Friday 20 November 2015

(1.1.9) Good Company / Achchhi Sangati अच्छी संगति

Achchhi Sangati अच्छी संगति Good company 

> सज्जनों की संगति स्वर्ग में निवास करने के बराबर है।
चाणक्य
> जिसने शीतल तथा शुभ्र सज्जन संगति रुपी गंगा में स्नान कर लिया, उसको दान, तीर्थ, तप तथा यज्ञ आदि से क्या प्रयोजन?
वाल्मीकि
> हीन लोगों की संगति से अपनी बुद्धि भी हीन हो जाती है, सामान्य लोगों के साथ सामान्य बनी रहती है, और विशिष्ट लोगों की संगति विशिष्ट हो जाती है।
महाभारत
> परमेश्वर विद्वानों की संगति से ही प्राप्त हो सकता है।
ऋग्वेद
> बुरे आचरण वाला, पाप दृष्टि वाला, निकृष्ट स्थान पर रहने वाला और दुष्टों से मित्रता करने वाला मनुष्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
चाणक्य
> सज्जनों की संगति कभी विफल नहीं होती है।
महाभारत
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