Wednesday 8 April 2020

(6.10.2) Gayatri Mantra Ki Mahima /Glory of Gaytri Mantra

Gayatri Mantra Ki Mahima / Glory of Gaytri Mantra (गायत्री मन्त्र की महिमा - महापुरुषों द्वारा )


गायत्री मन्त्र की महिमा - महापुरुषों द्वारा 
गायत्री मन्त्र एक महा मन्त्र  है। यह ऋग्वेद में एक स्थान पर , यजुर्वेद में तीन स्थानों पर और सामवेद में एक स्थान पर मिलता है। गायत्री को वेदमाता , जगत माता कहते हैं। इसकी सिद्धि दायक शक्तियों के कारण इसे गुरुमन्त्र , महामन्त्र , महानतम जप , तप और साधना की सम्मानित उपाधियों से विभूषित किया गया है। 
गायत्री मन्त्र  की महिमा बताते हुए ऋषि - मुनि और महापुरुषों ने इस प्रकार कहा है - 
विश्वामित्र के अनुसार - गायत्री मन्त्र के समान वेदों में कोई अन्य मन्त्र नहीं है। 
भगवन मनु कहते हैं - ब्रह्मा जी ने तीनों वेदों का सार तीन चरण वाला गायत्री मन्त्र निकाला हैं।  गायत्री मन्त्र से बढकर पवित्र करने वाला कोई अन्य मन्त्र नहीं है। 
याज्ञवल्क्य कहते हैं - गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं हैं , केशव से श्रेष्ठ कोई देव नहीं है और गायत्री से श्रेष्ठ कोई दूसरा मन्त्र नहीं है।
ऋषि पाराशर कहते हैं - " समस्त जप सूक्तों तथा वेद मन्त्रों में गायत्री मन्त्र परम श्रेष्ठ है। "
शंख ऋषि का कथन हैं - " नरक रूपी समुद्र में गिरते हुए को हाथ पकड़ कर बचाने वाली गायत्री ही है। "
अत्रि ऋषि कहते हैं - " गायत्री आत्मा का परम शोधन करने वाली है। इसके नियमित जप के प्रभाव से दोष और दुर्गुणों का परिमार्जन हो जाता है।  गायत्री मन्त्र के जप के परिणाम स्वरुप जप कर्ता के लिए संसार में कोई दुःख शेष नहीं रह जाता है। "
महर्षि वेद व्यास कहते हैं - " गायत्री मन्त्र समस्त वेदों का सार है। सिद्ध की हुई गायत्री कामधेनु के समान है। काम्य सफलता तथा तप की वृद्धि के लिए गायत्री मन्त्र से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। "
महत्मा गाँधी कहते हैं - गायत्री मन्त्र का निरंतर जप रोगियों को रोग मुक्त करने आए आत्मा की उन्नति  के लिये उपयोगी है। गायत्री मन्त्र का स्थिर चित्त और शांत ह्रदय से किया हुआ जप आपत्ति काल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है। "
मदन मोहन मालवीय कहते हैं  - " ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमें दिए हैं , उनमें से एक अनुपम रत्न है गायत्री मन्त्र जिसके प्रभाव से बुद्धि पवित्र होती है। "
योगी अरविन्द घोष कहते हैं - " गायत्री मन्त्र में ऐसी शक्ति सन्निहित है , जो महत्वपूर्ण कार्य कर सकती है।  "
राम कृष्ण परम हंस के अनुसार - " गायत्री मन्त्र का जप करने से बड़ी - बड़ी सिद्धियां मिल जाती हैं। यह एक छोटा मन्त्र है , परन्तु इसकी शक्ति भारी है। "
स्वामी विवेकानन्द कहते हैं - " गायत्री मन्त्र सद्बुद्धि का मन्त्र है इसलिए इसे मन्त्रों का मुकुट मणि कहा गया है। "
महर्षि रमण कहते हैं - " गायत्री मन्त्र के प्रभाव से आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं। "
स्वामी शिवानन्द जी कहते हैं - " ब्रह्म मुहूर्त में गायत्री मन्त्र का जप करने से चित्त शुद्ध होता है और ह्रदय में निर्मलता आती है। शरीर निरोग रहता है , स्वभाव में नम्रता आती है और बुद्धि सूक्ष्म होने से दूरदर्शिता बढ़ती है और स्मरण शक्ति का विकास होता है। कठिन प्रसंगों में गायत्री मन्त्र द्वारा दिव्य सहायता मिलती है।  उसके द्वारा आत्म दर्शन हो सकता है। "