Tuesday 25 April 2017

(8.1.23) Sharad Poornima / Kojagari Vrat

 शरद पूर्णिमा / कोजागरी व्रत 

When is Sharad Poornima / When is Kojagari Vrat observed शरद पूर्णिमा कब है / कोजागरी व्रत कब किया जाता है 
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे  कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण ने जगत की भलाई के लिए इस दिन को रासोत्सव का दिन  निर्धारित किया था। इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक होता है। चन्द्रमा को कल्पना , मन, प्रेम और पुण्य का प्रतीक माना जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है अत: शरद पूर्णिमा की रात्रि को गाय के दूध की खीर बना कर चन्द्रमा की किरणों में रखा जाता है। ठाकुर जी के भोग लगा कर अगले दिन प्रात: काल इस खीर को प्रसाद के रूप में दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह खीर अमृतमयी होती है और शारीरिक व्याधियों से मुक्ति दिलाती है।

Kojagari Vrat कोजागरी व्रत -
आश्विन शुक्ल निशीथ व्यापिनी पूर्णिमा को ऐरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र और महालक्ष्मी का पूजन कर के उपवास किया जाता है और रात्रि में कम से कम सौ दीपक प्रज्ज्वलित कर , देव मंदिर , बाग़ बगीचों , तुलसी , बस्ती के रास्तों , चौराहे , गली और वास भवनों की छतों पर रखें तथा प्रात:काल होने पर ब्राह्मणों को घी शक्कर मिली हुई खीर का भोजन करा कर दक्षिणा दें। यह अनंत फलदायी होता है। इस दिन रात्रि के समय इंद्र और लक्ष्मी घर - घर जाकर पूछते हैं , " कौन जागता है ?" इस के उत्तर में उनका पूजन और दीप ज्योति का प्रकाश देखने में आये तो उस घर में अवश्य ही लक्ष्मी और प्रभुत्व प्राप्त होता है। (सन्दर्भ -व्रत परिचय पृष्ठ 129 -130 )