गण दोष क्या होता है और इसका परिहार क्या है?
Gan Dosh Kya Hota Hai? Gan Dosh Ka Parihar Kya Hai?
गण दोष क्या होता है?
जन्म नक्षत्र के आधार पर जातकों को देवगण,मनुष्य गण तथा
राक्षस गण, इन तीन प्रकार के गणों में विभाजित किया जाता है।
यदि वर तथा वधु, दोनों का एक
ही गण हो, जैसे वर का भी देवगण और वधु का भी देवगण हो, या वर का भी
मनुष्य गण और वधु का भी मनुष्य गण हो या वर का भी राक्षस गण और वधु का भी राक्षस
गण हो, तो विवाह करना उत्तम बताया गया है।
यदि किसी वर या वधू का देव गण हो और उसके साथी का मनुष्य गण हो, तो यह स्थिति
भी शुभ है। इस स्थिति में भी विवाह करने में समस्याएं नहीं आती हैं।
यदि किसी वर या वधू का देवगण हो या मनुष्य गण हो और उसके साथी का राक्षस गण
हो, तो यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है। इसी स्थिति को ही गण दोष कहा जाता है। यह वैवाहिक जीवन के लिए
शुभ नहीं है।
गण दोष का प्रभाव तथा परिणाम -
गण दोष विवाह की अनुकूलता को प्रभावित करता है। गण दोष
वाले जोड़ों में प्रायः भावनात्मक जुड़ाव की कमी होती है। वैवाहिक जीवन में कटुता
आती है, आपसी तालमेल का अभाव रहता है, झगड़ा या
क्लेश की स्थिति बनी रहती है। इसके अतिरिक्त इसके कारण अस्थिरता, असंतोष और
मानसिक तनाव भी पैदा हो सकता है।
गण दोष का परिहार या समाधान -
गण दोष के परिहार का तात्पर्य है, गण दोष का
निष्प्रभावी होना। गण दोष का परिहार इस प्रकार है -
पहला - वर तथा वधू के राशि स्वामी एक हो अथवा
उनमें आपस में मित्रता हो। या उनके नवांश पति एक हो अथवा उनमें मित्रता हो।
दूसरा - शुभ भकूट हो यानि शुभ नवपंचक, प्रीति
षडाष्टक और शुभ द्विद्वादश हो।(शुभ भकूट संबंधी जानकारी भकूट दोष वाले वीडियो में
दी गई है)।
तीसरा - नाड़ी दोष नहीं हो, यानि वर और वधु दोनों की नाड़ी भिन्न हो।(नाड़ी दोष की जानकारी, नाड़ी दोष वाले वीडियो में दी गई है।)