देव गण वाले लोग कैसे होते हैं Dev Gan Vale
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देव गण वाले लोग कैसे होते हैं
ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार हर व्यक्ति तीन मुख्य
स्वभाव यानि देव, मनुष्य और राक्षस में से किसी एक का स्वभाव
लेकर जन्म लेता है।
देवगण वाले व्यक्तियों का स्वभाव और सामान्य लक्षण इस
प्रकार होते हैं -
देवगण वाले व्यक्तियों में दया, करुणा और आत्म
नियंत्रण का गुण होता है। ऐसे व्यक्ति जल्दी क्रोधित नहीं होते हैं। वे दूसरों के
प्रति संवेदनशील होते हैं। वे मीठा बोलने वाले और दूसरे व्यक्तियों के साथ
सम्मानपूर्वक व्यवहार करने वाले होते हैं। उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृति
होती है। वे किसी भी बात का विश्लेषण करते हैं और फिर किसी निष्कर्ष पर पहुंचते
हैं। वे संघर्षों से बचते हैं और शांति और सामंजस्य चाहते हैं। उनमें ईमानदारी का
गुण होता है। वे समाज के हित की बात सोचते हैं और सहयोग की भावना रखते हैं।
देवगण वाले व्यक्तियों के विशेष गुण -
इन नौ नक्षत्रों अर्थात अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रवण और
रेवती में जन्म लेने वाले व्यक्ति देवगण की श्रेणी में आते हैं।
जन्म नक्षत्र के आधार पर देव गण वाले व्यक्तियों का
स्वभाव और लक्षण इस प्रकार होते हैं -
अश्विनी नक्षत्र -
अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति घोड़े जैसी
ऊर्जा और गति वाले होते हैं। ये किसी भी काम को अच्छी तरह सोच कर शुरू करते हैं।
और इनमें दूसरों के दुख को दूर करने की
अद्भुत क्षमता होती है। इनका भाग्योदय 20 वर्ष की उम्र
के बाद होता है।
मृगशिरा नक्षत्र
मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति सुंदर और
खोजी आंखों वाले होते हैं। ये व्यक्ति हमेशा कुछ नया खोजते रहते हैं। ये स्वभाव से
कोमल और चंचल होते हैं, लेकिन जब कोई
इन्हें चुनौती देता है, तो उसका सामना
करने से नहीं डरते हैं। इनको कभी-कभी किसी बात पर अभिमान हो जाता है और प्रिय जनों
से भी दूरी बना लेते हैं। इनका भाग्योदय 28 वर्ष की उम्र
के पश्चात होता है।
पुनर्वसु नक्षत्र -
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति आशावादी
होते हैं और जीवन में कितनी भी मुश्किलें आ जाएं, ये उनका सामना
करते हैं। ये थोड़े में ही प्रसन्न रहने वाले और दान कार्य में रुचि रखने वाले
होते हैं। इनका भाग्योदय 24 वर्ष के
पश्चात होता है।
पुष्य नक्षत्र -
पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने नजदीक के
व्यक्तियों का ख्याल रखते हैं। ये ज्ञानी, धार्मिक और सब
की मदद करने वाले होते हैं। ये धर्म में आस्था रखते हैं। दूसरों की बात को शीघ्र
समझ जाते हैं। अपने कार्य में दक्ष होते हैं। ये प्रशासनिक कार्य में कुशल होते
हैं। इनका भाग्योदय 35 वर्ष के पश्चात होता है।
हस्त नक्षत्र -
हस्त नक्षत्र वाले लोग परिश्रमी होते हैं। ये जो भी काम हाथ में
लेते हैं, उसे पूरी कुशलता से पूरा करते हैं। ये
बुद्धिमान और मजाकिया स्वभाव के होते हैं। ये लोग परिश्रमी उत्साही और प्रतिभावान
होते हैं। अपनी नीतियों को कुशलता पूर्वक लागू करते हैं। इन लोगों का भाग्योदय 30 या 32 वर्ष की उम्र
के पश्चात होता है।
स्वाति नक्षत्र -
स्वाति नक्षत्र के व्यक्तियों को स्वतंत्रता पसंद है, वे बंधन को पसंद नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति
व्यापार और रिश्तो में सरलता पूर्वक संतुलन बना लेते हैं। ये सामान्यतया अकेले
रहना पसंद करते हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर सामाजिक भी हो जाते
हैं। इनका भाग्योदय 36 वर्ष की उम्र के आसपास होता है।
अनुराधा नक्षत्र -
अनुराधा नक्षत्र के व्यक्ति दोस्ती और भक्ति को मानने
वाले होते हैं। ये जिससे भी जुड़ते हैं, पूरे दिल से
जुड़ते हैं। ये जीवन में सद्भाव और संतुलन को महत्व देते हैं। इनका कार्य क्षेत्र
अपने जन्म स्थान से किसी अलग स्थान पर होता है। ये भ्रमणकारी प्रवृत्ति के होते
हैं। इनका भाग्योदय 35 वर्ष की उम्र के आसपास होता है।
श्रवण नक्षत्र -
श्रवण नक्षत्र के व्यक्ति अच्छे श्रोता होते हैं। ये
दूसरों की बात को ध्यानपूर्वक सुनते हैं और सीखने की बात को सीखते हैं। ये
परंपरावादी और बुद्धिमान होते हैं। ये अच्छे वक्ता भी होते हैं। ये असंकुचित
विचारों के होते हैं। 19 से 24 वर्ष की उम्र
में इनका भाग्योदय होता है।
रेवती नक्षत्र -
रेवती नक्षत्र के व्यक्तियों में तुलनात्मक रूप से जल्दी परिपक्वता आती है। ये जानवरों से भी प्रेम करते हैं। ये सामान्यतया धनवान और समृद्ध होते हैं। ये चतुर और सलाहकार होते हैं। इनका स्वभाव सौम्य और निश्चय दृढ़ होता है। ये अन्याय के विरुद्ध आवाज भी उठा लेते हैं। इनका भाग्योदय 25 से 27 वर्ष की उम्र में होता है।