपस्या से प्रसन्न होकर  भगवान् शिव ने उनको फरसा दिया था। वे हमेशा फरसा धारण किये रहते थे  इसलिए  वे परशुराम  कहलाये ।
- परशुराम जी को चिरंजीवी ( निरंतर जीवित रहने वाला ) माना जाता है।
- परशुरामजी के अतिरिक्त अश्वत्थामा, दैत्यराज बलि , वेदव्यास, हनुमान, विभीषण तथा कृपाचार्य को भी चिरंजीवी माना जाता है।
- वे शस्त्रों  और शास्त्रों के ज्ञाता थे।  शास्त्रों की शिक्षा अपने दादा  ऋचीक और पिता जमदग्नि से प्राप्त की और  शस्त्रों की शिक्षा महर्षि विश्वामित्र और भगवान् शंकर से प्राप्त की।
- भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण  को भी अस्त्र - शस्त्रों की शिक्षा  भगवान् परशुराम जी ने दी थी।
- परशुराम जी पशु पक्षियों की भाषा भी समझते थे।
- ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार एक बार भगवान् परशुरामजी भगवान् शिव के दर्शनार्थ कैलाश पर्वत पर गये।  गणेश जी ने इनको प्रवेश करने से रोका।  इससे वे क्रोधित हो गए और गणेश जी पर फरसे से प्रहार कर दिया जिससे उनका एक दाँत टूट गया तभी से वे (गणेश जी) एक दन्त कहलाये।
- वे सदैव अपने गुरुजन तथा माता- पिता का सम्मान तथा उनकी आज्ञा का पालन करते थे। अपने पिता की के आदेश से अपनी माता का वध कर दिया था। तथा उसे बचाने आये भाइयों का भी वध कर दिया।  उनके आज्ञा पालन से प्रसन्न होकर जमदग्नि ने उनको वर माँगने का आग्रह किया तो परशुराम ने उन सभी के पुनर्जीवित होने तथा उनके द्वारा उनका वध किये जाने सम्बन्धी स्मृति नष्ट हो जाने का वर माँगा। परिणामस्वरूप वे सभी  पुनः जीवित हो गए।
- परशुरामजी ने हैहयवंशी  क्षत्रियों से 21 बार युद्ध करके उनको नष्ट किया। अंत में ऋषि ऋचीक ने प्रकट होकर ऐसा घोर कृत्य करने से परशुराम जी को रोका।
- परशुराम जी का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था परन्तु परन्तु उनका स्वभाव तथा आचरण क्षत्रियों जैसा था।
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