Wednesday, 23 July 2025

(7.1.32) कुंडली मिलान में गण का महत्व और प्रभाव Kundali Milaan Me Gan Ka Mahatva Tatha Prabhav

कुंडली मिलान में गण का महत्व और प्रभाव Kundali Milaan Me Gan Ka Mahatva Tatha Prabhav

कुंडली मिलान में गण का महत्व -

विवाह के पूर्व वर तथा वधु के गुणों का मिलान 8 क्षेत्रों में किया जाता है। इन क्षेत्रों को ज्योतिष में कूट कहा जाता है। इन आठ कूटों में गण का बहुत अधिक महत्व है। प्रकृति, स्वभाव तथा गुणों के आधार पर जातकों को तीन प्रकार के गण वर्गों में विभाजित किया गया है। ये वर्ग हैं, देवगण, मनुष्य गण तथा राक्षस गण।

देवगण सतोगुण का, मनुष्य गण रजोगुण का तथा  राक्षस  गण तमोगुण का प्रतिनिधित्व करता है। नाम के अनुरूप ही जातकों में गुण व अवगुण होते हैं। देवगण वाले जातक में देवतुल्य गुणों की अधिकता होते है। राक्षस गण वाले जातकों में आसुरी स्वभाव वाले गुण अधिक होते हैं। मनुष्य गण वाले जातक मिश्रित गुणों वाले होते हैं। जिनमें गुण तथा अवगुण दोनों होते हैं।

गण का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव -

पहला - वर तथा वधू दोनों का समान गण हो, तो दोनों में आपस में प्रेम बना रहता है। दोनों की प्रकृति, स्वभाव एवं विचारों में समानता रहती है। जैसे दोनों के देव गण या दोनों के मनुष्य गण या दोनों के राक्षस गण। ऐसा होने पर अष्ट कूट के अनुसार छः गुण मिलते हैं।और विवाह के लिए इस स्थिति को अच्छा माना जाता है।

दूसरा - देवगण तथा मनुष्य गण में मध्यम प्रीति रहती है।

वर का देवगण तथा वधू का मनुष्य गण हो तो छः गुण मिलते हैं और वर का मनुष्य गण तथा वधू का देवगण हो तो पांच गुण मिलते हैं। विवाह के लिए यह स्थिति भी अच्छी मानी जाती है।

तीसरा -  देवगण तथा राक्षस गण में शत्रुता होती है। वर का राक्षस गण तथा वधू का देवगण हो तो एक गुण मिलता है। विवाह के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है।

चौथा - मनुष्य गण तथा राक्षस गण में शत्रुता होती है, अतः शून्य गुण मिलता है। विवाह के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है।